पाकिस्तान ने बिना तैयारी कर दिया सैन्य ऑपरेशन का एलान, अमेरिका से मांगे छोटे हथियार
पाकिस्तान ने अज्म-ए-इस्तेहकम नाम के सैन्य अभियान के लिए अमेरिका से हथियारों की मांग की है। पाकिस्तान ने कहा कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य टीटीपी और दूसरे आतंकी गुटों से सशस्त्र लड़ाकों से लड़ना है। शहबाज शरीफ के कार्यालय की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है। लेकिन पाकिस्तान के पास इस अभियान के लिए पर्याप्त हथियार नहीं है। इसलिए पाकिस्तान ने अमेरिका से छोटे हथियार मांगे हैं।
पीटीआई, वाशिंगटन/इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सरकार ने हाल ही में अज्म-ए-इस्तेहकम (जिसका अर्थ है स्थिरता के लिए संकल्प) नाम के सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी है। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह इस्लामाबाद की नई स्वीकृत आतंकवाद विरोधी पहल, ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उनके देश को छोटे हथियार और आधुनिक उपकरण प्रदान करे।
'अज्म-ए-इस्तेहकम' अभियान शुरू करने का निर्णय 22 जून को राष्ट्रीय कार्य योजना की शीर्ष समिति की बैठक में लिया गया, जो देश से आतंकवाद को खत्म करने के लिए 2014 में स्वीकृत एक रणनीति है। संघीय सरकार ने हाल ही में पुनर्जीवित राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी अभियान को मंजूरी दी है।
बिना तैयारी और हथियार के सैन्य अभियान का एलान
डॉन अखबार ने राजदूत मसूद खान के हवाले से कहा, "पाकिस्तान ने आतंकवादी नेटवर्क का विरोध करने और उसे खत्म करने के लिए अज्म-ए-इस्तेहकम शुरू किया है। इसके लिए हमें अत्याधुनिक छोटे हथियारों और संचार उपकरणों की जरूरत है।"उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में वाशिंगटन थिंक टैंक विल्सन सेंटर में अमेरिकी नीति निर्माताओं, विद्वानों, बुद्धिजीवियों और कॉर्पोरेट नेताओं को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं। खान ने विस्तार से बताया कि 'अज्म-ए-इस्तेहकम' में तीन घटक शामिल हैं: सैद्धांतिक, सामाजिक और परिचालन।
उन्होंने कहा कि पहले दो चरणों पर काम शुरू हो चुका है, और तीसरा चरण जल्द ही लागू होने वाला है। एक नया आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू करने का फैसला तब लिया गया जब देश को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों द्वारा एक नए हमले का सामना करना पड़ा।
अमेरिका को लेकर पाकिस्तान ने कही ये बात
खान ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका को मजबूत सुरक्षा संबंध बनाए रखने चाहिए, खुफिया सहयोग बढ़ाना चाहिए, उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों की बिक्री फिर से शुरू करनी चाहिए और 'अमेरिकी मूल के रक्षा उपकरणों के रखरखाव' पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के बढ़ते ज्वार का विरोध करने के लिए महत्वपूर्ण है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों के हितों को भी खतरा पहुंचाता है।"
खान ने तर्क दिया कि द्विपक्षीय संबंध जमीनी हकीकत पर आधारित होने चाहिए और कुछ मुद्दों से बाधित नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा, "दूसरी बात, एक या दो मुद्दों के कारण पूरे रिश्ते को बंधक नहीं बनाना चाहिए।" उन्होंने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच मजबूत रक्षा सहयोग के उदाहरण के रूप में उच्च स्तरीय रक्षा वार्ता, इंस्पायर्ड यूनियन-2024, फाल्कन टैलोन और रेड फ्लैग जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों की ओर इशारा किया।
खान ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका को काबुल में अपने कूटनीतिक प्रयासों में पाकिस्तान को भागीदार के रूप में मानना चाहिए और अफगानिस्तान में आतंकवाद और महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर सहयोग करना चाहिए। राजदूत ने कहा, "नए सिरे से रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में अमेरिका और पाकिस्तान को मौजूदा साझेदारी को मजबूत करना चाहिए और आपसी हितों के मापदंडों को स्थापित करने के लिए नए क्षितिज तलाशने चाहिए।"