खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा अभियान के दौरान पाकिस्तानी सेना का कैप्टन और टीटीपी कमांडर मारे गए
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक सुरक्षा अभियान के दौरान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का आतंकी कमांडर मारा गया। आईएसपीआर ने बताया कि टीटीपी कमांडर ख्वाजा दीन उर्फ शेर खान को इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने आपरेशन के बाद मार गिराया।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 30 Sep 2021 04:38 PM (IST)
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक सुरक्षा अभियान के दौरान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का आतंकी कमांडर मारा गया। पाकिस्तान इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR)ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तानी अखबार डान ने आईएसपीआर के एक बयान का हवाला देते हुए बताया कि टीटीपी कमांडर ख्वाजा दीन उर्फ शेर खान को इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने आपरेशन के बाद मार गिराया।
आईएसपीआर ने बयान में कहा कि सुरक्षा बलों ने इलाके में एक ठिकाने पर आतंकवादियों के मौजूद होने की सूचना मिलने के बाद अभियान चलाया। बयान में कहा गया कि हमले में टीटीपी आतंकवादी कमांडर ख्वाजा दीन उर्फ शेर खान मारा गया, जबकि घटना स्थल पर बड़े पैमाने पर हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।इस बीच आपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना का एक कैप्टन भी मारा गया है। टीटीपी पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी समूह है। यह संगठन अफगानिस्तान में तालिबान का पूर्व सहयोगी है। हमले से पता चलता है कि पाकिस्तान अपनी ही आतंकियों की फंडिंग नीति का शिकार होता जा रहा है।
आतंकियों को समर्थन देने के कारण ग्रे लिस्ट में बना हुआ है पाकिस्तान वैश्विक आतंकी वित्तपोषण वाचडाग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)ने वैश्विक स्तर पर मानकों को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रहने और संयुक्त राष्ट्र के नामित नामित आतंकवादी समूह और कमांडरों की जांच और अभियोजन पर प्रगति की कमी के कारण पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे सूची' पर बनाए रखा था। 'ग्रे लिस्ट' का मतलब है कि इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों से निवेश और सहायता के रूप में वित्त तक पहुंचने की कोशिश में कोई राहत नहीं मिलेगी।
पाकिस्तान जून 2018 से अपने आतंकवाद रोधी वित्तपोषण और धन शोधन रोधी व्यवस्थाओं में कमियों के लिए एफएटीएफ की ग्रे सूची में है। अफगानिस्तान पर कब्जे में तालिबान को समर्थन देने के कारण उसको ब्लैक लिस्ट में आने का खतरा बना हुआ है। इसके बाद वह उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की श्रेणी में आ जाएगा और भारी-भरकम प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। इसकी चर्चा पाकिस्तानी मीडिया में काफी जोर शोर से है।