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Pakistan: चार साल बाद स्वदेश लौटे पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ, लाहौर में फूंकेंगे चुनावी बिगुल

पाकिस्तान के तीन बार के रहे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चार साल के निर्वासन के बाद स्वदेश लौटे है। पार्टी और सूत्रों ने कहा कि 73 वर्षीय नेता अपने चार्टर्ड विमान से इस्लामाबाद पहुंचे। यहां वह अपनी पार्टी और मीडिया संगठनों के 150 से अधिक लोगों के साथ लाहौर में एक रैली का नेतृत्व करेंगे।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 21 Oct 2023 03:25 PM (IST)
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चार साल बाद स्वदेश लौटे पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ (Image: REUTER)

रॉयटर्स, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के तीन बार के रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लंदन में चार साल के आत्म-निर्वासन के बाद शनिवार को स्वदेश पहुंचे। यहां वह आम चुनाव से तीन महीने पहले अपनी पार्टी के चुनाव अभियान को शुरू करने के लिए पहुंचे है।

पार्टी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। पार्टी और सूत्रों ने कहा कि 73 वर्षीय नेता अपने चार्टर्ड विमान से इस्लामाबाद पहुंचे। यहां वह अपनी पार्टी और मीडिया संगठनों के 150 से अधिक लोगों के साथ लाहौर में एक रैली का नेतृत्व करेंगे।

2019 के बाद अब लौटे पाकिस्तान

जानकारी के लिए बता दें कि नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के आरोप में 14 साल की जेल की सजा काटने के दौरान मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए 2019 में लंदन चले गए और उसके बाद से कभी पाकिस्तान नहीं लौटे। उन पर अभी भी दोषसिद्धि कायम है, जिसके कारण वह पाकिस्तान में दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकते है। शरीफ की कानूनी टीम के मुताबिक, शरीफ का टारगेट पाकिस्तान को चौथी बार प्रधानमंत्री बनना है।

क्या है इस समय शरीफ की सबसे बड़ी चुनौती 

शरीफ की सबसे बड़ी चुनौती इस समय मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान है। अगस्त में भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी ठहराए जाने के कारण इमरान खान को भी चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। शरीफ की वापसी ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाले उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ के 16 महीने के शासन के दौरान पाकिस्तान के हालात और भी बदतर हो गए है।

पाकिस्तानी राजनीति का सदाबहार नियम

नवाज शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तानी राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने वाले शीर्ष जनरलों से अनबन के बाद उन्हें शक्तिशाली सेना के आदेश पर सरकार से बाहर कर दिया गया था। विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा, 'पाकिस्तानी राजनीति के बारे में एक सदाबहार नियम यह है कि जब आप सेना की अच्छी किताबों में होते हैं तो आपके सत्ता संभालने की संभावना हमेशा अधिक होती है। अपने लंबे राजनीतिक करियर के दौरान, सैन्य अधिकारियों के साथ शरीफ के रिश्ते हमेशा गर्म और ठंडे रहे हैं।'

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