लोगों की नाराजगी से गुलाम कश्मीर को प्रांत बनाने से पीछे हटा पाकिस्तान, 15वां संविधान संशोधन बिल लिया वापस
पाकिस्तान ने 15वें संविधान संशोधन विधेयक को वापस ले लिया है। इसके जरिये उसने फिर गुलाम कश्मीर (Pok) को धोखा दिया है जिसमें इस क्षेत्र को प्रांतीय दर्जा देने की बात कही गई थी। काफी कोशिशों के बाद विधान सभा ने विधेयक को वापस लेने का फैसला किया।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 23 Aug 2022 06:55 PM (IST)
इस्लामाबाद, एजेंसी। गुलाम कश्मीर को प्रांत बनाने की पाकिस्तान की चाल एक बार फिर धरी रह गई। उग्र विरोध के कारण इस क्षेत्र को प्रांत का दर्जा देने के लिए लाया गया 15वां संविधान संशोधन इस्लामाबाद ने वापस ले लिया। एशियन लाइट इंटरनेशनल की खबर में कहा गया है कि गुलाम कश्मीर के अंतरिम संविधान में 15वें संशोधन विधेयक को पारित कराने के पाकिस्तान सरकार के प्रयास के बाद असेंबली ने इसे वापस लेने का फैसला लिया।विधेयक में स्थानीय निकायों के लिए अलग से निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रस्ताव किया गया था। यह विधेयक 13 अगस्त को पेश किया गया था।
15वां संविधान संशोधन गुलाम कश्मीर का संवैधानिक दर्जा निर्धारित करने का 24वां प्रयास था।1947 में अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र के लोगों ने इस्लामाबाद द्वारा अपना अधिकार हड़पने के विरोध में हिंसक प्रदर्शन किए थे। पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इस क्षेत्र में गहरा असंतोष है। इस बात को लेकर लोग असंतुष्ट हैं कि उनके बारे में कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले इस्लामाबाद उन्हें भरोसे में नहीं लेता है।माना जा रहा है कि जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त, 2029 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर के लिए लाया गया था। गुलाम कश्मीर को लेकर भारत उसे हमेशा अपना हिस्सा मानता है। 1996 में उसे लेकर भारतीय संसद में प्रस्ताव पारित हो चुका है।
पीओके की संवैधानिक स्थिति को निर्धारित करने का 24वां प्रयास
विधेयक में स्थानीय निकायों (Local Body) के लिए एक अलग चुनाव आयोग की स्थापना की परिकल्पना की गई थी, जिसे सरकार ने 13 अगस्त, 2022 को विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के समर्थन से पेश किया गया था।स्थानीय चुनावों की प्रक्रिया से संबंधित है यह संशोधन
इस्लाम खबर की रिपोर्ट है कि यह संशोधन विशुद्ध रूप से स्थानीय चुनावों की प्रक्रिया से संबंधित है। पाकिस्तान के कब्जे वाले पीओके क्षेत्र में लोगों के बीच असंतोष है। इसके अलावा यहां इस बात को लेकर भी हंगामा हुआ है कि इस्लामाबाद पीओके में लोगों को विश्वास में नहीं लेता है या उनके लिए बड़े फैसले लेने से पहले उनसे सलाह नहीं लेता है।
संसद में बिल पेश किए जाने के बाद हुआ था बड़े पैमाने पर विरोध
बिल पेश किए जाने के बाद पीओके के सभी दस जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध और जनसभाएं हुईं। एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति को ठीक करने के लिए 15वां संशोधन लाने की पाकिस्तान सरकार की योजना पर कड़ी आपत्ति जताई। नए मसौदा नियमों का उद्देश्य 13वें संशोधन को वापस लेना था, जिसने स्थानीय सांसदों को इस्लामाबाद की मंजूरी के बिना बड़े राजनीतिक और आर्थिक निर्णय लेने का अधिकार दिया था।इस्लामाबाद के पूर्ण नियंत्रण लेने के बार-बार प्रयासों से लोगों में नाराजगी
इस्लाम खबर की रिपोर्ट के अनुसार, संसद में प्रस्ताव के बाद मुजफ्फराबाद के गिलानी चौक पर बंद का आह्वान किया गया। इलाके के सभी रास्ते बंद कर दिए गए। एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार रावलकोट, बाग, पुंछ, मुजफ्फराबाद और नीलम घाटी जैसे इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी है। पीओके के नागरिक इस्लामाबाद सरकार द्वारा अपनी विशेष शक्ति के क्षेत्र को विभाजित करने और प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण लेने के बार-बार प्रयासों से नाराज हैं। पाकिस्तान सरकार की योजना 15वां संवैधानिक संशोधन लाने की है, जो स्थानीय सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को इस्लामाबाद में स्थानांतरित कर देगा।
गुलाम कश्मीर के लोग लंबे समय से इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भंडार का दोहन करने के इस्लामाबाद के इरादों के बारे में संदेह करते रहे हैं। बार-बार आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान राज्य पीओके में समृद्ध जंगल, खनन और जल संसाधनों का शोषण करता है जबकि कश्मीरी लोगों को कोई लाभ नहीं मिल सका। इस्लाम खबर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने और उनका दोहन करने से पहले यहां तक कि स्थानीय लोगों से भी सलाह नहीं ली जाती है।