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पाकिस्तान में रातोंरात चमक गई मछुआरे की किस्मत, दुर्लभ 'शोवा' मछली को पकड़कर बन गया करोड़पति

पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर शुक्रवार को मछलियों की नीलामी हुई तो एक मछुआरे की ओर से पकड़ी गई मछलियों के लिए उसे सात करोड़ पाकिस्तानी रुपये दिए गए। इस मछली को शावा नाम से जाना जाता है। यह मछली दुर्लभ मानी जाती है क्योंकि इसके पेट से निकलने वाले पदार्थों में बीमारियों के उपचार के औषधीय गुण होते हैं।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 10 Nov 2023 04:41 PM (IST)
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पाकिस्तानी मछुआरा दुर्लभ मछली 'सोवा' बेचकर बना करोड़पति
पीटीआई, कराची। पाकिस्तान के कराची शहर में एक मछुआरा गोल्डन फिश की नीलामी के बाद करोड़पति बन गया। हाजी बलूच और उसके साथ काम करने वालों ने सोमवार को अरब सागर से इन्हें पकड़ा था। इसे शोवा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं।

हाजी बलूच को मछलियों के लिए मिले सात करोड़ रुपये

पाकिस्तान फिशरमेन फोक फोरम के मुबारक खान ने कहा कि शुक्रवार सुबह कराची बंदरगाह पर मछलियों की नीलामी हुई तो हाजी बलूच की ओर से पकड़ी गई मछलियों के लिए उसे सात करोड़ पाकिस्तानी रुपये दिए गए।

सोवा मछली को दुर्लभ क्यों माना जाता है?

शावा मछली को दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि इसके पेट से निकलने वाले पदार्थों में बीमारियों के उपचार के औषधीय गुण होते हैं। मछली से प्राप्त धागे जैसे पदार्थ का उपयोग शल्य चिकित्सा की प्रक्रियाओं में भी किया जाता है।

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एक मछली की कीमत 70 लाख रुपये

हाजी बलूच ने कहा कि नीलामी में एक मछली की कीमत करीब 70 लाख रुपये थी। इस मछली का वजन 20 से 40 किलो के बीच होता है और यह 1.5 मीटर तक बढ़ सकती है। पूर्वी एशियाई देशों में इसकी बहुत मांग है।

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सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व

महत्वपूर्ण बात यह है कि सोवा सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व भी रखती है। इसका उपयोग पारंपरिक दवाओं और स्थानीय व्यंजनों में किया जाता है। ये मछली केवल प्रजनन काल के दौरान ही तट के पास आती है।'