पाकिस्तान ने चीन के आर्थिक गलियारे में तुर्की को भी शामिल होने का दिया प्रस्ताव, कहा- हम कर सकते हैं बात
तुर्की की यात्रा पर गए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति इर्दोगन से चीन की महत्वाकांक्षी सीपैक परियोजना में शामिल होने का आग्रह किया है। बता दें कि ये प्रोजेक्ट गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है जिस पर भारत विरोध जताता रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Sat, 26 Nov 2022 01:51 PM (IST)
इस्लामाबाद (एजेंसी)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। ये गलियारा गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है। इस गलियारे पर भारत शुरुआत से ही नाराजगी जताता रहा है। भारत का कहना है कि ये भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है इसलिए इस क्षेत्र में बाहरी शक्त्यिों का कोई भी निर्माण करना अवैध है।
शरीफ-इर्दोगन की ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेंस
पीएम शहबाज़ शरीफ ने अपनी अंकारा यात्रा के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान तुर्की को ये प्रस्ताव दिया है। पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से कहा गया है कि पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि उन्हें लगता है कि चीन, पाकिस्तान और तुर्की के बीच सहयोग होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो ये अच्छा होगा। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा करके हम मौजूदा चुनौतियों से लड़ सकेंगे।
चीन के साथ पाकिस्तान कर सकता है वार्ता
शरीफ ने कहा कि यदि तुर्की इस परियोजना में शामिल होना चाहता है तो वो चीन से इस बारे में विचार विमर्श करने के लिए भी तैयार हैं। ऐसा करने से उनको खुशी मिलेगी। बता दें कि चीन ने पाकिस्तान के बाद अफगानिस्तान में भी अपनी सीपैक योजना को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। भारत ने चीन की इस मंशा का भी कड़ा विरोध किया है। गौरतलब है कि CPEC चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका मकसद देश के प्राचीन व्यापार मार्गों को नवीनीकृत करना है। चीन की ये योजना करीब 60 बिलियन डालर की है। ये गलियारा चीन के पश्चिमी शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है।चीन पाकिस्तान का अफगानिस्तान को समर्थन
इस महीने की शुरुआत में शरीफ की आधिकारिक यात्रा के दौरान, चीन ने पाकिस्तान को देश की सतत आर्थिक और रणनीतिक परियोजनाओं के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। दोनों देशों ने विदेशों में मौजूद अफगानिस्तान की संपत्तियों को भी अब बैन से हटाने की अपील की थी। चीन का कहना है कि वो अफगानिस्तान में सीपैक का विस्तार कर उसके विकास में सहयोग देना चाहता है। वहीं भारत ने सीपैक से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का कहना है कि भारत सीपैक के तीसरे देश में विस्तार के खिलाफ है। उन्होंने ये भी कहा कि ये प्रोजेक्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि भारत लगातार इसका विरोध करता आ रहा है।