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Pakistan में राजनीतिक हत्याओं का नहीं थम रहा सिलसिला, हमले में कई प्रसिद्ध नेताओं की हुई है मौत

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गुरुवार को गोलीबारी हुई जिसमें वह घायल हो गए। पाकिस्तान में राजनेताओं पर गोलीबारी की यह पहली घटना नहीं है। पिछले सात दशकों में गोलीबारी औरआतंकवादी हमलों में देश के कई राजनेताओं की मौत हुई है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 04 Nov 2022 06:55 PM (IST)
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पाकिस्तान में कई राजनेताओं पर हुए हैं हमले। फाइल फोटो।
इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गुरुवार को गोलीबारी हुई, जिसमें वह घायल हो गए। पाकिस्तान में राजनेताओं पर गोलीबारी की यह पहली घटना नहीं है। पिछले सात दशकों में गोलीबारी और आतंकवादी हमलों में देश के कई राजनेताओं की मौत हुई है। राजनेताओं पर गोली चलने के मामले में अब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का भी नाम जुड़ गया है।

देश के पहले प्रधानमंत्री की हुई थी हत्या

पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी में एक कंपनी के गार्डन में सार्वजनिक रैली के दौरान 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के कारण देश के लोकतंत्र को काफी नुकसान पहुंचा था। जिस बाग में लियाकत अली खान को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी बाद में उस बाग का नाम लियाकत बाग कर दिया गया। गोलीबारी की इस घटना के बाद देश में राजनेताओं का हत्या आम हो गया। मालूम हो कि देश में कई नेताओं पर जानलेवा हमले हुए, जिसमें कई नेताओं की मौत हो गई।

हमले के कारण कई नेताओं की हुई मौत

लियाकत अली खाने के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, उनके भाई मीर मुर्तजा भुट्टो, पाकिस्तान के गुजरात के चौधरी जहूर इलाही, पाकिस्तान के पंजाब के पूर्व गृह मंत्री शुजा खानजादा और अल्पसंख्यकों के पूर्व मंत्री शाहबाज सहित कई राजनेताओं की मौत गोलीबारी और आतंकी हमलों में हुई है। इसके अलावा खैबर-पख्तूनख्वा (KPK) विधानसभा सदस्य बशीर अहमद बिलौर और उनके बेटे हारून बिलौर की हत्या हो चुकी है। इस तरह के हमलों में पूर्व सीनेटर मौलाना समीउल हक, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के सैयद अली रजा आबिदी भी मारे जा चुके है।

बेनजीर भुट्टो और उनके भाई की हुई थी हत्या

पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता अहसान इकबाल पर भी जानलेवा हमला हुआ था। हालांकि वह इस हमले में बच गए थे। 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान एक आत्मघाती हमले में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। इससे पहले 20 सितंबर 1996 को उनके कार्यकाल के दौरान ही उनके भाई मीप मुर्तुजा भुट्टो की पुलिस मुठभेड़ में उनके छह सहयोगियों के साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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