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वर्ष 2020 में आया पाकिस्‍तान की गरीबी में उछाल, 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंचे

पाकिस्‍तान में पिछले वर्ष गरीबी की दर में 5 फीसद की तेजी आई है। इतना ही नहीं इस दौरान करीब 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं। विश्‍व बैंक की ताजा रिपोर्ट में ये बात सामने आई है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 22 Jun 2021 04:28 PM (IST)
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पाकिस्‍तान की गरीबी को लेकर विश्‍व बैंक ने जारी की रिपोर्ट
इस्‍लामाबाद (एएनआई)। वर्ल्‍ड बैंक के अनुमान के मुताबिक बीते वर्ष पाकिस्‍तान की गरीबी में 4.4 फीसद से 5.4 फीसद तक का इजाफा हुआ है। इस अनुमान के मुताबिक देश में करीब 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए हैं। विश्‍व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान में निम्‍न मध्‍यम के बीच गरीबी दर वर्ष 2020-21 में 39.3 फीसद रहा है जबकि इसके वर्ष 2021-22 में 39.2 रहने का अनुमान लगाया गया है।

हालांकि वर्ष 2022-23 में इसके 39.9 फीसद होने की आशंका जताई गई है। न्‍यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार ग्‍लोबल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन के अनुमान के मुताबिक उच्‍च मध्‍यम आय के बीच गरीबी की दर जहां वर्ष 2020-21 में 78.4 फीसद थी वहीं वर्ष 2021-22 में इसके 78.3 फीसद होने का अनुमान है। इसी तरह से वर्ष 2022-23 के लिए इसके 77.5 फीसद होने का अनुमान लगाया गया है।

विश्‍व बैंक का अनुमान है कि पाकिस्‍तान में करीब 40 फीसद परिवार मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं। जब विश्‍व बैंक ने अपने आंकड़े सामने रखे हैं तो पाकिस्‍तान सरकार ने भी वर्ष 2018-19 का आंकड़ा सामने रखा है। इसके मुताबिक वर्ष 2015-16 और 2018-19 के दौरान देश में गरीबी में गिरावट आई थी और ये 21.9 फीसद से 24.3 फीसद के बीच थी।

न्‍यूज इंटरनेशनल के अनुसार ये देश में कोरोना महामारी की दस्‍तक से पहले के आंकड़े हैं। विश्‍व बैंक के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से देश में वर्ष 2020 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियां पूरी ठप हो गई। इस दौरान देश में कामर करने वाली आधी आबादी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और वो बेरोजगार हो गई। इसका सबसे अधिक असर अकुशल मिकों पर पड़ा है।

पाकिस्‍तान कीअर्थव्‍यवस्‍था ने बीते दो दशक के दौरान काफी धीमी तरक्‍की की है। यहां की औसत प्रति व्‍यक्ति आय में केवल दो फीसद की दर से तेजी आई है। विश्‍व बैंक के मुताबिक इसकी वजह कई सारी हैं। देश में इस दौरान कृषि क्षेत्र में भी काम करने वालों पर इसकी मार देखी गई है। यहां पर गरीबी की दर काफी अधिक रही है। देश का चालू खाता घाटा इस बात की तस्‍दीक कर रहा है। इसके मुताबिक मौजूदा वर्ष में इसमें एक फीसद से भी कम की दर से तेजी का अनुमान लगाया गया है।