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ECP के फैसले को चुनौती दें या खुद पर लगे आरोपों को झूठा साबित करें इमरान, ऐसे कई सवालों से घिरे PTI चीफ

तोोशाखाना मामले में पाकिस्‍तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को चारों खाने चित करने का जो दांव खेला है उसने इमरान खान की मुश्किलों को और बढ़ाने काम किया है। पीटीआई चीफ की आगे की राह अब आसान नहीं रहने वाली है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 10:14 AM (IST)
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इमरान खान की चुनौतियों को बढ़ा गया ईसीपी का फैसला
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। तोशाखाना मामले में पांच वर्ष के लिए अयोग्‍य करार दिए गए पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम इमरान खान पर ईसीपी ने दोहरा वार किया है। ईसीपी के फैसले से उनकी मुश्किलें चौतरफा बढ़ गई हैं। हालांकि, फैसले के बाद इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने साफ कर दिया है कि वो इसके खिलाफ इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। लेकिन, इसकी भी राह आसान नहीं है। यदि है भी तो भी इसकी राह काफी लंबी है। बहरहाल, आपको बता दें कि ईसीपी ने अपने फैसले में इमरान खान को 5 साल के लिए अयोग्‍य करार दिए जाने के साथ उनके ऊपर आपराधिक मामला भी दर्ज किया है। इस मामले को चुनाव आयोग ने सेशन कोर्ट के हवाले कर दिया है।

इमरान खान की चुनौतियां

इसमें आयोग ने कहा है कि इमरान खान ने तोशाखाना को मिले तौहफों को न सिर्फ बेच कर फंड जमा किया बल्कि उनकी जानकारी को भी सरकारी कागजों में छिपाया। इस मामले की सुनवाई जल्‍द ही सेशन कोर्ट में शुरू होगी। इस तरह से आने वाले दिनों में इमरान खान चुनाव न लड़ पाने, अपने को सही साबित करने, आयोग के फैसले को गलत साबित करने, मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त को हटाने, जनता को सरकार की नीयत के बारे में बताने, अपनी पार्टी को आगामी चुनाव में मजबूती से खड़ा करने जैसी कई सारी चुनौतियों से निपटना होगा।

कई फोरम में उठेगा मामला 

ईसीपी के खिलाफ इमरान खान केवल कोर्ट तक ही सीमित नहीं रहने वाले हैं बल्कि वो दूसरे फोरम में भी इस मामले को उठाने वाले हैं। इमरान खान की एक मुसीबत ये भी है कि ईसीपी की पांच सदस्‍यीय बैंच ने जो फैसला सुनाया है उस पर सभी सदस्‍यों के साइन नहीं हुए हैं। एक सदस्‍य बीमार होने की वजह से इस पर साइन नहीं कर सका है। यही वजह है कि इस फैसले की लिखित कापी को अब तक पीटीआई को मुहैया नहीं करवाया गया है।

नहीं मिली फैसले की कापी 

पाकिस्‍तान मीडिया की मानें तो इसमें अभी कुछ समय लगेगा। जितना समय कापी मिलने में लगेगा उतना ही समय आगे इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर करने में लगेगा। पीटीआई की लीगल टीम का कहना है कि ये फैसला काफी कमजोर है जो कोर्ट में टिक नहीं पाएगा। लीगल टीम का कहना है कि ईसीपी ने इस फैसले में अपने ही नियमों को ताक पर रखा है।

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