Ghulam Sarwar Khan: पीटीआई नेता सरवर खान गिरफ्तार, 9 मई के दंगे में शामिल रहने का आरोप
Ghulam Sarwar Khan Arrest पाकिस्तान के पूर्व उड्डयन मंत्री गुलाम सरवर खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सरवर खान पर 9 मई को हुए दंगे में शामिल होने का आरोप है। मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। गिरफ्तारी के बाद पीटीआई के कई नेता अपनी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। पार्टी की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। (फाइल फोटो)
By AgencyEdited By: Manish NegiUpdated: Wed, 21 Jun 2023 04:04 PM (IST)
इस्लामाद, एजेंसी। पूर्व पीएम इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। इमरान सरकार में मंत्री रहे और पीटीआई के वरिष्ठ नेता गुलाम सरवर खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि सरवर खान 9 मई को हुए दंगों में शामिल थे।
डॉन समाचार पत्र ने रावलपिंडी पुलिस के प्रवक्ता इंस्पेक्टर सज्जादुल हसन के बयान के हवाले से कहा, 'पूर्व मंत्री को रावलपिंडी और राजधानी की पुलिस ने एक संयुक्त छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। पुलिस ने नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य मंसूर हयात खान और पंजाब प्रांतीय विधानसभा के पूर्व सदस्य अम्मार सिद्दीकी खान को भी हिरासत में लिया था।'
हिंसा मामले में पीटीआई के कई नेता गिरफ्तार
अधिकारी ने कहा कि पूर्व उड्डयन मंत्री और गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों को तक्षशिला के एक पुलिस थाने में ले जाया गया है। बता दें कि 9 मई को हुई हिंसा के मामले में गुलाम के अलावा पीटीआई के कई नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। गुलाम से पहले पुलिस ने पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी को गिरफ्तार किया था। शिरीन मजारी और फवाद चौधरी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी हिंसा के मामले में सरवर खान को एक महीने से भी अधिक समय से ढूंढ रहे थे। सरवर खान मामले में संदिग्ध हैं।
इमराम खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की थी हिंसा
गौरतलब है कि 9 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट के कैंपस में ही अर्धसैनिक बलों ने पीटीआई प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया था। इमरान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में कई जगहों पर हिंसा भड़क गई थी। इमरान खान को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।हिंसा में फूंकी कई इमारतें
इमरान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और राज्य भवनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया या आग लगा दी गई थी। इन दंगों के बाद एजेंसियों ने पाकिस्तान में 10 हजार से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था। इनमें से ज्यादातर पंजाब से थे।