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यूएन में शहबाज शरीफ ने जताई शांति की इच्छा, लेकिन कश्मीर का मुद्दा अलापना नहीं भूले, अनुच्छेद 370 का भी किया जिक्र

यूएन में शहबाज शरीफ ने कहा कि उनका देश भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति का इच्छुक है लेकिन दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता कश्मीर विवाद के न्यायसंगत और स्थायी समाधान पर निर्भर है।

By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Sat, 24 Sep 2022 04:45 AM (IST)
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शहबाज शरीफ ने यूएन में अलापा कश्मीर राग
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति का इच्छुक है, लेकिन दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता कश्मीर विवाद के न्यायसंगत और स्थायी समाधान पर निर्भर है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की 77वीं बैठक को संबोधित करते हुए शहबाज ने दावा किया कि भारत द्वारा पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने की गैरकानूनी और एकपक्षीय कार्रवाई से शांति की संभावना कम हुई है और क्षेत्रीय तनाव बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत इस संदेश को स्पष्ट रूप से समझे कि दोनों देश मारक हथियारों से लैस हैं। युद्ध कोई विकल्प नहीं है। यह कोई विकल्प नहीं है। केवल शांतिपूर्ण संवाद ही इन मुद्दों को हल कर सकता है ताकि आने वाले समय में दुनिया और अधिक शांतिपूर्ण बन सके। भारत बार-बार पाकिस्तान से कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंधों का इच्छुक है जो आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त हों।

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते खराब हो गए थे। भारत के फैसले पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और राजनयिक रिश्तों का स्तर कम करके भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था। शहबाज ने आगे कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है जिससे यह क्षेत्र दुनिया में सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्र बन गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी लोगों ने हमेशा कश्मीरियों के साथ पूरी एकजुटता दिखाई है और आगे भी इसे जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वह भविष्य के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने भारतीय समकक्ष से बात करने के लिए आगे आएंगे ताकि हमारी पीढ़ियों को परेशान न होना पड़े। हम अपने संसाधनों को परेशानियों को कम करने, इन बाढ़ और बादल फटने जैसी आपदा का सामना करने के लिए संरचनाओं के निर्माण पर खर्च कर सकें।

शहबाज ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों को अपने संसाधन ज्यादा से ज्यादा हथियार खरीदने और तनाव बढ़ाने की कोशिश में व्यर्थ नहीं करने चाहिए। उन्होंने कहा, अब यह हम पर है कि हम अपने मतभेदों, समस्याओं या मुद्दों को शांतिपूर्ण वार्ता और विचार-विमर्श के जरिये शांतिपूर्ण पड़ोसियों की तरह सुलझाएं। साथ ही अपने दुर्लभ संसाधनों को करोड़ों लोगों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बचाएं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, मैं वैश्विक मंच को आश्वस्त करता हूं कि हम पाकिस्तान में दक्षिण एशिया में शांति की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेंगे। भारत को रचनात्मक वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। हम पड़ोसी हैं और हमेशा रहेंगे। पसंद हमारी है। चाहे हम शांति से रहें या एक-दूसरे का साथ लड़ते रहें। 1947 के बाद हम तीन लड़ाइयां लड़ चुके हैं। परिणामस्वरूप दोनों तरफ सिर्फ कष्ट, गरीबी और बेरोजगारी में वृद्धि हुई है।

आतंकवाद का दोष अफगानिस्तान पर मढ़ा

अफगानिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि इस समय अफगान की अंतरिम सरकार को अलग-थलग करने से अफगान लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं जो पहले से ही निराश्रित हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर शहबाज ने कहा कि अफगानिस्तान से संचालित प्रमुख आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से आइएसआइएल-के, टीटीपी, अल कायदा, ईटीआइएम और आइएमयू द्वारा उत्पन्न खतरे के बारे में पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख चिंताओं को साझा करता है। उन्होंने कहा, इन सभी से अंतरिम अफगान अधिकारियों के समर्थन और सहयोग से प्रभावी ढंग से और व्यापक रूप से निपटने की आवश्यकता है।

नए स्थायी सदस्य बनाने का किया विरोध

संयुक्त राष्ट्र में सुधार के मसले पर उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में 11 नए अस्थायी सदस्य जोड़े जाने चाहिए। नए स्थायी सदस्य जोड़ने से परिषद की फैसले लेने की व्यवस्था पंगु हो जाएगी और संप्रभु समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए सुविधा के नए केंद्र बनाएंगे।