Pakistan Flood: बलूचिस्तान में बाढ़ पीडि़तों के लिए सिर छुपाने का बड़ा जरिया बना है बाबा माधोदास का मंदिर
बलूचिस्तान का बाबा माधोदास का मंदिर इन दिनों बाढ़ पीडि़तों के लिए बड़ी शरणस्थली बना हुआ है। यहां पर करीब 300 लोग और उनके पालतू जानवर रुके हुए हैं। ये मंदिर पाकिस्तान के बनने से भी पहले से यहां पर मौजूद है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 03:32 PM (IST)
इस्लामाबाद (एजेंसी)। पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ में लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस बाढ़ में बलूचिस्तान के सबसे अधिक जिले प्रभावित हुए हैं। देश के कुल 81 जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं। यहां के बाढ़ पीडि़तों के लिए एक मंदिर बड़ी राहत बनकर सामने आया हे। बलूचिस्तान के काच्छी जिले के एक छोटे से गांव जलाल खान में बने माधोदास मंदिर में कई बाढ़ पीडि़तों ने शरण ले रखी है। यहां पर रुकने वाले वो लोग हैं जिनके घर इस बाढ़ में तबाह हो गए हैं। हालांकि इस गांव के हालात भी कुछ खास अच्छे नहीं है। ये गांव भी बाढ़ की चपेट में है और दूसरे इलाकों से पूरी तरह से कट चुका है। इसके आसपास की कई नदियां उफान पर हैं।
बाढ़ पीडि़तों के साथ जानवरों को भी मिली शरण
इन मुश्किल हालातों में यहां के हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए ये मंदिर किसी बड़ी राहत से कम नहीं है। बाबा माधोदास का ये मंदिर न सिर्फ बाढ़ पीडि़तों को अपने यहां पर शरएा दिए हुए है बल्कि इनके जानवरों को भी इस मंदिर में जगह मिली है। बाबा माधोदास का ये मंदिर भारत के विभाजन से पहले से यहां पर मौजूद है। यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो इस मंदिर में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही बड़े श्रद्धा भाव से आते हैं। यहां आने के लिए कई लोग ऊंटों का इस्तेमाल करते हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक बाबा माधोदास किसी भी धर्म से कहीं ऊपर थे। उन्होंने धर्म की बाउंडरी को गिराकर लोगों की भलाई के लिए काम किया था। वो इंसानियत और मानवता को सबसे ऊपर मानते थे। उनकी निगाह में न कोई छोटा था और न की कोई बड़ा था, न कोई हिंदू था और न ही कोई मुस्लिम था।
हिंदू और मुस्लिम दोनों के ही लिए पूजनीय हैं बाबा माधोदास
आम दिनों में यहां पर बलूचिस्तान के कई इलाकों से लोग आते थे और मन्नत मांगते थे। गांव का ये इलाका कुछ ऊंचाई पर होने की वजह से बाढ़ से फिलहाल बचा हुआ है। यहां पर आए लोगों को दोनों समय का खाना और दूसरी चीजों को भी मुहैया करवाया जा रहा है। यहां के अधिकतर लोग काम की तलाश में बाहर बस चुके हैं। लेकिन कुछ लोग यहां पर अब भी मौजूद हैं। यहां के हिंदू समुदाय के लोग इस मंदिर की देखरेख करते हैं। ये मंदिर काफी बड़ा है। इसमें करीब 100 से अधिक कमरे हैं। इस वजह से अधिक संख्या में यहां लोगों का रुकपाना भी संभव हो पाया है। यहां पर रुकने वालों में बलूचिस्तान के अलावा सिंध के भी लोग हैं। मौजूदा समय में यहां पर करीब 300 लोग रुके हैं। इसके अलावा उनके पालतू जानवर भी हैं।