अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर जताई चिंता, कहा- कानून के शासन को लागू करे सरकार
अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन और बढ़ती हिंसा की घटनाओं को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ सरकार को नागरिकों को खुद को व्यक्त करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति देनी चाहिए।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 12 Mar 2023 06:40 PM (IST)
इस्लामाबाद, पीटीआई। अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान में मानवाधिकार के लगातार हो रहे उल्लंघन और लोकतंत्र को लेकर चिंता जताई है। साथ ही सरकार से देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन को लागू करने को सुनिश्चित करने कहा है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को नागरिकों को खुद को व्यक्त करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति देनी चाहिए।
हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर जताई चिंता
हाउस फारेन अफेयर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ब्रैड शर्मन ने ट्वीट कर पाकिस्तान में बढ़ रही हिंसा को लेकर भी चिंता जाहिर की है। इमरान खान की पार्टी की ओर से जारी किए गए एक वीडियो का हवाला देते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार को देश में मानवाधिकार के उल्लंघन के मामलों को रोकने के लिए दायित्व की याद दिलाई।
'लोकतंत्र के लिए आवाज उठाने से शर्माना नहीं चाहिए'
शर्मन ने कहा कि हम मानवाधिकार के उल्लंघन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के संबंध में पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में खुद को शामिल करना अमेरिका की भूमिका नहीं है, लेकिन, हमें पाकिस्तान या कहीं और मानवाधिकारों और लोकतंत्र के लिए आवाज उठाने से नहीं शर्माना चाहिए। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, "अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध 1940 के दशक की शुरुआत से हैं और इन वर्षों में दोनों देशों ने कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर एक साथ काम किया है।"'शांत और समृद्ध पाकिस्तान देखना चाहते हैं लोग'
हाउस फारेन अफेयर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि हर कोई एक शांत, व्यवस्थित, लोकतांत्रिक और समृद्ध पाकिस्तान देखना चाहता है, जहां पाकिस्तानियों को खुली और राजनीतिक बातचीत करने की आजादी हो। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी एक स्थिर पाकिस्तान देखना चाहता है, जो कानून के शासन का पालन करे।पिछले साल नवंबर में तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान) टीटीपी और सरकार के बीच संघर्षविराम समझौते के टूटने के बाद से आतंकवादियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा बलों और प्रतिष्ठानों और यहां तक कि मस्जिदों और बाजारों पर हमले तेज कर दिए हैं, लेकिन कराची में पिछले कुछ समय से कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।