Attack on Imran Khan: जब जनरल परवेज मुशर्रफ के लिए मृत्यु दंड की मांग कर अंडरग्राउंड हो गए थे इमरान खान
इमरान खान के राजनीतिक सफर में कई बार ऐसा समय भी आया जब वो खुद ही अपने दिए बयानों से डर कर छिप गए या उन्हें उनके दिए बयानों के बाद सरकार को उन्हें नजरबंद करना पड़ा। उन्होंने राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ के खिलाफ भी मोर्चा खोला था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2022 11:40 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइडन डेस्क)। इमरान खान के लान्ग मार्च के दौरान उन पर हुए जानलेवा हमले की पूरी दुनिया में कड़ी निंदा की जा रही है। इसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं और उनकी सुरक्षा में जान-बूझकर सुरक्षा में चूक को लेकर भी बातें की जा रही हैं। हालांकि जिस प्रांत में ये हमला हुआ है वहां पर इमरान खान के
समर्थन वाली सरकार ही है। यही वजह है कि उन्होंने इस लान्ग मार्च के लिए पंजाब को चुना था। उनका ये लान्ग मार्च रविवार को इस्लामाबाद पहुंचना था। बहरहाल, हमले के बाद इमरान खान की हालत स्थिर है और खतरे की भी कोई बात नहीं है। आपको बता दें कि सत्ता से बेहदखल होने के बाद से ही उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। इमरान खान को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जानें- उनका कैसा रहा राजनीतिक सफर।
- राजनीति की शुरुआत करने के बाद वह 2013 के आम चुनाव में पहली बार जीत कर नेशनल असेंबली के सदस्य बने थे। अगस्त 2018 में वो देश के प्रधानमंत्री बने थे। हैरानी की बात ये भी है कि राजनीति में प्रवेश से पहले उन्होंने कभी भी वोट नहीं डाला था। इसको एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद स्वीकार किया था।
- अप्रैल 1996 में उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नाम से एक पार्टी की शुरुआत की।
- 1997 के आम चुनाव में उनकी पार्टी ने 7 जगहों से चुनाव लड़ा लेकिन हार मिली।
- 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता-पलट किए जाने का इमरान खान ने समर्थन किया था। कुछ माह बाद अपने बयान से यू-टर्न लेते हुए इसकी आलोचना भी की थी। बाद में मीडिया में उन्होंने ऐसा करने की वजह भी बताई थी।
- 2002 के आम चुनाव के दौरान इमरान खान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी और आतंकियों पर किए गए हमलों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने पाकिस्तान सरकार द्वारा अमेरिका को मदद दिए जाने के खिलाफ भी आवाज उठाई और कहा कि पाकिस्तान अमेरिका का गुलाम हो चुका है।
- 2002 के के चुनावों में PTI 272 सीटों वाली नेशनल असेंबली में 1 सीट पर जीत हासिल हुई। ये सीट खुद उनकी थी। पहली बार इमरान खान मियांवाली से चुनकर नेशनल असेंबली में गए।
- 2002 में उन्होंने देश पद के लिए तालिबान समर्थक इस्लामी उम्मीदवार का समर्थन किया।
- मई, 2005 में इमरान खान ने ग्वांटनमो की जेल में पवित्र कुरान को नापाक किए जाने के लिए अमेरिका की कड़ी आलोचना की थी। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति जार्ज बुश से माफी मांगने की मांग की थी।
- मार्च 2006 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने पाकिस्तान की यात्रा की तो इमरान को एहतियात के तौर पर नजरबंद किया गया था।
- अक्टूबर, 2007 में उन्होंने 85 अन्य सांसदों के साथ मिलकर नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने ये इस्तीफा जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा अपना कार्यकाल आगे बढ़ाने को लेकर दिया था।
- नवंबर 2007 में जब राष्ट्रपति मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लगाया तो इमरान खान को फिर नजरबंद कर लिया गया था। इसके बाद इमरान खान ने मुशर्रफ पर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए उनके लिए मृत्यु दंड की मांग की थी। इस मांग के बाद वो अंडरग्राउंड तक हो गए थे। कुछ दिन भूमिगत होने के बाद वो पंजाब विश्वविद्यालय में चल रहे स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे। हालांकि इस पर छात्रों ने बवाल किया और पुलिस ने इस दौरान इमरान खान समेत करीब 3 हजार लोगों को हिरासत में लिया जिनमें से एक इमरान खान भी थे।
- फरवरी 2008 में पीटीआई ने आम चुनावों का बहिष्कार किया।
- मार्च 2009 को सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के लिए इमरान खान को घर में नजरबंद कर दिया गया।
- जुलाई 2018 के आम चुनाव में पीटीआई को 116 सीटें मिलीं थीं, जिसके बाद जोड़-तोड़ की राजनीति के जरिए इमरान खान को पीएम पद हासिल हुआ था।
- अप्रैल 2022 को उन्हें एक अविश्वास प्रस्ताव के चलते पीएम पद से हटा दिया गया।
- नवंबर 2022 में उनके ऊपर एक लान्ग मार्च के दौरान जानलेवा हमला किया गया।