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Anwar Ul Haq Kakkar: पाकिस्तानी सेना की पसंद कार्यवाहक PM के रूप में काकड़ ही क्यों, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Anwar ul Haq Kakar अनवार-उल-हक काकड़ को पाकिस्तान का नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुना गया है। काकड़ पाकिस्तान के 8वें केयरटेकर प्रधानमंत्री बने हैं। बीते सोमवार को उन्होंने शपथ ग्रहण की थी। काकड़ को पाकिस्तानी फौज का करीबी भी माना जाता है। आर्मी चीफ आसिम मुनार भी उनके दोस्त बताए जाते हैं। यही वजह है कि बलूचिस्तान के कई नेताओं ने उन्हें केयर टेकर प्रधानमंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 17 Aug 2023 05:15 PM (IST)
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अनवार उल हक काकड़ बने पाकिस्तान के 8वें केयरटेकर PM

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Anwar Ul Haq Kakkar: अनवर-उल-हक काकर (Anwar-Ul-Haq Kakar) को पाकिस्तान का नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया है। निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विपक्ष के नेता राजा रियाज ने दो दौर के विचार-विमर्श के बाद उनके नाम को अंतिम रूप दिया। काकड़ बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) के नेता हैं।

बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का लोअर हाउस भंग होने के बाद 90 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाने जरूरी हैं। लेकिन इसके लिए एक केयरटेकर सरकार की जरूरत थी। पाकिस्तान को एक ऐसे व्यक्त की जरूरत थी जो सरकार को लीड कर सके।

अपदस्थ पीएम शहबाज शरीफ और नेता विपक्ष राजा रियाज को ये फैसला करना था कि किसे केयरटेकर सरकार का जिम्मा दिया जाए, जो बिगड़े हुए हालातों को काबू कर सके। काफी मश्क्कत के बाद ये फैसला एक व्यक्ति के नाम पर आकर रूका... वो नाम है अनवार उल हक काकड़

बता दें कि अनवार उल हक काकड़ पाकिस्तान के 8वें केयरटेकर प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। बीते सोमवार को उन्होंने शपथ ग्रहण की थी। काकड़ को पाकिस्तानी फौज का करीबी भी माना जाता है। आर्मी चीफ आसिम मुनार भी उनके दोस्त बताए जाते हैं। यही वजह है कि बलूचिस्तान के कई नेताओं ने उन्हें केयर टेकर प्रधानमंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी।

अगर बात करें पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट की तो उनके अनुसार, काकड़ के करीबी लोगों को भी नहीं पता था कि वो केयरटेकर पीएम बनने वाले हैं।

पाकिस्तान के नए कार्यवाहक प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए निवर्तमान पीएम शहबाज शरीफ और विपक्ष के नेता राजा रियाज ने दो राउंड तक विचार-विमर्श किया। इसके बाद अनवार के नाम पर आखिरी मुहर लगाई गई।

अनवार उल हक बलूचिस्तान आवामी पार्टी (BAP) के सांसद हैं। वह इस साल होने वाले आम चुनाव तक देश का कार्यभार संभालेंगे। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी अनवार के नाम पर मुहर लगा दी है। 

नए PM का राजनीतिक सफर

अनवार उल हक काकड़ के नामांकन के जवाब में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के नेता अख्तर मेंगल की आलोचना में सच्चाई का एक तत्व है कि राजनेता उन चुनौतियों के लिए भी प्रतिष्ठान की ओर रुख करते हैं जिन्हें उन्हें राजनीतिक रूप से हल करना चाहिए।

मेंगल ने कहा कि काकड़ से मेरा पहला परिचय 2017 की शुरुआत में क्वेटा में बलूचिस्तान पर एक सेमिनार के दौरान हुआ था। वह सम्मेलन के आयोजकों में से एक थे। जिस चीज ने मेरा ध्यान सबसे ज्यादा खींचा वह एक सत्र में मेरी बातचीत पर उनके द्वारा की गई टिप्पणियाँ थीं। उन्होंने लापता व्यक्तियों पर मेरे दावे का जोरदार खंडन किया।

उन्होंने अग्रिम पंक्ति में बैठे सैन्य शीर्ष अधिकारियों के सामने पूछा, 'आप केवल लापता व्यक्तियों के बारे में ही क्यों बात करते हैं?'

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस तरह से उनका बचाव करना बिना किसी उद्देश्य के नहीं हो सकता है। इसके बाद जल्द ही उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री का प्रवक्ता नियुक्त कर दिया गया। इस बीच उन्होंने वॉइस ऑफ बलूचिस्तान नाम से एक गैर-सरकारी संगठन भी स्थापित किया था।

2018 में बलूचिस्तान अवामी पार्टी के गठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बाद वह राजनीतिक सुर्खियों में आए। राजा की पार्टी के निर्माण में सुरक्षा प्रतिष्ठान की भूमिका कोई रहस्य नहीं है। उसी वर्ष, वह सीनेटर बने। इतने कम समय में उनका राजनीतिक उत्थान काफी उल्लेखनीय था।

उन्होंने सार्वजनिक मंचों और चैनलों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत मुद्दों पर प्रतिष्ठानों के दृष्टिकोण को सामने रखा।

बहरहाल, उनकी मिलनसारिता और स्पष्टवादिता (affability and articulation) ने इस्लामाबाद के राजनीतिक हलकों में उनकी एक अलग पहचान बनाई। इस पहचान के चलते ही उनके कई दोस्त भी बने। जो उनके नामांकन में एक अतिरिक्त कारक बना।

सेना की भूमिका क्या है? 

जैसा कि लोगों को पता है कि पाकिस्तान में सरकार सेना के हाथों में ही है। पाकिस्तान की सरकार पर्दे के पीछे से पाकिस्तानी सेना द्वारा ही चलाई जाती है। 

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर कार्यवाहक सरकार का कार्यकाल बढ़ जाता है तो पाकिस्तानी सेना फिर से देश की कमान अपने हाथ में ले लेगी और ऐसा होने के बाद पाकिस्तानी सेना ही ये फैसला भी करेगी कि चुनाव कब होने हैं। 

क्या टल सकते हैं चुनाव?

पाकिस्तानी संविधान के अनुसार, कार्यवाहक सरकार को 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने होंगे। हालांकि, अंतरिम सरकार ने अपने आखिरी दिनों में नई जनगणना को मंजूरी दे दी है। इस वजह से अब पाकिस्तानी चुनाव आयोग को नई चुनावी सीमाएं तैयार करनी होंगी। चुनाव आयोग को राज्य और देश के आधार पर नए निर्वाचन क्षेत्रों का सीमांकन करने में 6 महीने या उससे ज्यादा समय लग सकता है। 

चुनाव आयोग को इस बात का भी ऐलान करना है कि आखिर इस पूरी प्रक्रिया को खत्म होने में कितना समय लगेगा। इस दौरान अगर नए निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए, तो उसके लिए कुछ लोग चुनाव आयोग के खिलाफ मुकदमे भी करेंगे। कुल मिलाकर इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही चुनाव की तारीख बताई जाएगी। ये भी हो सकता है कि चुनाव 90 दिनों से ज्यादा वक्त बाद करवाएं जाएं। 

रियाज ने सुझाया था काकड़ का नाम?

असेंबली भंग होने के बाद से ही पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थी। इस बीच रियाज ने कहा कि हमने तय किया था कि अंतरिम प्रधानमंत्री एक छोटे प्रांत से होगा। उन्होंने कहा कि अनवार-उल-हक का नाम मैंने ही सुझाया था, जिसे मंजूरी दे दी गई।

राष्ट्रपति ने शरीफ को लिखा था पत्र?

यह घटनाक्रम तब हुआ, जब राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने पीएम शहबाज को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्हें और विपक्षी नेता को 12 अगस्त 2023 तक अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए उपयुक्त व्यक्ति का सुझाव देने की याद दिलाई थी।

पीएम शहबाज और रियाज को लिखे पत्र में राष्ट्रपति ने सूचित किया था कि अनुच्छेद 224ए के तहत उन्हें नेशनल असेंबली के विघटन के तीन दिनों के भीतर अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए एक नाम प्रस्तावित करना है।

राष्ट्रपति ने लिखा, जैसा कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 224 (1ए) में प्रावधान है, प्रधानमंत्री और निवर्तमान नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता 12 अगस्त से पहले कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए एक उपयुक्त व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रख सकते हैं।

पाक संविधान के क्या हैं नियम?

शरीफ ने कहा कि संविधान में संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के भंग होने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए सिर्फ 8 दिन का प्रावधान है।

संविधान के अनुसार, नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री और निवर्तमान विपक्षी नेता के पास अंतरिम प्रधानमंत्री का नाम तय करने के लिए 3 दिन का समय होता है। यदि दोनों किसी नाम पर सहमत नहीं हो पाते हैं तो फिर ये मामला संसदीय समिति के पास भेजा जाता है। 

इसके बाद भी अगर ये समिति भी कोई फैसला नहीं ले पाती है तो पाकिस्तान चुनाव आयोग के पास आयोग के साथ साझा किए गए नामों की सूची द्वारा कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनने के लिए 2 दिन का समय होता है। 

कौन हैं अनवार-उल-हक काकड़?

  • पाकिस्तानी मीडिया द न्यूज के अनुसार, काकड़ का जन्म 1971 में बलूचिस्तान के मुस्लिम बाग में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल, क्वेटा से प्राप्त की और बाद में कैडेट कॉलेज कोहाट में दाखिला लिया। उन्होंने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।
  • बीबीसी उर्दू का हवाला देते हुए, डॉन ने बताया कि काकड़ पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री की भूमिका संभालने वाले बलूचिस्तान के दूसरे व्यक्ति होंगे।
  • उन्होंने अपना राजनीतिक करियर पीएमएल-एन के साथ शुरू किया था, लेकिन 1999 में दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा सैन्य तख्तापलट के परिणामस्वरूप नवाज सरकार के अंत के बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया।
  • 2018 में, काकड़ को बलूचिस्तान से एक स्वतंत्र सीनेटर के रूप में चुना गया था। पद संभालने के बाद, उन्होंने बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) नामक एक नई राजनीतिक पार्टी की सह-स्थापना की।
  • उन्होंने बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम किया है और सैन्य प्रतिष्ठान के साथ अपने करीबी संबंधों के लिए जाने जाते हैं।
  • पार्टी की शुरुआत के बाद से जब राष्ट्रवादी पार्टियों से निपटने की बात आती है तो वह कठोर रुख नहीं अपनाते हैं।
  • मीडिया समाचार के अनुसार, उन्होंने 2018 में कहा था कि राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ हमारी कोई जिद या कठोरता नहीं है। गेंद उनके पाले में है कि वे क्या चाहते हैं, यह तय करना है।
  • डॉन के अनुसार, काकड़ ने सीनेट में अपने कार्यकाल के दौरान कई भूमिकाएं निभाईं हैं। वह प्रवासी पाकिस्तानियों और मानव संसाधन विकास पर सीनेट की स्थायी समिति के अध्यक्ष थे। वह व्यापार सलाहकार समिति, वित्त और राजस्व, विदेशी मामले, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सदस्य थे। उन्होंने सीनेट के भीतर बीएपी के लिए संसदीय नेता की भूमिका भी निभाई थी।

ड्राइविंग सीट पर है आर्मी का कब्जा?

पिछले 16 महीनों में हमने हाइब्रिड-प्लस नियम का अनुभव किया है। देश की आर्थिक और निवेश नीतियों का नेतृत्व करने वाली एक सर्वोच्च संस्था में सेना नेतृत्व को शामिल करने से राजनीतिक भूमिका में सेना का दखल बढ़ा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने भी काकड़ के नामांकन को चुपचाप से मंजूरी दे दी है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस फैसले के बाद शायद काकड़ PDM को अलग-थलग और कमजोर कर देंगे। लेकिन इस दौरान उन्हें यह एहसास नहीं था कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों की लगातार बढ़ रही शक्ति पार्टी पर दबाव कम करने में किसी तरह की कोई मदद नहीं करेगी।

सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि कुछ बलूच राजनीतिक नेताओं की ओर से इस नाम का विरोध किया गया था लेकिन इसके बाद भी इस महत्वपूर्ण पद के लिए किसी प्रतिष्ठान द्वारा नामांकित व्यक्ति के चयन को लेकर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं की गई।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अनवार उल हक काकड़ पाकिस्तान के 8वें केयरटेकर प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। बीते सोमवार को उन्होंने शपथ ग्रहण की थी। काकड़ को पाकिस्तानी फौज का करीबी भी माना जाता है। आर्मी चीफ आसिम मुनार भी उनके दोस्त बताए जाते हैं। यही वजह है कि बलूचिस्तान के कई नेताओं ने उन्हें केयर टेकर प्रधानमंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी।

स्वतंत्रता दिवस पर अनवार उल हक काकड़ ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

पाकिस्तानी मीडिया द न्यूज के अनुसार, काकड़ का जन्म 1971 में बलूचिस्तान के मुस्लिम बाग में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल, क्वेटा से प्राप्त की और बाद में कैडेट कॉलेज कोहाट में दाखिला लिया। उन्होंने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।