Russia-Ukraine War:आने वाले दिनों में यूक्रेन डालेगा हथियार या रूस करेगा पूरे देश पर कब्जा! जानें- 6 माह पूरे होने पर क्या कहते हैं जानकार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को दो दिन बाद 6 माह पूरे हो जाएंगे। इस दौरान जहां यूक्रेन ने काफी कुछ खोया है वहीं रूस को भी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद भी सीजफायर को कोई देश तैयार नहीं है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 11:18 AM (IST)
मास्को/कीव (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को 6 माह पूरे होने वाले हैं। मौजूदा समय में न तो इसके खत्म होने के कोई आसार दिखाई दे रहे हैं और न ही ऐसी ही कोई सूरत दिखाई देती है कि आने वाले कुछ दिनों के अंदर रूस यूक्रेन पर कब्जा ही कर लेगा। ऐसा भी नहीं है कि कुछ दिनों के अंदर दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर ही कोई समझौता हो जाए। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर आगे क्या होगा।
शुरू होने वाली हैं सर्दियां सर्दियां शुरू होने वाली हैं। यूक्रेन समेत समूचे यूरोप को रूस की गैस की सख्त जरूरत है। रूस इसको लेकर अपना रुख साफ कर चुका है। फिलहाल रूस की तरफ से जो गैस की सप्लाई की जा रही है वो पहले की अपेक्षा आधी भी नहीं रह गई है। सर्दियों में रूस की तरफ से इसमें भी कटौती किए जाने के संकेत भी सामने आ रहे हैं। इन 6 माह के दौरान रूस ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर भी दिखाई देने लगा है।
राष्ट्रपति पुतिन कर सकते हैं ऐलानऐसे में कुछ जानकारों का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन धीरे-धीरे इस लड़ाई से पीछे हटेंगे। वहीं कुछ का कहना है कि पुतिन किसी भी यूक्रेन के और अंदर दाखिल होने का ऐलान कर सकते हैं। मास्को के राजनीतिक विश्लेषक कोंस्तानटिन कलाचेव का कहना है कि 6 माह से जारी इस लड़ाई में दोनों ही देशों का कुछ न कुछ नुकसान जरूर हुआ है। इसके बावजूद कोई भी देश सीजफायर को तैयार नहीं है।
पीछे नहीं हट सकता यूक्रेन कलाचेव का कहना है कि वो इस जंग में अब पीछे नहीं हट सकता है। वो अपने खोए हुए इलाकों को वापस लेकर रहेगा। वहीं रूस इस तरह की बात सोचना भी नहीं चाहता है। ऐसे में न किसी की हार न किसी की जीत की सूरत बन गई है। कलाचेव के मुताबिक ये जंग कुछ वर्ष तक और खिंच सकती है। रूस को पूरा विश्वास है कि इस जंग में उसकी जीत जरूर होगी। कलाचेव ने एएफपी से एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि समय और किस्मत दोनों ही यूक्रेन के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही हैं। उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है।
हर कोई कर रहा अपनी जीत का दावा यूरोपीयन काउंसिल आन फारेन रिलेशन की डायरेक्टर मैरी ड्यूमोलिन का कहना है कि हर किसी को लग रहा है कि वो अपने मिलिट्री आपरेशन में जीत रहा है। इसलिए इस जंग के जल्द खत्म होने के कोई आसार नहीं हैं। वो यूक्रेन को नाटो की तरफ जाने के लिए दंडित करना चाहते हैं। ओडेशा के बंदरगाह पर कब्जा कर वो यूक्रेन के एक्सपोर्ट को रोककर देश की आर्थिक हालत को और कमजोर कर देना चाहते हैं।
रूस का युद्धपोत डुबोना मैरी के मुताबिक यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की सेना ने अप्रैल में काला सागर में तैनात रूस के मोस्कवा मिसाइल क्रूजर को डुबोकर एक बड़ी सफलता हासिल की थी। यूक्रेन आगे भी ऐसा ही कदम उठा सकता है। मेरी के मुताबिक यूक्रेन यूरोपीयन यूनियन से और सहयोग की अपेक्षा भी रखता है। मिलिट्री हार्डवेयर, इंटेलिजेंस रिपोर्ट, और दूसरी अहम चीजों में यूक्रेन हिस्सेदार बनना चाहता है। इसके बाद भी वो रूस को डोनबास और काला सागर के नजदीक जाने से रोक नहीं सकता है।
घातक हथियारों की मांग क्रिमिया प्रायद्वीप पर पहले से ही रूस का नियंत्रण है। बीते 8 वर्षों से रूस की सेना यहां पर मौजूद है। यही वजह है कि जेलेंस्की लगातार यूक्रेन की सेना के लिए अधिक घातक हथियार मांग रहे हैं। फ्रेंच इंस्टिट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशन की रिसर्च फैलो दिमित्री मिनिक का कहना है कि यूक्रेन की सरकार और वहां के लोग काफी हद तक एकजुट हैं। लेकिन वो अपनी सुरक्षा के लिए पश्चिमी देशों की तरफ देख रहे हैं।
यूक्रेन के लिए बड़ा इम्तिहान आने वाली सर्दियां यूक्रेन के लोगों का कड़ा इम्तिहान लेने वाली हैं। इसमें होने वाली तेल और गैस की कमी से यूक्रेन के लोग कैसे बचते हैं ये देखना काफी दिलचस्प होगा। यूक्रेन के लगभग 40 फीसद स्कूल बंद हैं। इनमें सितंबर में दोबारा क्लासेज शुरू होंगी। इसके साथ ही सभी को एक साइक्लोजिकल ट्रामा से गुजरना होगा। ये सब कुछ इतना आसान नहीं होगा।