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भारत और रूसी सेना की जुगलबंदी से बेचैन हुए पाकिस्‍तान और चीन, दोनों के सपनों पर फ‍िरा पानी

पिछले कई वर्षों से भारत-रूस संबंधों की मजबूती पर सवाल उठते रहे हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण रूस के साथ भारत की करीबी साझेदारी एवं विशेष रिश्‍ते कमजोर हो रहे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 11:00 PM (IST)
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भारत और रूसी सेना की जुगलबंदी से बेचैन हुए पाकिस्‍तान और चीन। फाइल फोटो।

मॉस्‍को/नई दिल्‍ली, एजेंसी। भारत और रूस के संबंधों पर उठ रहे सवालों के बीच दोनों देशों की सैनिक इंद्र-2021 संयुक्त युद्धाभ्यास में अपना दमखम का प्रदर्शन कर रहे हैं। रूस के वोल्गोग्राड में जारी इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के सैनिक एक साथ युद्ध की बारीकियां सीख रहे हैं। इसमें टैंक, हेलिकॉप्टर, लड़ाकू विमान और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दोनों देशों के बीच इस संयुक्त युद्धाभ्यास से चीन और पाकिस्‍तान बेचैन हुए हैं। इस युद्धाभ्यास की खास बात यह है कि आतंकवादी हमलों को नाकाम करने और जवाबी कार्रवाई करने की ट्रेनिंग भी हो रही है। बता दें क‍ि भारत और रूस दोनों ही लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। रूस में एक तरफ जहां चेचेन्या के उग्रवादियों ने पिछले दशक तक जमकर कोहराम मचाया था, वहीं भारत को अब भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है।

एक वर्ष रूस के इस बयान से खुश हुए थे पाक और चीन

पिछले कई वर्षों से भारत-रूस संबंधों की मजबूती पर सवाल उठते रहे हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण रूस के साथ भारत की करीबी साझेदारी एवं विशेष रिश्‍ते कमजोर हो रहे हैं। रूस की सरकारी थिंक टैंक रशियन इंटरनेशनल अफेयर्स काउंसिल के एक कार्यक्रम में लावरोव ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के कारण भारत हमसे दूर होता जा रहा है। रूस के इस बयान का असर पाकिस्‍तान और चीन पर जरूर पड़ा होगा। दोनों देश रूसी विदेश मंत्री के बयान के बाद जरूर खुश हुए होंगे। दोनों देशों के ताजा सैन्‍य अभ्‍यास से चीन और पाकिस्‍तान मायूस हुए होंगे।

100 तरह के अलग-अलग सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल

दोनों देशों के बीच दो हफ्ते तक चलने वाले इस सैन्‍य अभ्‍यास में दोनों सेना के 250-250 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं लगभग 100 तरह के अलग-अलग सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल करेंगी। इस युद्धाभ्यास में विभिन्न प्रकार के ग्रैड मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा रूस के दक्षिणी सैन्य जिले में तैनात लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर जमीनी सेना को हवाई सहायता मुहैया करवा रहे हैं। इस युद्धाभ्यास में टी-90 मुख्य युद्धक टैंक और एमबीपी-3 इंफ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल (IFV) से भी गोलीबारी की जा रही है।

टी-90 टैंक की खूबियां

  • यह टैंक रूसी सेना में 1992 में शामिल हुआ था। 2001 में इस टैंक के पहले विदेश खरीदार के रूप में भारत ने रूस से संपर्क किया था। इस समझौते में भारत ने रूस से कुल 310 टैंक खरीदा।
  • भारतीय सेना को उसका पहला टी-90एस टैंक 2004 में मिला था। यह दिन और रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है। इसमें 1000 हॉर्स पावर का शक्तिशाली इंजन लगा हुआ है। यह एक बार में 550 किमी की दूरी तय कर सकता है।
  • टी-90 टैंक रूस ही नहीं बल्कि भारतीय सेना का भी सबसे प्रमुख हथियार है। टी-90S टैंक तीसरी पीढ़ी का मेन बैटल टैंक है। इसमें 125 एमएम की स्मूथबोर कैनन लगी होती है।
  • यह टैंक सामान्य गोले दागने के अलावा कई तरह के अन्य हथियारों को भी फायर करने में सक्षम है। इस टैक में एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर लगी होती है, जो दुश्मन के किसी भी हमले को नाकाम करने में सक्षम है।
  • इसमें लगी मिसाइल लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स जैसे हेलिकॉप्टर और छोटे ड्रोन को भी मार गिराने में सक्षम है। इसमें 7.62 मिलीमीटर की मशीनगन और 12.7 मिलीमीटर की एयर डिफेंस मशीनगन भी लगी होती है।