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भारत से पहले चीन को हुई रूसी S- 400 Triumf मिसाइल सिस्‍टम की डिलीवरी

भारत और रूस के बीच एस 400 मिसाइल सिस्‍टम को लेकर बातचीत अंतिम दौर में ही है जबकि चीन को इसकी खेप की पहली डिलीवरी भी कर दी गई है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 04 Apr 2018 08:42 PM (IST)
भारत से पहले चीन को हुई रूसी S- 400 Triumf मिसाइल सिस्‍टम की डिलीवरी
नई दिल्ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। रूस के मिसाइल सिस्‍टम एस 400 पर भारत से पहले चीन ने बाजी मार ली है। इसको लेकर फिलहाल भारत और रूस के बीच बातचीत अंतिम दौर में ही है जबकि चीन को इसकी खेप की पहली डिलीवरी भी कर दी गई है। रूसी मीडिया के मुताबिक चीन को एस 400 के दो मिसाइल सिस्‍टम की मंगलवार को पहली डिलीवरी की गई। आने वाले दिनों में एक और सिस्‍टम की डिलीवरी की जानी है। इस पूरे सिस्‍टम के तहत एक कमांड पोस्‍ट, राडार स्‍टेशन, लॉचिंग स्‍टेशन समेत दूसरी जरूरी चीजें शामिल होती हैं। वहीं यदि भारत की बात करें तो रूस की मीडिया ने कहा है कि इस वर्ष तक भारत को भी इसकी आपूर्ति कर दी जाएगी। आपको ये भी बता दें कि फिलहाल भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रूस के दौरे पर हैं। वह यहां पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर होने वाले सातवें मास्को सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आई है। इसी दौरान वह एस 400 को लेकर भी बात करेंगी।

चीन से भारत को खतरा

निर्मला की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच करीब 40,000 करोड़ रुपये के एस- 400 मिसाइल सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर भारत ने इस प्रणाली को खरीदने की योजना बनाई है। आपको बता दें कि चीन से भारत की करीब चार हजार किमी लंबी सीमा मिलती है, जो कहीं-कहीं पर स्‍पष्‍ट भी नहीं है। इसकी वजह से अक्‍सर दोनों देशों की सेनाओं के बीच अवरोध भी उत्‍पन्‍न हो जाता है। हालांकि चीन ने हाल ही में जिस तरह से भारत से लगती सीमा पर अपनी तैयारियों को बल दिया है उसी तरह से भारत ने भी अपनी सीमा पर सुरक्षा को और पुख्‍ता कर दिया है।

चीन ने मारी बाजी

वहीं दूसरी तरफ चीन के पास एस-400 होने के मद्देनजर यह और जरूरी हो गया है कि भारतीय सेना के पास भी यह हो। यहां पर आपको ये भी बता दें कि चीन ने सबसे पहले रूस से इस मिसाइल के लिए सौदा किया था। एस- 400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिए उसकी बातचीत करीब दो साल से चल रही थी। इस एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम में एक साथ चार मिसाइलों का इस्तेमाल होता है। एस-400 असल में इसके पहले आए एस-300 मिसाइल प्रणाली का बेहतर संस्करण है। इसे रूस का सबसे बेहतर लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। भारत रूस के साथ एस 400 सिस्‍टम के अलावा पनडुब्‍बी भी खरीदने का भी इच्‍छुक है, लेकिन इस पर अभी गतिरोध बना हुआ है।

2019 में होगी तुर्की को एस 400 की डिलीवरी

जहां तक एस-400 की बात है तो रूस ने इसको अपनी सेना में वर्ष 2007 में शामिल किया था। नाटो में इसका नाम SA-21 Growler है। इसके अलावा सीरिया में भी रूस ने इसको तैनात किया हुआ है। एस प्रणाली पर सिर्फ भारत और चीन की ही निगाह नहीं है बल्कि दूसरे देश भी इसको खरीदने के इच्‍छुक हैं। तुर्की ने भी इसको लेकर रूस से समझौता किया हुआ है। दोनों देशों के बीच यह समझौता वर्ष 2016 में हुआ था। इसके बाद इसकी डिलीवरी को लेकर हाल ही में दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच वार्ता हुई है। इसके मुताबिक रूस ने तुर्की को इसकी पहली डिलीवरी वर्ष 2019 में करने की बात कही है। हालांकि वार्ता के दौरान तुर्की के राष्‍ट्रपति रसैप तैय्यप इरोदगन ने व्‍लादमीर पुतिन ने इसकी डिलीवरी जल्‍द कराने का अनुरोध किया है।

एस 400 का संयुक्‍त उत्‍पादन कर सकते हैं तुर्की-रूस

इस वार्ता के दौरान पुतिन ने यहां तक कहा है यदि तुर्की चाहेगा तो दोनों देश इसका संयुक्‍त रूप से उत्पादन कर सकते हैं। इसको लेकर रूस द्वारा तुर्की को तकनीक हस्‍तांतरण करने में कोई दिक्‍कत नहीं है। आपको बता दें कि तुर्की ने एस-400 के अलावा एस 300 का भी सौदा रूस के साथ किया हुआ है। पुतिन और इरोदगन की वार्ता के दौरान यह साफ कर दिया गया है कि तुर्की को इसकी पूरी खेप 2020 तक कर दी जाएंगी। यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि तुर्की दूसरा नाटो देश है जिसने रूस के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देते हुए इस सिस्‍टम का सौदा किया है। इससे पहले ग्रीस ने भी रूस के साथ इसको लेकर हाथ मिलाया है।

एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खासियत

- एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम एक साथ तीन तरह की मिसाइल दागने में सक्षम है।

- यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों को भेद सकती है।

- यह मिसाइल प्रणाली 400 किमी दूर तक मौजूद दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन को भी मार गिराने में सक्षम है।

- यह प्रणाली एस 300 मिसाइल का ही उन्नत रूप है।

- ये रूस की नई पीढ़ी का एंटी एयरक्राफ्ट वेपन है जिसे रूसी एल्मेज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने विकसित किया है।

- इस मिसाइल सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे सभी तरह के एरियल टारगेट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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- यह मिसाइल प्रणाली किसी भी हवाई हमले को 400 किमी की रेंज में और 10,000 फीट की ऊंचाई तक सटीक हमला कर सकती है।

- हवा में (एयरोडाइनिमिक) लक्ष्यों के लिए रेंज- 3 किमी से 240 किमी की दूरी तय है।

- प्रक्षेपित (बैलिस्टिक) लक्ष्यों के लिए रेंज- 5 किमी से 60 किमी की दूरी तय है।

- मिसाइल सिस्टम की अधिकतम रफ्तार 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड तक है।

- 10,000 फीट (30 किमी) की ऊंचाई तक निशाना साध सकता है।

- इसकी तैनाती में 5 से 10 मिनट तक का समय लगता है।

- इसकी तय करने दूरी अमेरिका के एमआईएम-104 से दोगुनी है।

- इसका मुख्य काम दुश्मनों के स्टील्थ विमान को हवा में उड़ा देना है।

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