खुशी से छलकी आंखें जब मलबे के नीचे से 35 घंटे बाद जिंदा निकला दस माह का मासूम
नव वर्ष का आना हर किसी के लिए ही खुश होने का अवसर है। लेकिन यह खबर इससे कहीं आगे की है जिसको पढ़कर निश्चिततौर पर आपको भी खुशी होगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 03 Jan 2019 07:20 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। नव वर्ष का आना हर किसी के लिए ही खुश होने का अवसर है। लेकिन यह खबर इससे कहीं आगे की है जिसको पढ़कर निश्चिततौर पर आपको भी खुशी होगी। दरअसल, यह कहानी रूस के एक दस माह के दुधमुहे बच्चे की है जिसको 35 घंटों की मशक्कत के बाद मलबे से जीवित निकाल लिया गया। बच्चे को जीवित देख और उसकी किलकारी सुनकर सही मायने में बचावकर्मियों की चेहरे पर जो मुस्कान दिखाई दी वह देखने लायक थी। इसको नए वर्ष का चमत्कार कहा जा रहा है।
धमाके से उड़ गई प्रशासन की नींद
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले दिनों मेग्नीटोगोरस्के सिटी में हुए जबरदस्त धमाके के बाद करीब 25 इमारतें ध्वस्त हो गई थीं। इनमें दस मंजिला इमारत भी थी। धमाके की वजह गैस रिसाव बताई जा रही है। इस धमाके ने पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। धमाका इतना जबरदस्त था कि इसकी आवाज काफी दूर तक सुनी गई। इस घटना के कुछ देर के बाद पूरे इलाके में पुलिस और बचावकर्मियों की गाडि़यों के सायरन की आवाजें गूंजने लगी। जिस जगह यह हादसा हुआ है वह मास्को से करीब एक हजार मील दूर दक्षिण में स्थित है। यह इंडस्ट्रियल सिटी के नाम से रूस में मशहूर है। कुछ मीडिया के जरिए सामने आई खबरों में इस धमाके को आतंकी हमले से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले दिनों मेग्नीटोगोरस्के सिटी में हुए जबरदस्त धमाके के बाद करीब 25 इमारतें ध्वस्त हो गई थीं। इनमें दस मंजिला इमारत भी थी। धमाके की वजह गैस रिसाव बताई जा रही है। इस धमाके ने पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। धमाका इतना जबरदस्त था कि इसकी आवाज काफी दूर तक सुनी गई। इस घटना के कुछ देर के बाद पूरे इलाके में पुलिस और बचावकर्मियों की गाडि़यों के सायरन की आवाजें गूंजने लगी। जिस जगह यह हादसा हुआ है वह मास्को से करीब एक हजार मील दूर दक्षिण में स्थित है। यह इंडस्ट्रियल सिटी के नाम से रूस में मशहूर है। कुछ मीडिया के जरिए सामने आई खबरों में इस धमाके को आतंकी हमले से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
18 की मौत कई लापता
इस घटना में 18 लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनभर से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। पिछले दो दिनों से दिन और रात यहां पर बचावकर्मी मलबे में जिंदगी तलाश रहे हैं। बचाव का काम कुछ धीमी गति से चलने के पीछे भी एक बड़ी वजह है। वो ये कि मशीनों की मदद लेने से इसमें दबे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए बचावकर्मी एहतियात से आगे बढ़ रहे हैं। बचाव की धीमी गति की दूसरी बड़ी वजह यहां का तापमान है जो लगातार परेशानी खड़ी कर रहा है। आपको बता दें कि यहां का दिन का तापमान माइनस 17 डिग्री सेल्सियस और रात में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।
इस घटना में 18 लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनभर से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। पिछले दो दिनों से दिन और रात यहां पर बचावकर्मी मलबे में जिंदगी तलाश रहे हैं। बचाव का काम कुछ धीमी गति से चलने के पीछे भी एक बड़ी वजह है। वो ये कि मशीनों की मदद लेने से इसमें दबे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए बचावकर्मी एहतियात से आगे बढ़ रहे हैं। बचाव की धीमी गति की दूसरी बड़ी वजह यहां का तापमान है जो लगातार परेशानी खड़ी कर रहा है। आपको बता दें कि यहां का दिन का तापमान माइनस 17 डिग्री सेल्सियस और रात में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।
बच्चे को बचाने में लगे 35 घटे
यहां पर 35 घंटों की मशक्कत के बाद एक दस माह के बच्चे के साथ पांच अन्य लोगों को भी बचाया गया। दस माह के बच्चे का नाम वान्या है। बचावकर्मियों को इस बच्चे के मलबे में दबे होने का पता उसकी चीख से चला था। इसके बाद ही इस बच्चे को बचाने के लिए बचावकर्मियों ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। बचावकर्मियों को यह नहीं पता था बच्चे की लॉकेशन क्या है। यहां के इमरजेंसी मिनिस्टर के मुताबिक इस पूरे रेस्क्यू प्रोग्राम में करीब सौ लोग जुटे थे। नम हो गई आंंख
इस बच्चे को सकुशल देख वहां मौजूद बचावकर्मियों की आंखें खुशी से नम हो गईं। इस बच्चे ने पीले रंग की टीशर्ट और सफेद जुराब पहने हुए थे। यह बच्चा पूरी तरह से मलबे की डस्ट से अटा पड़ा था और हाथ-पांव मार कर चीख रहा था। बच्चे को निकालना बेहद मुश्किल इसलिए भी था क्योंकि उस तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों को टनों मलबा हटाना था। बच्चे की बेहद धीमी सी आवाज बचावकर्मियों को सुनाई दे रही थी। यह बच्चा यूं तो पालने में था, जो लगभग टूट चुका था। उसके पांव कंबल से ढके थे और सिर बाहर निकला हुआ था। एयरलिफ्ट कर पहुंचाया गया अस्पताल
जिस वक्त बचावकर्मियों ने पहली बार इस बच्चे की झलक देखी तो सभी लोगों को एक उम्मीद जगी की वह इस बच्चे को सकुशल निकालने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन वक्त तेजी से गुजर रहा था और तापमान लगातार गिर रहा था। यह दोनों ही चीजें बच्चे को सकुशल बाहर निकालने में आड़े आ रही थीं। लेकिन इन चुनौतियों को दूर कर बचावकर्मी इसको निकालने में जुटे रहे। अंत में वह कामयाब भी हुए। बच्चे को निकालने के बाद उसको अस्पताल के लिए एयरलिफ्ट किया गया। फिलहाल यह बच्चा डॉक्टरों की निगरानी में है। उसके सिर में चोट लगी है और बच्चे को बचाने की भी कोशिश की जा रही है। इस हादसे में बच्चे की मां और बाप बच गए। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वकत दोनों ही घर पर नहीं थे। यह हादसा दो दिन पहले हुआ था। उस दिन रूस में छुट्टी थी। चीन के हाथों से निकलने को तैयार हो रहा हांगकांग, लंबा है प्रदर्शनों का इतिहास
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यहां पर 35 घंटों की मशक्कत के बाद एक दस माह के बच्चे के साथ पांच अन्य लोगों को भी बचाया गया। दस माह के बच्चे का नाम वान्या है। बचावकर्मियों को इस बच्चे के मलबे में दबे होने का पता उसकी चीख से चला था। इसके बाद ही इस बच्चे को बचाने के लिए बचावकर्मियों ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। बचावकर्मियों को यह नहीं पता था बच्चे की लॉकेशन क्या है। यहां के इमरजेंसी मिनिस्टर के मुताबिक इस पूरे रेस्क्यू प्रोग्राम में करीब सौ लोग जुटे थे। नम हो गई आंंख
इस बच्चे को सकुशल देख वहां मौजूद बचावकर्मियों की आंखें खुशी से नम हो गईं। इस बच्चे ने पीले रंग की टीशर्ट और सफेद जुराब पहने हुए थे। यह बच्चा पूरी तरह से मलबे की डस्ट से अटा पड़ा था और हाथ-पांव मार कर चीख रहा था। बच्चे को निकालना बेहद मुश्किल इसलिए भी था क्योंकि उस तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों को टनों मलबा हटाना था। बच्चे की बेहद धीमी सी आवाज बचावकर्मियों को सुनाई दे रही थी। यह बच्चा यूं तो पालने में था, जो लगभग टूट चुका था। उसके पांव कंबल से ढके थे और सिर बाहर निकला हुआ था। एयरलिफ्ट कर पहुंचाया गया अस्पताल
जिस वक्त बचावकर्मियों ने पहली बार इस बच्चे की झलक देखी तो सभी लोगों को एक उम्मीद जगी की वह इस बच्चे को सकुशल निकालने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन वक्त तेजी से गुजर रहा था और तापमान लगातार गिर रहा था। यह दोनों ही चीजें बच्चे को सकुशल बाहर निकालने में आड़े आ रही थीं। लेकिन इन चुनौतियों को दूर कर बचावकर्मी इसको निकालने में जुटे रहे। अंत में वह कामयाब भी हुए। बच्चे को निकालने के बाद उसको अस्पताल के लिए एयरलिफ्ट किया गया। फिलहाल यह बच्चा डॉक्टरों की निगरानी में है। उसके सिर में चोट लगी है और बच्चे को बचाने की भी कोशिश की जा रही है। इस हादसे में बच्चे की मां और बाप बच गए। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वकत दोनों ही घर पर नहीं थे। यह हादसा दो दिन पहले हुआ था। उस दिन रूस में छुट्टी थी। चीन के हाथों से निकलने को तैयार हो रहा हांगकांग, लंबा है प्रदर्शनों का इतिहास
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