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Russia Game Plan: मास्‍को के पास है यूरोप को ब्‍लैकमेल करने का फुलप्रूफ गेम प्‍लान! नहीं माना तो सर्दियों में ठिठुर जाएगा यूरोपीय संघ

पिछले दिनों यूरोप नार्ड पाइपलाइन 1 में आई तकनीकी दिक्‍कत के चलते गैस की कमी की समस्‍या झेल चुका है। ये उसके लिए केवल एक ट्रेलर हो सकता है। अभी तो पूरी फिल्‍म बाकी है जो सर्दियों में उसे देखनी पड़ सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2022 09:21 AM (IST)
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यूरोप का सर्दियां काटना मुश्किल हो सकता है
नई दिल्‍ली (कमल कान्‍त वर्मा)। रूस और युद्ध के चलते यूरोपीय संघ गैस की कमी और इससे होने वाली समस्‍या को देख चुका है। लेकिन यूरोप के लिए क्‍या ये आने वाले दिनों के लिए केवल एक सिग्‍नल भर था या कुछ और ये देखना काफी दिलचस्‍प है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि आने वाले दिनों में यूरोप का सर्दियां काटना मुश्किल होने वाला है। इसके पीछे रूस की एक सोची समझी चाल भी हो सकती है या फिर कोई दूसरी मजबूरी। लेकिन इतनी सच्‍चाई जरूर है कि इसमें यूरोप का नुकसान होना तय है।

यूरोप को मिल चुका है सिग्‍नल

आपको बता दें कि हाल ही में रूस से जर्मनी समेत अन्‍य देशों को जाने वाली गैस की नार्ड पाइपलाइन 1 के केवल 1 वाल्‍व में तकनीकी दिक्‍कत आई थी। इसको सही करने में ही करीब दो सप्‍ताह का समय लग गया था। इसकी वजह से यूरोपीय संघ को गैस की कमी से जूझना पड़ा था। अकेले जर्मनी को ही इसकी वजह से गैस की 60 फीसद कमी का सामना करना पड़ा था। लेकिन क्‍या हो यदि इस पाइपलाइन के 9 टरबाइन को ही मरम्‍मत की जरूरत पड़ जाए।

गैस सप्‍लाई में रुकावट

जी हां, फिलहाल की हकीकत तो यही है। दरअसल, नार्ड पाइपलाइन 1 के रास्‍ते यूरोपीय संघ को गैस सप्‍लाई करने वाली सबसे बड़ी कंपनी Gazprom एक टरबाइन को पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसकी वजह कंपनी ने इसमें आई खराबी को बताया है। इसकी वजह से गैस की सप्‍लाई बाधित हुई है। कंपनी ने ये भी साफ कर दिया है कि वो 27 जुलाई से रोजाना 33 मिलियन क्‍यूबिक से अधिक की गैस सप्‍लाई नहीं करेगी। इसमें खास बात ये है कि ये सप्‍लाई इस पाइपलाइन की कैपेसिटी की केवल 20 फीसद ही होगी।

ढाई साल तक यूरोप पर रूस की तलवार

Gazprom के माध्‍यम से रूस ने यूरोप को डराने और धमकाने का भी पूरी तैयारी कर ली है। गैस सप्‍लाई करने वाली कंपनी का कहना है कि उसके Portovaya compressor station के सभी नौ टरबाइन को मरम्‍मत की जरूरत है। एक टरबाइन को रिपेयर करने में करीब तीन महीने का समय लगेगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि सभी 9 टरबाइंस को सही करने में दो वर्ष से भी अधिक का समय लगेगा।

प्रतिबंधों की मार

कंपनी ने इन टरबाइन की रिपेयर के लिए Siemens से करार किया हुआ है। Siemens ने 5 टरबाइन को दिसंबर 2024 तक रिपेयर करने की बात भी मान ली है, लेकिन वो फिलहाल पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों के चलते ऐसा कर पाने में नाकाम है। कंपनी ने इसकी कागजी कार्रवाई भी शुरू कर दी है। लेकिन कनाडा से इसका जवाब अब तक नहीं आया है। कनाडा ने एक टरबाइन के पार्ट को जर्मनी भेज जरूर दिया है लेकिन ये भी प्रतिबंधों की भेंट चढ़कर रह गया है।

जर्मनी की आशंका

इन सभी कवायदों के बीच जर्मनी को आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना करने की आहट भी सुनाई देने लगी है। यही वजह है कि पिछले सप्‍ताह जर्मनी के चांसलर Olaf Scholz ने कहा था कि वो रूस के ऊपर विश्‍वास करने में समर्थ नहीं पा रहा है। उनका कहना था कि रूस से गैस की सप्‍लाई पूरी तरह से शुरू करने को लेकर उन्‍हें कोई सटीक और सही जवाब नहीं मिला है। हालांकि रूस ने जर्मनी की आशंकाओं और सवालों को निराधार बताते हुए कहा है कि गैस सप्‍लाई में कमी का कारण तकनीकी खराबी और पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंध हैं।

रूस के हाथों में यूरोप की डोर

गैस के जरिए रूस के पास में यूरोप को ब्‍लैकमेल करने का पूरा जरिया है। इस पूरे प्रकरण में रूस उस मदारी की तरह ही दिखाई देता है जिसके इशारे पर बंदर का नाचना मजबूरी होती है। रूस अपनी इस मंशा में कामयाब भी हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि यूरोप को सर्दियों में खुद को गरम रखने के लिए रूस की गैस हर हाल में चाहिए। उसके पास कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है।