पुतिन को पश्चिमी मीडिया ने बताया 'तानाशाह' और उनकी जीत को बताया 'तमाशा'
व्लादिमीर पुतिन को देश की जनता ने लगातार चौथी बार रूस का राष्ट्रपति चुना है। उन्होंने इस चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की है। उनकी इस जीत को अमेरिकी मीडिया ने अलग-अलग तरह से लिया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। व्लादिमीर पुतिन को देश की जनता ने लगातार चौथी बार रूस का राष्ट्रपति चुना है। उन्होंने इस चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की है। उनकी इस जीत को अमेरिकी मीडिया ने अलग-अलग तरह से लिया है। आपको बता दें कि पुतिन वर्ष 2000 से अब तक लगातार रूस के राष्टपति हैं। हालांकि पहले रूस में भी संविधान के तहत कोई भी राष्ट्रपति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं रह सकता था। लेकिन पुतिन ने इसमें बदलाव किया और दो बार की बंदिशों को खत्म कर दिया था। नये संविधान संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यकाल को 4 वर्ष से 6 वर्ष कर दिया गया था।
किसको कितने मत मिले
आपको बता दें कि इस चुनाव में करीब 11 करोड़ लोगों ने मतदान किया। चुनाव में 60 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं पुतिन को इसमें सबसे अधिक करीब 76.66 फीसदी मत प्राप्त हुए। वर्ष 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन को करीब 63.6 फीसद मत मिले थे। इस बार उनको मिले मतों का प्रतिशत साफ बता रहा है कि रूस में उनकी पहुंच लोगों तक पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ी है और लोगों ने उन्हें रूस के शक्तिशाली और ईमानदार नेता के तौर पर पसंद किया है। इस बार पहली बार ऐसा हुआ है जब कम्यूनिस्ट पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता पावेल ग्रुग्रीन को 11.80 मत मिले। पावेल ने इससे पहले वर्ष 1991 में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन को भी चुनौती दी थी। लेकिन उस वक्त उन्हें महज छह फीसद मत मिले थे। पावेल के अलावा चुनाव में खड़े व्लादिमीर जीरिनोविस्की को 5.66 फीसद, केस्निया सोबचाक को 1.67 फीसद, ग्रीगोरी येवलिंस्की को 1.04 फीसद, बोरिस टिटोव को 0.76 फीसद, मैक्सिम सुरेकिन 0.68 फीसद, सर्गे बबरिन 0.65 फीसद मत मिले हैं।
धांधली का आरोप
हालांकि पुतिन की एकतरफा जीत पर विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाकर उसको धूमिल करने की कोशिश जरूर की है। वहीं सेंट्रल रशियन इलेक्शन कमीशन का कहना है कि चुनाव में किसी तरह की धांधली नहीं हुई। आयोग ने यह भी माना है कि कुछ जगहों से छुट-पुट शिकायतें जरूर मिली हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस चुनाव में पुतिन के सबसे बड़े आलोचक अलेक्सी नवाल्नी को कानूनी कारणों से चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
वेस्टर्न मीडिया और पुतिन
वाशिंगटन पोस्ट ने इस चुनाव को एक तमाशा करार दिया है। अखबार का कहना है कि यह एक पहेली है। अखबार ने अलेक्सी को चुनाव लड़ने से रोकने को भी एक मुद्दा बनाया है। साथ ही उसने इस पूरी प्रक्रिया को एक hollow exercise का नाम दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि इस तरह के परिणामों की पहले से ही उम्मीद की जा रही थी। अखबार का कहना है कि सोवियत संघ के समय में भी बैलेट पेपर पर एक ही नाम होता था और उसको ही वहां पर 99 फीसद मत मिलते थे। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ है। पुतिन ने इस बार Strong president, strong Russia,’ blanketing the country का स्लोगन दिया था।
किसी ने बताया तानाशाह
इनके अलावा सीएनएन का कहना है कि पुतिन ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की है। आपको बता दें कि स्टालिन के बाद पुतिन की देश में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे हैं। रूपर्ट मर्डोक न्यूज कॉर्पोरेशन ने पुतिन को एक तानाशाह बताते हुए लिखा है कि वह इन जैसे नॉनसेंस लोगों की परवाह नहीं करता है। इस चुनाव से पहले पश्चिमी मीडिया ने रूस और पुतिन की हथियारों की होड़ को लेकर भी काफी आलोचना की थी।