रूस की मिसाइल से दहशत में अमेरिका, बचाव के लिए खर्च करेगा 92 करोड़ डॉलर, चीन भी डरा
रूस की एवनगार्ड ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि इसकी तैयारी में भी वह जुट गया है। फिलहाल रूस की मिसाइल का तोड़ किसी के पास नहीं है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 29 Dec 2018 07:52 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। रूस जल्द ही हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली तैनाती के लिए तैयार है। अगले वर्ष से काम शुरू करने वाली इस मिसाइल का नाम एवनगार्ड है। रूस ने दो दिन पहले ही इसका दक्षिण-पश्चिम रूस के डोंबरावस्की एयरबेस से सफलतम परिक्षण किया है। रूस का दावा है कि अमेरिका के पास इस मिसाइल की कोई काट नहीं है। यही वजह है कि इसने पूरी दुनिया खासतौर पर चीन और अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। यहां पर चिंता की वजह एक दूसरी यह भी है कि रूस के पास पहले से ही हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद है। रूस नए तरह के रणनीतिक हथियार को हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि यह हमारे देश और लोगों की सुरक्षा की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करेगी।
पहले से रूस के पास किंझल
आपको यहां पर बता दें कि रूस के पास पहले से ही हवा से मार करने वाली किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद है। यह दो हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाना साधने में सक्षम है। इस मिसाइल का नामकरण खुद राष्ट्रपति पुतिन ने किया है। इसकी तेज गति और सटीक निशाना इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
आपको यहां पर बता दें कि रूस के पास पहले से ही हवा से मार करने वाली किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद है। यह दो हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाना साधने में सक्षम है। इस मिसाइल का नामकरण खुद राष्ट्रपति पुतिन ने किया है। इसकी तेज गति और सटीक निशाना इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
एवनगार्ड पर चिंता और अमेरिका की तैयारी
जहां तक एवनगार्ड की बात है तो इसको लेकर अमेरिका की चिंता वहां की रणनीतिक कमान के प्रमुख जनरल जॉन हेटेन के बयान में भी साफतौर पर दिखाई दे रही है। वह इस बारे में पहले ही कह चुके हैं कि इस मिसाइल का पता लगाने में अमेरिका के मौजूदा सेटेलाइट और रडार सक्षम नहीं हैं। लिहाजा इसके लिए अमेरिका को नए सिरे से तैयारी करनी होगी, जिसमें काफी वक्त और पैसा खर्च होगा। वहीं अमेरिकी एयरफोर्स का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने में करीब 100 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। रूस के ताजा परिक्षण को देखते हुए अमेरिका ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत हाइपरसोनिक मिसाइल की डिजाइन और डिवेलपमेंट के लिए 92 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया है। यह मिसाइल आवाज से 5 गुना तेज रफ्तार से चलेगी।
जहां तक एवनगार्ड की बात है तो इसको लेकर अमेरिका की चिंता वहां की रणनीतिक कमान के प्रमुख जनरल जॉन हेटेन के बयान में भी साफतौर पर दिखाई दे रही है। वह इस बारे में पहले ही कह चुके हैं कि इस मिसाइल का पता लगाने में अमेरिका के मौजूदा सेटेलाइट और रडार सक्षम नहीं हैं। लिहाजा इसके लिए अमेरिका को नए सिरे से तैयारी करनी होगी, जिसमें काफी वक्त और पैसा खर्च होगा। वहीं अमेरिकी एयरफोर्स का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने में करीब 100 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। रूस के ताजा परिक्षण को देखते हुए अमेरिका ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत हाइपरसोनिक मिसाइल की डिजाइन और डिवेलपमेंट के लिए 92 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया है। यह मिसाइल आवाज से 5 गुना तेज रफ्तार से चलेगी।
हाइपरसोनिक मिसाइल
एवनगार्ड अंतरमहाद्वीपीय मारक क्षमता वाली है
यह 20 मैक प्रति घंटे की गति पाने में सक्षम है
यह अपनी ऊंचाई और दिशा दोनों बदल सकती है
यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भरने में सक्षम है
अमेरिका के पास इस हथियार को पकड़ने की क्षमता नहीं
ऐसी होती है हाइपरसोनिक मिसाइल
जहां तक हाइपरसोनिक मिसाइल की बात है तो आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल एक घंटे के भीतर दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती है। यह मिसाइल बहुत घातक होती है क्योंकि दुनिया का कोई भी हिस्सा इसकी जद में आ सकता है। इसकी गति इतनी ज्यादा होती है कि एक बार लॉन्च करने के बाद रोकना असंभव होता है। यह मिसाइल पहले वायुमंडल के ऊपर जाती है और फिर वायुमंडल में ज्यादा गति के साथ प्रवेश करती है। इस तरह यह और भी घातक हो जाती है। इसे जेट विमान से भी लॉन्च किया जा सकता है।एवनगार्ड की खासियत
वहीं एवनगार्ड की यदि बात की जाए तो यह एक बिल्कुल नए तरीके का हथियार है। इसकी रफ्तार 25 हज़ार किलोमीटर प्रतिघंटे है। इसकी स्पीड ही सही मायने में इसकी सबसे बड़ी ताकत भी है। यह मिसाइल रूस के किसी भी इलाके से छोड़ने के बाद कुछ ही वक्त में तय क्षेत्र पर कहर बरपा सकती है। एवनगार्ड एक उल्कापिंड की तरह हमला करती है। चीन के पास डीएफ-17
जहां तक चीन की बात है तो उसके पास हाइपर सोनिक बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-17 है जो अमेरिका तक मार कर सकती है। इसकी रेंज करीब 12,000 किलोमीटर तक है। यह महज एक घंटे में अमेरिका पहुंच सकती है। इस मिसाइल की खासियत है कि ये वायुमंडल में निचले स्तर पर उड़ती है और इस कारण इसे इंटरसेप्ट करना भी आसान नहीं होता है। यह मिसाइल अमेरिका की थाड सिस्टम को नाकाम करने की काबलियत रखती है। लेकिन यह मिसाइल रूस की एवनगार्ड का मुकाबला नहीं कर सकती है।भारत तैयार कर रहा है ब्रह्मोस 2
वहीं भारत ब्रह्मोस 2 को विकसित करने में लगा है जो एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल श्रृंखला की दूसरी क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 290 किलोमीटर और मेक 7 की गति होगी। इसमें स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन का प्रयोग किया जाएगा। 2020 में इसका परिक्षण किया जा सकता है। ये भी हैं रूस के ताकतवर हथियार
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जहां तक हाइपरसोनिक मिसाइल की बात है तो आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल एक घंटे के भीतर दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती है। यह मिसाइल बहुत घातक होती है क्योंकि दुनिया का कोई भी हिस्सा इसकी जद में आ सकता है। इसकी गति इतनी ज्यादा होती है कि एक बार लॉन्च करने के बाद रोकना असंभव होता है। यह मिसाइल पहले वायुमंडल के ऊपर जाती है और फिर वायुमंडल में ज्यादा गति के साथ प्रवेश करती है। इस तरह यह और भी घातक हो जाती है। इसे जेट विमान से भी लॉन्च किया जा सकता है।एवनगार्ड की खासियत
वहीं एवनगार्ड की यदि बात की जाए तो यह एक बिल्कुल नए तरीके का हथियार है। इसकी रफ्तार 25 हज़ार किलोमीटर प्रतिघंटे है। इसकी स्पीड ही सही मायने में इसकी सबसे बड़ी ताकत भी है। यह मिसाइल रूस के किसी भी इलाके से छोड़ने के बाद कुछ ही वक्त में तय क्षेत्र पर कहर बरपा सकती है। एवनगार्ड एक उल्कापिंड की तरह हमला करती है। चीन के पास डीएफ-17
जहां तक चीन की बात है तो उसके पास हाइपर सोनिक बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-17 है जो अमेरिका तक मार कर सकती है। इसकी रेंज करीब 12,000 किलोमीटर तक है। यह महज एक घंटे में अमेरिका पहुंच सकती है। इस मिसाइल की खासियत है कि ये वायुमंडल में निचले स्तर पर उड़ती है और इस कारण इसे इंटरसेप्ट करना भी आसान नहीं होता है। यह मिसाइल अमेरिका की थाड सिस्टम को नाकाम करने की काबलियत रखती है। लेकिन यह मिसाइल रूस की एवनगार्ड का मुकाबला नहीं कर सकती है।भारत तैयार कर रहा है ब्रह्मोस 2
वहीं भारत ब्रह्मोस 2 को विकसित करने में लगा है जो एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल श्रृंखला की दूसरी क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 290 किलोमीटर और मेक 7 की गति होगी। इसमें स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन का प्रयोग किया जाएगा। 2020 में इसका परिक्षण किया जा सकता है। ये भी हैं रूस के ताकतवर हथियार
- सरमट - एक द्वीप से दूसरे द्वीप तक मार करने वाली मिसाइल। इसे साटन 2 भी कहते हैं। सरमट को सोवियत युग के वोयेवोडा मिसाइल की जगह प्रस्तुत किया गया है। यह कम समय में मार करने में सक्षम है। इसे मिसाइल रक्षा प्रणाली के तहत रोकना काफी मुश्किल है।
- असीमित रेंज वाली क्रूज मिसाइल - इसका नाम अभी तय नहीं हुआ है। राष्ट्रपति पुतिन के मुताबिक यह एक नए तरह की मिसाइल है, जो लक्ष्य भेदने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल की तरह नहीं मार करती है। इसे मिसाइल रक्षा प्रणाली से रोकना मुश्किल है। राष्ट्रपति पुतिन के मुताबिक यह असीमित दूरी तक मार सकती है।
- पानी के नीचे से स्वतः मार करने वाली परमाणु मिसाइल - इस मानव रहित मिसाइल का भी नाम अभी तक रूस ने तय नहीं हुआ है। इससे समुद्र के अंदर निशाना लगाया जा सकता है। यह पनडुब्बी से तेज और शक्तिशाली है।
- लेजर हथियार - अभी तक इसका नाम तय नहीं हो सका है। पुतिन ने कहा कि रूस ने ‘लेजर हथियारों’ के निर्माण के लिए उल्लेखनीय कदम उठाया है। यह हथियार पिछले साल ही रूसी सेना को सौंपे जा चुके हैं। हालांकि इसका भी कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।
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