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राष्‍ट्रपति पुतिन के पास यूक्रेन युद्ध से पीछे हटने के क्‍या हैं विकल्‍प, जल्‍द खत्‍म करने की जताई है उम्‍मीद

यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग को 7 माह पूरे होने वाले हैं। एससीओ-2022 में इस युद्ध को लेकर कई देशों ने अपनी चिंता राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के सामने जाहिर की है। उन्‍होंने भी इसको जल्‍द खत्‍म करने का भरोसा दिलाया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 02:37 PM (IST)
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यूक्रेन युद्ध से बाहर निकलने की पुतिन को हो रही चिंता
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। रूस और यूक्रेन के युद्ध को कुछ दिन बाद 7 माह हो जाएंगे। इस दौरान इस युद्ध का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला है। विश्‍व की खाद्य श्रंख्‍ला प्रभावित हुई है। तेल और गैस के दामों में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर तेजी आई है। इस युद्ध की वजह से रूस को कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। कुल मिलाकर इससे पूरा विश्‍व प्रभावित हुआ है। इस युद्ध की वजह से 30 लाख से अधिक यूक्रेनी लोगों को पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी है। यूक्रेन को जबरदस्‍त जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा है। रूस भी इस नुकसान से अछूता नहीं रहा है। ऐसे में हर कोई चाहता है कि ये युद्ध अब खत्‍म हो जाना चाहिए।

SCO-2022 में उठे चिंता के स्‍वर 

उजबेकिस्‍तान के शहर समरकंद में संपन्‍न हुए शंधाई सहयोग संगठन के सम्‍मेलन में यूक्रेन युद्ध को लेकर कई देशों ने अपनी चिंता से रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को अवगत कराया था। भारत और रूस के बीच इस सम्‍मेलन से इतर जब बैठक हुई तो पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के समक्ष स्‍पष्‍ट शब्‍दों में इसको लेकर अपनी नाराजगी और चिंता को जाहिर किया था। इसके जवाब में राष्‍ट्रपति पुतिन ने उन्‍हें भरोसा दिलाया था कि वो इस युद्ध को जल्‍द समाप्‍त करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। यूक्रेन युद्ध को लेकर केवल पीएम मोदी ने ही राष्‍ट्रपति पुतिन के समक्ष चिंताएं जाहिर नहीं की बल्कि चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग ने भी इसी तरह की बात रूस के राष्‍ट्राध्‍यक्ष से की थी।

भारत ने यूक्रेन युद्ध पर साफ की अपनी तस्‍वीर  

यूक्रेन युद्ध को लेकर केवल पीएम मोदी ने ही राष्‍ट्रपति पुतिन के समक्ष चिंताएं जाहिर नहीं की बल्कि चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग ने भी इसी तरह की बात रूस के राष्‍ट्राध्‍यक्ष से की थी। इस युद्ध को लेकर भारत के रुख की यदि बात करें तो पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को एससीओ के माध्‍यम से स्‍पष्‍ट शब्‍दों में अवगत करा दिया है। इस सम्‍मेलन से पहले अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर भारत को आशंका भरी नजरों से देखा जा रहा था। ऐसा इसलिए था क्‍योंकि यूएन सुरक्षा परिषद में हुई रूस के खिलाफ वोटिंग में हर बार भारत ने तटस्‍थ रुख अपनाते हुए इसका बहिष्‍कार किया था। लेकिन अब स्थिति काफी कुछ साफ हो चुकी है।

राष्‍ट्रपति पुतिन के पास जंग रोकने के विकल्‍प 

लेकिन यहां पर एक सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्‍या राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के पास में इस जंग को रोकने का कोई विकल्‍प मौजूद है। इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है। एससीओ में रूस के राष्‍ट्रपति ने जिस तरह से अपनी बात विभिन्‍न राष्‍ट्राध्‍यक्षों के सामने रखी है उसको देखते हुए भी इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है। लेकिन इससे पहले रूस की इस युद्ध में स्थिति का भी आंकलन करना जरूरी है।

कुछ इलाकों से पीछे हटी रूसी सेना 

आपको बता दें कि मौजूदा समय में रूस की सेना उन इलाकों से पीछे हट रही है जो उसने जीतने के बाद खो दिए हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि रूस इस युद्ध में पिछड़ रहा है। लेकिन रूस के लिए ये बात नेगेटिव रूप से सामने आ रही है। रूस ने अब भी यूक्रेन के कुछ इलाकों पर कब्‍जा कर रखा है। रूस यदि किसी सूरत से इस युद्ध को खत्‍म करता भी है तो वो इन इलाकों को यूक्रेन को नहीं सौपने वाला है। वहीं दूसरी तरफ एक हकीकत ये भी है कि यूक्रेन को पश्चिमी देशों से लगातार हथियारों के अलावा दूसरी मदद मिल रही है। ऐसे में उसकी सेना का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है।

यूक्रेन का बेहद साफ रुख

यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्‍की स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि वो इस युद्ध को इस मोड़ पर नहीं छोड़ सकते हैं। उन्‍होंने ये भी कहा है कि जब तक वो अपने हारे हुए सभी इलाकों को वापस हासिल नहीं कर लेते हैं तब तक इस युद्ध पर विराम नहीं लगाएंगे। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक सोच ये भी बन रही है कि रूस अब इस युद्ध से उकता चुका है। वो इससे बाहर निकलने का जरिया तलाश रहा है। ऐसे में ये जरिया कौन बनेगा, ये एक बड़ा सवाल है।

तुर्की और यूएन पर लगी निगाह 

इस सवाल के जवाब में तुर्की का रुख काफी मायने रखता है। पिछले माह ही तुर्की ने कहा था कि वो दोनों देशों के बीच सुलह कराने, शांति कायम कराने और सीजफायर कराने के लिए मध्‍यस्‍थता को तैयार है। तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसैप तैयप इर्दोगन ने कहा था कि यदि दोनों देश चाहेंगे तो वो इसके लिए तैयार है। तुर्की इन दोनों के बीच इसलिए भी बड़ा जरिया बन सकता है क्‍योंकि इस विषय में तुर्की ने युद्ध की शुरुआत में ही करीब 3 बैठकें दोनों देशों के बीच करवाई थीं। हालांकि ये सभी बैठकें बेकार साबित हुई थीं। पिछले माह यूक्रेन के रूस के साथ हुई अनाज निर्यात डील में भी तुर्की ने ही अहम भूमिका निभाई थी। इस लिहाज से तुर्की और संयुक्‍त राष्‍ट्र इस युद्ध को रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। मुमकिन है कि रूस इसी मौके की तलाश में बैठा भी है।