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विजय माल्या की फोर्स इंडिया की बिक्री में बैंकों को 360 करोड़ रुपये की चपत

रूसी फर्टिलाइजर ग्रुप उरालकली ने पिछले महीने हुई फोर्स इंडिया की बिक्री को अनुचित बताते हुए बीते शुक्रवार को लंदन की अदालत में याचिका दायर की है

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 01 Oct 2018 12:05 AM (IST)
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विजय माल्या की फोर्स इंडिया की बिक्री में बैंकों को 360 करोड़ रुपये की चपत
लंदन, प्रेट्र। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की फॉर्मूला वन रेसिंग टीम फोर्स इंडिया की बिक्री से 13 भारतीय बैंकों के कंसोर्टियम को चार करोड़ ब्रिटिश पाउंड (360 करोड़ रुपये से ज्यादा) की चपत लगी है। यह दावा माल्या की यह कंपनी खरीदने की इच्छुक रूसी फर्टिलाइजर ग्रुप उरालकली ने किया है। ग्रुप ने पिछले महीने हुई इस बिक्री को अनुचित बताते हुए बीते शुक्रवार को लंदन की अदालत में याचिका दायर की है।

उरालकली ने कहा है कि उसकी सबसे ऊंची बोली को नजरंदाज कर के फोर्स इंडिया के प्रशासकों ने बड़ी धनराशि हासिल करने का मौका खो दिया। फोर्स इंडिया टीम में माल्या की कंपनी ऑरेंज इंडिया होल्डिंग्स सार्ल की हिस्सेदारी थी।

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उसे ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने माल्या को कर्ज देने वाले एसबीआई नीत 13 भारतीय बैंकों के पक्ष में जब्त कर लिया था। उरालकली ने फोर्स इंडिया के प्रशासक एफआरपी एडवायजरी के खिलाफ बोली प्रक्रिया में 'पूर्वाग्रह और असमान व्यवहार' समेत कंपनी के लेनदारों को करोड़ों डॉलर का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।

हमने लगाई थी ऊंची बोली 
रूसी कंपनी के वरिष्ठ स्वतंत्र निदेशक पॉल जेम्स ओस्टलिंग ने कहा कि हमने परिसंपत्तियों एवं कारोबार को हासिल करने के लिए बहुत ऊंची बोली लगाई थी। हम फोर्स इंडिया के लेनदारों को सबसे बेहतर ऑफर दे रहे थे। अगर प्रशासकों ने हमारी बोली स्वीकार की होती, तो भारतीय बैंकों को बहुत फायदा होता। हमारा ऑफर 10 से 12 करोड़ पाउंड (900-1,008 करोड़ रुपये) तक का था।

निष्पक्षता व पारदर्शिता रखी 
रूसी कंपनी के दावे के उलट फोर्स इंडिया टीम के प्रशासन ने जोर देकर कहा कि बोली प्रक्रिया में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बरती गई। नीलामी के बाद फोर्स इंडिया टीम के अधिकार कनाडा के अरबपति लॉरेंस स्ट्रॉस नियंत्रित रेसिंग प्वाइंट कंसोर्टियम को मिल गए हैं।