कनाडा से अब नहीं निकाले जाएंगे भारतीय छात्र, सरकार ने टाला निर्वासन का फैसला; आखिर यह हुआ कैसे?
कनाडा से भारतीय छात्र अब नहीं निकाले जाएंगे। वहां की सरकार ने अपने डिपोर्टेशन यानी निर्वासन के फैसले पर रोक लगा दी है। उसने ऐसा आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी के अनुरोध पर किया है।
कनाडा सरकार ने छात्रों के निर्वासन पर लगाई रोक
छात्रों की कोई गलती नहीं है: साहनी
साहनी ने कहा कि छात्रों ने कोई गलती नहीं की है। वे ठगी के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए जांच समिति भी गठित की जाएगी।हमने उन्हें (कनाडा सरकार) पत्र लिखा है और हमने उन्हें समझाया है कि इन छात्रों ने कोई जालसाजी या धोखाधड़ी नहीं की है। वे धोखाधड़ी के शिकार हैं, क्योंकि कुछ अनधिकृत एजेंटों ने नकली प्रवेश पत्र और भुगतान की रसीदें जारी की हैं। वीजा भी बिना किसी जांच के लागू किए गए थे। फिर जब बच्चे वहां पहुंचे तो इमीग्रेशन विभाग ने भी उन्हें अंदर जाने की इजाजत दे दी। मामले की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की जाएगी।
धालीवाल ने कनाडा के उच्चायुक्त को लिखा पत्र
कनाडाई कॉलेजों के फर्जी स्वीकृति पत्रों के कारण कनाडा से 700 से अधिक छात्रों के आसन्न निर्वासन की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है। यह उल्लेख करना उचित है कि ये छात्र निर्दोष हैं और जालसाजों के गिरोह द्वारा धोखा दिया गया है जिसमें यह ट्रैवल एजेंट, भारत में कनाडाई दूतावास के अधिकारी और कनाडा में अन्य एजेंसियां शामिल हैं।
छात्रों और उनके परिवारों का भविष्य दांव पर: धालीवाल
केंद्र से छात्रों के निर्वासन मामले को हल करने की मांग
इससे पहले 7 जून को, पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने केंद्र से 700 भारतीय छात्रों के मामले को हल करने की मांग की, जिनमें ज्यादातर पंजाबी हैं, जो कनाडा में आव्रजन धोखाधड़ी में फंसे हुए हैं और निर्वासन के मामलों का सामना कर रहे हैं।धालीवाल ने विदेश मंत्री जयशंकर को लिखा पत्र
धालीवाल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को एक पत्र लिखा और मांग की, कि छात्रों को निर्वासित नहीं किया जाना चाहिए और उनके वीजा पर विचार करते हुए वर्क परमिट दिया जाना चाहिए। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि छात्रों को धोखा देने वाले ट्रैवल एजेंटों को दंडित करने के लिए पंजाब सरकार के साथ सहयोग करें।मैंने विदेश मंत्री से मिलने के लिए भी समय मांगा है ताकि पूरे मामले को व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के ध्यान में लाया जा सके।