4.70 करोड़ साल पहले एस्टेरायडों की भीषण टक्कर से धरती पर खिले थे 'जीवन के रंग'
अब तक यही माना जाता था कि धरती पर जीवन क्रमिक विकास के तहत इस मुकाम पर पहुंचा है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। पढ़ें रिपोर्ट...
लंदन, प्रेट्र। अब तक यही माना जाता था कि धरती पर जीवन क्रमिक विकास के तहत ही इस मुकाम पर पहुंचा है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि धरती पर जीवन के विविध रंग ब्रह्मांड में हुई उथल-पुथल का नतीजा हैं। आज से लगभग 4.70 करोड़ साल पहले क्षुद्रग्रहों के आपस में टकराने से धरती की जैव विविधता ने रफ्तार पकड़ी थी।
वैज्ञानिकों की मानें तो एस्टेरायडों की अपसी टक्कर के कारण ही धरती की जैव विविधता में धीरे-धीरे बदलाव आना शुरू हुआ। साइंस रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि बृहस्पति और मंगल के बीच स्थित क्षुद्रग्रह 470 मिलियन यानी 4.70 करोड़ साल पहले आपस में टकरा गए थे, जिसके कारण आस-पास के ग्रहों के वातावरण में भी धूल का गुबार छा गया था।
स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि क्षुद्रग्रहों की टक्कर के कारण ब्रह्मांड में धूल इतनी ज्यादा फैल गई थी कि सूर्य का प्रकाश भी पृथ्वी तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहा था और इसी कारण धरती पर हिमयुग की शुरुआत हुई। शोधकर्ताओं के अनुसार, हिम युग के कारण ही पृथ्वी की जलवायु में बदलाव आया और जीवों का विकास शुरू हुआ।
क्या हैं एस्टेराएड
क्षुद्रग्रह या एस्टेराएड ब्रह्मांड में विचरण करने वाले ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जो आकार में अन्य ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडों से बड़े होते हैं। हमारे सौर मंडल का क्षुद्रग्रह का घेरा मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच स्थित है, जिसमें हजारों क्षुद्रग्रह सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है। अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण यह गोल हो गया है। इसके अलावा यहां 400 किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह भी हैं, जिनमें वस्टा, पैलस और हाइजिआ आदि शामिल हैं।