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...तो हमने चिंपैंजी से सीखा है डांस करना, दोनों में मिली एक तरह की समानता

नृत्य के लिए जरूरी तालमेल समन्वय और एकरूपता के आधार पर वैज्ञानिकों ने लगाया अनुमान।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 26 Dec 2019 08:58 AM (IST)
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...तो हमने चिंपैंजी से सीखा है डांस करना, दोनों में मिली एक तरह की समानता
लंदन, प्रेट्र। इंसानों को कई सारी खूबियां खुद से नहीं, बल्कि दूसरों से मिली हैं या उनमें विकसित हुई हैं। इन्हीं एक खूबियों में डांसिंग यानी नृत्य कौशल भी है। हालिया अध्ययन में कहा भी गया है कि इंसानों में नृत्य कुशलता का विकास चिंपाजी से हो सकता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक आधार भी है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने अमेरिकी चिड़ियाघर में दो चिंपांजी को युगल नृत्य करते देखा, जो मानवों के कॉन्गा लाइन नृत्य की ही तरह था। कॉन्गा लाइन एक ऐसी नृत्य शैली है, जो क्यूबाई कार्निवाल से मिलता-जुलती है। यह 1930 और 1950 के दशक में अमेरिका में काफी लोकप्रिय हुआ था।

दोनों में मिली एक तरह की समानता

जब वैज्ञानिकों ने चिंपैंजी और मानवों में इस नृत्य की समानता देखी, तो वे हैरान रह गए। इससे एक सवाल सामने आया कि आखिर मानवों में नृत्य का विकास कैसे हुआ। ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए शोध से पता चला कि ऑर्केस्ट्रा प्लेयर की संगीत पर नृत्य के दौरान लोगों में जो तालमेल, समन्वय और एकरूपता होती है, वह दो मादा चिंपैंजी के नृत्य से मेल खाती है। अन्य प्रजातियां बाहरी प्रेरक और निजी तौर पर लयबद्ध प्रदर्शन से मनोरंजन करने में सक्षम होती हैं।

हालांकि, यह पहली बार है, जब इसे गैर- मानवीय सहयोगियों या संकेतों द्वारा किया गया है। साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, यह नया व्यवहार इस प्रजाति की एक अलग खूबियों को बतलाता है। यह मानव नृत्य के विकास में रुचि रखने वाले वैज्ञानिकों को नई परिस्थितियों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है, जिसने अभिव्यक्ति के सबसे शानदार और समृद्ध स्वरूपों में से एक की उत्पत्ति के लिए प्रेरित किया।

वारविक यूनिवर्सिटी की एड्रियानो लैमीरा का कहना है, ‘नृत्य मानवीय अभिव्यक्ति का एक प्रतीक है। दुनिया की संस्कृतियों और पशु जगत में में व्यापक विभिन्नताओं के बावजूद मानव समूहों में नृत्य विकास की प्रक्रिया अस्पष्ट है।’ ‘नृत्य के लिए पूरे शरीर को अंदरूनी रूप से अपने साथी के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत होती है और यह बतलाता है कि गैर- मानव प्रजातियों के बीच नृत्य का अस्तित्व क्यों नहीं था।’

लैमीरा का कहना है, ‘विशेष रूप से देखा जाए, तो यह बतलाता है कि चिंपैंजी युगल में आंतरिक तालमेल दिखती है, जो मानवीय नृत्यों के शुरुआती दौर को समझने में मददगार साबित हो सकता है।’