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Rishi Sunak: ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर भारत-पाकिस्तान दोनों को गर्व महसूस करने का दिन

ऋषि सुनक सोमवार को ब्रिटेन के पहले गैर श्वेत प्रधानमंत्री बने। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान एक गौरव साझा करने के लिए इतिहास के शिखर पर हैं।42 वर्षीय पूर्व चांसलर ऋषि सुनक को दीवाली के दिन कंजर्वेटिव पार्टी के नए नेता के रूप में निर्विरोध चुना गया।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 25 Oct 2022 07:36 AM (IST)
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ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर भारत-पाकिस्तान दोनों को गर्व महसूस करने का दिन।
इस्लामाबाद, पीटीआइ। ऋषि सुनक सोमवार को ब्रिटेन के पहले गैर श्वेत प्रधानमंत्री बने। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान एक गौरव साझा करने के लिए इतिहास के शिखर पर हैं। 42 वर्षीय पूर्व चांसलर ऋषि सुनक को दीवाली के दिन कंजर्वेटिव पार्टी के नए नेता के रूप में निर्विरोध चुना गया। उनके चुने जाने से पहले पेनी मोर्डंट पीएम पद की रेस से बाहर हो गई, जिसके बाद उनका रास्ता साफ हो गया और ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने।

ब्रिटिश भारत में पैद हुए सुनक के पूर्वज

बता दें कि सुनक के दादा-दादी ब्रिटिश भारत में पैदा हुए थे, हालांकि इस समय वह स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला में है। इसलिए, ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री एक भारतीय और एक पाकिस्तानी दोनों है। ऋषि सुनक के बारे में इंटरनेट पर काफी कम जानकारी उपलब्ध है। हालांकि उनके प्रधानमंत्री चुने जाने पर भारतीय और पाकिस्तानी दोनों अपने-अपने विचार रख रहे हैं।

पाकिस्तान के गुजरांवाला में सुनक के पूर्वजों का जन्म

एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, 'सुनक गुजरांवाला का एक पंजाबी खत्री परिवार से हैं, जो अब पाकिस्तान में है।' उन्होंने कहा कि ऋषि के दादा रामदास सुनक ने 1935 में गुजरांवाला से चले गए और नैरोबी में क्लर्क की नौकरी शुरू की। उन्होंने कहा कि रामदास की पत्नी सुहाग रानी सुनक 1937 में दिल्ली आई और फिर अपने सास के साथ केन्या चली गई।

सोशल मीडिया पर सुनक को लेकर तरह-तरह के विचार

हालांकि पाकिस्तान में सुनक के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने सरकार को इस मामले में दिलचस्पी लेने के लिए कहा है। ट्विटर यूजर शफात शाह ने ट्वीट किया, 'मुझे लगता है कि पाकिस्तानी सरकार को इस मामले में दिलचस्पी लेनी चाहिए, क्योंकि ऋषि सुनक के दादा-दादी गुजरांवाला से थे, जो बाद में केन्या चले गए और फिर ब्रिटेन में बस गए।' वहीं, कुछ लोगों का ये मानना है कि पाकिस्तान और भारत दोनों के इसे लेकर गर्व महसूस करना चाहिए।

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