लंदन के एक प्रमुख विश्वविद्यालय में चल रहा भारत और हिंदू विरोधी प्रचार अभियान, भारतीय छात्र ने लगाया आरोप
लंदन के एक प्रमुख विश्वविद्यालय पर भारतीय छात्र ने भारत और हिंदू विरोधी प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया है। छात्र का कहना है कि सभी देशों के छात्रों से अपार समर्थन मिलने के बावजूद उसे LSESU के महासचिव चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Tue, 04 Apr 2023 02:46 PM (IST)
लंदन, पीटीआई। एक भारतीय छात्र ने दावा किया है कि उसे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के छात्र संघ चुनाव से इसलिए अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि भारतीय और हिंदू पहचान के कारण उसके खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया गया था।
LSESU के महासचिव पद का चुनाव लड़ना चाहते थे करण कटारिया
करण कटारिया, जो हरियाणा से हैं और लंदन के प्रमुख विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर कानून की डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे हैं, ने कहा कि वह अपने साथियों के समर्थन से LSE छात्र संघ (LSESU) के महासचिव पद का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें पिछले हफ्ते अयोग्य घोषित कर दिया गया।
कटारिया ने कहा, "दुर्भाग्य से, कुछ लोग एक भारतीय-हिंदू को एलएसईएसयू का नेतृत्व करते हुए देखना सहन नहीं कर सके और मेरे चरित्र और पहचान को बदनाम करने का सहारा लिया, जो स्पष्ट रूप से हमारे सामाजिक समुदायों को खत्म करने वाली खतरनाक संस्कृति के अनुरूप है।
''मेरे सपने हुए चकनाचूर''
छात्र ने बताया, "जब मैंने एलएसई में स्नातकोत्तर अध्ययन शुरू किया, तो मुझे ईमानदारी से छात्र कल्याण के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने और पूरा करने की उम्मीद थी, लेकिन मेरे सपने तब चकनाचूर हो गए, जब पूरी तरह से मेरी भारतीय और हिंदू पहचान के कारण मुझे बदनाम करने का अभियान शुरू किया गया।'
22 वर्षीय छात्र एक मध्यवर्गीय कृषि पृष्ठभूमि से आता है। वह अपने परिवार में पहली पीढ़ी के विश्वविद्यालय स्तर का स्नातक है। पिछले साल एलएसई लॉ स्कूल से अपने मास्टर के लिए यूके पहुंचने के तुरंत बाद उन्हें अपने समूह के अकादमिक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। इसके अलावा, उन्हें यूके के नेशनल यूनियन फॉर स्टूडेंट्स (NUS) के एक प्रतिनिधि के रूप में भी चुना गया।
''मेरा पक्ष नहीं सुना गया''
कटारिया ने कहा, "सभी राष्ट्रीयताओं के छात्रों से अपार समर्थन प्राप्त करने के बावजूद मुझे LSE छात्र संघ के महासचिव चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया गया। मेरे खिलाफ होमोफोबिक, इस्लामोफोबिक, क्विरोफोबिक और हिंदू राष्ट्रवादी होने के आरोप थे। इस घृणित अभियान को शुरू करने और गलत काम करने वालों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने के बजाय LSESU ने मेरा पक्ष सुने बिना या मुझे मिले वोटों का खुलासा किए बिना मुझे आसानी से अयोग्य घोषित कर दिया।"
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, मतदान के आखिरी दिन भारतीय छात्रों को उनकी राष्ट्रीय और हिंदू धार्मिक पहचान के लिए धमकाया गया और निशाना बना गया। छात्रों ने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन एलएसईएसयू ने दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस तरह के अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में छात्रों की शिकायतों का मौन उपचार भी LSESU के खिलाफ हिंदूफोबिया के आरोप को सही ठहराता है।"