Brexit में जा चुकी है दो पीएम की कुर्सी, अब जॉनसन पर भी लटकी है तलवार!
Brexit के लिए बोरिस जॉनसन अब तक लगभग सभी विकल्प इस्तेमाल कर चुके हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है। वहीं विपक्ष लगातार उन्हें कुर्सी से हटाने की कोशिश में लगा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 03 Oct 2019 12:57 PM (IST)
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। ब्रेक्जिट की अंतिम उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए 31 अक्टूबर आखिरी दिन है। यदि यूरोपीय संघ (European Union) से किसी तरह की सहमति नहीं बन सकी तो ब्रिटेन ईयू से बिना समझौते के अलग हो जाएगा। गौरतलब है कि ब्रेक्जिट (Brexit) की वजह से अब तक दो प्रधानमंत्रियों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा है। इनमें पहले डेविड कैमरन हैं तो दूसरी थेरेसा मे हैं। अब बॉरिस जॉनसन भी इसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि जॉनसन भी इसी फहरिस्त के तीसरे व्यक्ति हो सकते हैं। बहरहाल, आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि जून 2016 में जनमत संग्रह कराने के बाद यह तय हुआ था कि ब्रिटेन ईयू से अलग होगा। इसके लिए 51.9 फीसद लोगों ने ईयू से बाहर होने के पक्ष में वोट दिया था।मार्च 2017 से मार्च 2019 तक ब्रिटेन को सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर ईयू से बाहर होना था। तय समय के बीच यह संभव नहीं हो सका जिसके बाद इसके लिए 31 अक्टूबर की आखिरी तारीख तय की गई थी।
गले की फांस बना ब्रेक्जिट अब यही जॉनसन के गले की फांस बन चुका है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि ये संकट जॉनसन का ही पैदा किया हुआ है। लंदन के किंग्स कॉलज के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि ब्रिटेन की संसद में अब जॉनसन के इस्तीफे की मांग जोरशोर से उठ रही है। पीएम जॉनसन की ब्रेक्जिट को लेकर मजबूती उस वक्त और सवालों के घेरे में आ गई है जब उन्हें हाउस ऑफ कॉमन में हुए आठ में से सात मतदान में हार का सामना करना पड़ा। हाल ही में उन्हें निचले सदन की कार्यवाही को स्थगित करने के मुद्दे पर भी हार का मुंह देखना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जॉनसन का यह फैसला गलत था।
जॉनसन को पसंद नहीं आया फैसला
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पीएम बोरिस जॉनसन (UK Prime Minister Boris Johnson) समेत अटॉर्नी जनरल जेफ्री कॉक्स ने नाराजगी जाहिर की है। आपको बता दें कि जॉनसन के कहने पर ही ब्रिटेन की संसद के निचले सदन को महारानी ने पांच सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया था। जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने इसपर जमकर हंगामा भी किया था। जॉनसन ने सदन को यह कहते हुए कड़ी चुनौती दी है कि यदि हिम्मत है तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर या आम चुनाव में उतरकर दिखाएं।
मध्यवधि चुनाव के पक्ष में नहीं पार्टियांब्रिटेन की विपक्षी पार्टियां फिलहाल चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। प्रोफेसर पंत मानते हैं विपक्ष इस बात के इंतजार में है कि जॉनसन ब्रेक्जिट पर अपने हाथ खड़े कर लें। उनका कहना है कि स्कॉटिश नेशनलिस्ट पार्टी चाहती है कि जॉनसन को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और कार्यवाहक पीएम के तोर पर लेबर पार्टी के जेरेमी कार्बेन को शपथ दिलाई जाए। यही वजह है कि ब्रेक्जिट पर जॉनसन के ऊपर भी पद से हटने की तलवार लटकी दिखाई दे रही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि बोरिस जॉनसन ब्रेक्जिट का खुला समर्थन करते आए हैं। उन्होंने पद संभालते हुए यहां तक कहा था कि यदि तय समय में इस बारे में ईयू से कोई समझौता नहीं हुआ तो ब्रिटेन बिना समझौते के ही इससे बाहर हो जाएगा।
जॉनसन ने इस्तेमाल किए सारे विकल्प प्रोफेसर पंत मानते हैं कि जॉनसन ने इस बाबत जितने भी विकल्प थे उन्हें इस्तेमाल कर लिया है। इसके बाद भी उन्हें न तो कोई सफलता मिली है और न ही ऐसी कोई गुंजाइश आगे दिखाई दे रह है। पंत का कहना है कि जॉनसन के ईयू से समझौते के किसी भी मसौदे पर ब्रिटेन की संसद में कोई सहमति होने के आसार बेहद कम ही हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि पूर्व पीएम थेरेसा में ने ईयू से समझौते को लेकर चार बार संसद में मसौदा पेश किया था, लेकिन इसपर वह आम राय बनाने में असफल रही थीं। उस वक्त भी मध्यावधि चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर थी और अब भी वही प्रश्न फिर सिर उठाए खड़ा है।
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