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ब्रिटेन से कई भगोड़े अपराधियों का किया गया भारत प्रत्यर्पण, लेकिन कानून के सहारे अब भी बचे हुए हैं नीरव मोदी-विजय माल्या

ब्रिटेन से अब तक कई भगोड़े अपराधियों का भारत प्रत्यर्पण किया गया है लेकिन इन्ही कानूनों का सहारा लेकर नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े अपराधी अब तक भारत की पहुच से दूर हैं। इन दोनों अपराधियों को भारत लाने में अभी समय लग सकता है।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Mon, 07 Jun 2021 12:42 PM (IST)
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भगोड़ा नीरव मोदी और विजय माल्या। (फोटो: दैनिक जागरण)

लंदन[यूके], एएनआइ। भारत के लिए भगोड़े अपराधियों को दूसरे देश से पकड़ कर लाना हमेशा मुश्किल भरा रहा है। भगोड़े अपराधी मेहुल चोकसी केस केबाद एक बार फिर से ये मुद्दा चर्चा में है। भारत के भगोड़े अपराधियों की बात करें तो इसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी और विजय माल्या दोनों का नाम सबसे पहले याद आता है। यह दोनों फिलहाल ब्रिटेन में हैं। ब्रिटेन के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। इसके बावजूद ये दोनों भगोड़े अपराधी कानून का ही सहारा लेकर भारत प्रत्यर्पित किए जाने से खुद को बचा रहे हैं।

भारत के हाथ से अब भी दूर नीरव मोदी

पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) को 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाकर फरवरी 2018 में भारत से ब्रिटेन भागने वाले नीरव मोदी की बात करें तो ऐसे मामलों के लिए विशेष तौर से बनी लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने नीरव मोदी पर लगाए सभी आरोपों को सही पाया और दो साल की सुनवाई के बाद 25 फरवरी 2021 को प्रत्यर्पण का फैसला दिया। इंग्लैंड की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने 15 अप्रैल को प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत भी कर दिए। इसके बावजूद उसे भारत लाने में समय लग सकता है। उसके पास हाइकोर्ट में अपील का विकल्प है। वहां प्रत्यर्पण पर मुहर लगी तो यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट जाने और फिर इंग्लैंड में शरण के लिए आवेदन करने का विकल्प होगा। नीरव मोदी मार्च 2019 से लंदन की जेल में है। यानि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण पर संशय है।

माल्या को भी भारत लाने में लगेगा समय

इसके साथ ही ब्रिटेन में भारत का एक और भगोड़ा अपराधी विजय माल्या है। वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने 2018 में माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति दी थी, जिसे हाइकोर्ट ने भी सही ठहराया। फिर भी अब तक उसे भारत नहीं लाया जा सका है। ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि कुछ गोपनीय कार्रवाई चल रही है जिसके पूरा होने तक उसका भारत प्रत्यर्पण संभव नहीं है। वैसे तो भारत में अपराध करने वाले अनेक देशों में जाते रहे हैं, लेकिन इंग्लैंड उनकी पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।

कानून क्या कहता है ?

भारत और इंग्लैंड के बीच 22 सितंबर 1992 को प्रत्यर्पण संधि हुई थी। इसके अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि नस्ल, धर्म या राजनीतिक विचारों के कारण किसी के खिलाफ कार्रवाई की संभावना हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। तय समय में पर्याप्त सबूत नहीं देने पर भी यह संभव है। अपराध के लिए दोनों देशों के कानून में कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान जरूरी है। मौत की सजा का प्रावधान होने पर भी आश्रयदाता देश प्रत्यर्पण से मना कर सकता है। कागजी कार्रवाई में देरी से भी प्रत्यर्पण टल सकता है।

प्रत्यर्पण संधि के बाद भारत, इंग्लैंड(ब्रिटेन) से तीन अपराधियों को ला पाया है। पहला 2016 में, दूसरा 2020 में और तीसरा इसी साल मार्च में।