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चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की सुनवाई के लिए 'पीपुल्स ट्रिब्यूनल', खुल रहा है कच्चा चिट्ठा

ट्रिब्यूनल को न तो ब्रिटेन सरकार का समर्थन है और न ही चीन का। इसे दंडित करने का भी कोई अधिकार नहीं है लेकिन आयोजकों का कहना है कि सार्वजनिक रूप से सुनवाई में गवाहों के सबूत अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के लिए संस्थाओं को मजबूर करेंगे।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Fri, 04 Jun 2021 06:49 PM (IST)
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चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की सुनवाई के लिए 'पीपुल्स ट्रिब्यूनल', खुल रहा है कच्चा चिट्ठा

लंदन, एपी। उइगर मुस्लिमों पर चीन के अत्याचार की सुनवाई करने के लिए लंदन में 'पीपुल्स ट्रिब्यूनल' स्थापित किया गया है। इस ट्रिब्यूनल में अत्याचारों पर गवाही देने के लिए कई पीडि़त आ रहे हैं और वे यातना शिविरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जेफ्री नाइस ने बताया कि चार दिनों की सुनवाई में तीन दर्जन से अधिक गवाह आ चुके हैं। इन सभी ने चीनी अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।

ट्रिब्यूनल को न तो ब्रिटेन सरकार का समर्थन है और न ही चीन का। इसे दंडित करने का भी कोई अधिकार नहीं है, लेकिन आयोजकों का कहना है कि सार्वजनिक रूप से सुनवाई में गवाहों के सबूत अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के लिए संस्थाओं को मजबूर करेंगे।

ब्रिटेन के बैरिस्टर नाइस का कहना है कि ट्रिब्यूनल चीन को जवाबदेह ठहराने का नवीनतम प्रयास है। शुक्रवार को सुनवाई में पहली गवाह शिक्षक कलबिनुर सिद्दीक बनीं। जिन्होंने बताया कि वहां जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।

सुनवाई से पहले एक महिला ने बताया कि वह शिनजियांग में जब गर्भवती हुई तो उसको गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया।

बैरिस्टर नाइस का कहना था कि सुनवाई में आने के लिए चीनी दूतावास को भी पत्र भेजा गया था। पत्र को न तो उसने स्वीकार किया और न ही जवाब दिया। दूतावास ने कोई टिप्पणी भी नहीं की। लेकिन चीन में अधिकारियों ने बौखलाकर कहा कि ट्रिब्यूनल की स्थापना चीन विरोधी ताकतों ने झूठ फैलाने के लिए की है।