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Russia-Ukraine War: दो देशों के युद्ध ने दुनिया पर डाला असर, बीते एक साल में वैश्विक स्तर पर दिखे कई प्रभाव

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक साल पूरा हो गया है। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। बीते एक वर्ष में इस युद्ध ने विश्व पर कई तरह से प्रभाव डाला है। युद्ध के कारण बदली वैश्विक परिस्थितियों पर नजर...

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 23 Feb 2023 05:33 AM (IST)
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Russia-Ukraine War: दो देशों के युद्ध ने दुनिया पर डाला असर

लंदन, एपी। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक साल पूरा हो गया है। 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। बीते एक वर्ष में इस युद्ध ने विश्व पर कई तरह से प्रभाव डाला है। युद्ध के कारण बदली वैश्विक परिस्थितियों पर नजर...

हथियारों की होड़ बढ़ी

यूक्रेन पर रूस के हमले के कुछ महीने पहले ही ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस सुझाव पर भड़क गए थे कि ब्रिटिश सेना को ज्यादा भारी हथियारों की जरूरत है। उनका कहना था कि बड़े-बड़े टैंक से युद्ध लड़ने के दिन बीत गए हैं। अब वही जॉनसन यूक्रेन में ज्यादा युद्धक टैंक भेजने की बात कर रहे हैं, जिससे वह रूस की सेना को पीछे धकेल सके।

युद्ध से पहले ज्यादातर विश्लेषक मान रहे थे कि ज्यादा उन्नत टेक्नोलॉजी और साइबर हथियारों से लैस रूस आसानी से आगे बढ़ जाएगा, लेकिन 21वीं सदी की युद्ध रणनीति 20वीं सदी के हथियारों के सामने हल्की लग रही है। विश्व में हथियारों की होड़ बढ़ गई है।

मजबूत होकर सामने आया नाटो

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उम्मीद थी कि यूक्रेन पर हमले से पश्चिम बंट जाएगा और नाटो कमजोर पड़ेगा। हालांकि, अब तक के नतीजे इससे विपरीत परिणाम दिखा रहे हैं। पश्चिमी देशों का गठजोड़ और मजबूत होता दिखा है। पुन: सोवियत संघ को बनने से रोकने के लिए पश्चिमी देश समूह के रूप में सामने आए हैं।

वहीं, 27 देशों वाले यूरोपीय संघ ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। साथ ही यूक्रेन को अरबों डालर की मदद भेजी है। नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन में जमकर हथियार भेजे हैं। हालांकि, अभी भी कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि युद्ध इसी तरह लंबा खिंचता रहा तो पश्चिमी एकता में दरार पड़ सकती है।

रूस और पश्चिम में बन रही नई दीवार

इस युद्ध ने पश्चिम और रूस के बीच नई दीवार खड़ी कर दी है। वहां की कंपनियां ब्लैकलिस्ट हो रही हैं। कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड ने वहां से अपना कारोबार समेट लिया है। चीन ने रूस के प्रति सहयोगी रवैया रखा है, लेकिन वह भी संतुलित दूरी बनाकर चल रहा है। रूस ने उत्तर कोरिया और ईरान से सैन्य संबंधों को मजबूत करना भी शुरू किया है। कुल मिलाकर दुनिया धीरे-धीरे दो खेमों में बंटती नजर आने लगी है। निसंदेह पूरी दुनिया पर इसका कई तरह से प्रभाव देखने को मिलेगा।

अर्थव्यवस्थाओं के स्वरूप में बदलाव

इस युद्ध ने आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ा प्रभाव डाला है। युद्ध से पहले यूरोपीय संघ के देश प्राकृतिक गैस का आधा हिस्सा और पेट्रोलियम का एक तिहाई हिस्सा रूस से ही आयात कर रहे थे। युद्ध ने स्थिति को एकदम बदल दिया है। पश्चिमी देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए नए विकल्प तलाश रहे हैं। इससे नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के प्रयोग में तेजी का अनुमान है।

युद्ध ने दुनियाभर में खाद्यान्नों की कीमत भी बढ़ा दी है। रूस गेहूं और सूरजमुखी के तेल का बड़ा निर्यातक रहा है। साथ ही उर्वरक उत्पादन में भी अग्रणी है। रूस इस खाद्य संकट के लिए पश्चिम को दोष दे रहा है। इस मोर्चे पर पूरी दुनिया को संकट का सामना करना पड़ रहा है।

अनिश्चितता का नया दौर

इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का नया दौर प्रारंभ किया है। युद्ध से सीधे तौर पर प्रभावित हुए 80 लाख यूक्रेनी नागरिकों से ज्यादा बेहतर तरीके से इसे कोई नहीं समझ सकता है। इनके अलावा भी लाखों लोग परोक्ष तौर पर प्रभावित हुए हैं। पुतिन ने कई बार परमाणु युद्ध की धमकी भी दी है। पूरा विश्व शीत युद्ध की स्थिति में है।

बता दें कि परमाणु हमला हुआ, तो स्थिति कल्पना से भी ज्यादा भयावह हो सकती है। तीसरी दुनिया के कई देश बस यही उम्मीद कर रहे हैं कि यह युद्ध जल्द खत्म हो। कई गरीब देशों के लिए महंगा खाद्यान्न भुखमरी का कारण बन रहा है। हर तरफ अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।

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