Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

सिकल सेल के लिए जीन थेरेपी उपचार को मंजूरी देने वाला पहला देश बना ब्रिटेन, नोबेल पुरस्कार विजेता है दवा निर्माता

ब्रिटेन सिकल सेल के लिए जीन थेरेपी उपचार को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है। दवा नियामक एमएचआरए ने कैसगेवी दवा को स्वीकृति दी है। बता दें कि कैसगेवी के निर्माताओं को 2020 में नोबेल पुरस्कार मिला था। सिकल सेल रोग एक रक्त विकार है जो लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल देता है और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।

By AgencyEdited By: Manish NegiUpdated: Thu, 16 Nov 2023 09:00 PM (IST)
Hero Image
सिकल सेल रोग के इलाज के लिए दवा को मंजूरी मिली (प्रतीकात्मक तस्वीर)

एपी, लंदन। ब्रिटेन के दवा नियामक ने सिकल सेल रोग के उपचार के लिए दुनिया की पहली जीन थेरेपी उपचार विधि को अनुमति प्रदान की है। इस फैसले से ब्रिटेन में इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हजारों लोगों को राहत मिल सकती है।

दवा कैसगेवी को मिली मंजूरी

गुरुवार को एक बयान में दवा नियामक एमएचआरए ने कहा कि उसने जीन एडिटिंग टूल सीआरआइएसपीआर का उपयोग करके लाइसेंस प्राप्त पहली दवा कैसगेवी को मंजूरी दे दी है। इसके निर्माताओं को 2020 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

क्या है सिकल सेल रोग?

सिकल सेल रोग एक रक्त विकार है जो लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल देता है और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। एजेंसी ने 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों के इलाज को मंजूरी दी। कैसगेवी को वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (यूरोप) और सीआरआइएसपीआर थेरेप्यूटिक्स द्वारा बनाया गया है। अब तक बोन मैरो ट्रांसप्लांट (अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण) एक अत्यंत कठिन प्रक्रिया है, जिसके बहुत अधिक दुष्प्रभाव होते हैं। यही नहीं, यह एकमात्र और लंबे समय तक चलने वाला उपचार रहा है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की डॉ. हेलेन ओ नील ने कहा कि लाइफ बदलने वाले इलाज का भविष्य सीआरआइएसपीआर आधारित (जीन-एडिटिंग) तकनीक में निहित है। उन्होंने कहा कि सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के संबंध में इलाज शब्द अब तक असंगत ही रहा है। उन्होंने एमएचआरए द्वारा जीन थेरेपी की मंजूरी को इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि सिकल सेल वाले लोगों में आनुवंशिक परिवर्तन के कारण कोशिकाएं अर्धचंद्राकार हो जाती हैं और ये रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं। इससे असहनीय दर्द, अंग क्षति, स्ट्रोक और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

ये भी पढ़ें:

चीन की खुफिया एजेंसी ने मौसम केंद्रों पर की कार्रवाई, जीपीएस डेटा हो रहा था चोरी