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UK Elections: 'मैं अपने धर्म से पाता हूं प्रेरणा', स्वामीनारायण मंदिर पहुंचे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक; चुनावी जीत के लिए मांगा आशीर्वाद

Rishi Sunak visited Swaminarayan temple ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति ने आम चुनाव प्रचार के आखिरी सप्ताह में लंदन के प्रतिष्ठित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में प्रार्थना की। सुनक ने इसके बाद अपने धर्म से मिलने वाली प्रेरणा के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मैं हिंदू हूं और आप सभी की तरह मैं भी अपने धर्म से प्रेरणा पाता हूं।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Published: Sun, 30 Jun 2024 10:18 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 10:18 AM (IST)
Rishi Sunak visited Swaminarayan temple मंदिर पहुंचे ऋषि सुनक।

पीटीआई, लंदन। Rishi Sunak visited Swaminarayan temple ब्रिटेन में आम चुनाव के चलते राजनीतिक हलचल तेज है। मतदाताओं को लुभाने के लिए नेता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति ने आम चुनाव प्रचार के आखिरी सप्ताह में लंदन के प्रतिष्ठित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में प्रार्थना की, जिसे नेसडेन मंदिर के नाम से जाना जाता है।

सुनक और पत्नी का हुआ जोरदार स्वागत

बीती शाम जब ब्रिटिश पीएम सुनक काफिला भव्य मंदिर परिसर में पहुंचा तो का जोरदार स्वागत किया गया और उन्होंने पुजारियों के मार्गदर्शन में पूजा-अर्चना की।

भारत को टी20 जीत की दी बधाई

मंदिर परिसर का दौरा करने और स्वयंसेवकों तथा समुदाय के नेताओं से बातचीत करने के बाद, क्रिकेट प्रशंसक सुनक ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत की टी20 विश्व कप जीत के संदर्भ से की। उन्होंने कहा कि भारत ने बहुत अच्छा वर्ल्ड कप खेला और जीत, उन्हें बधाई।

अपने धर्म से प्रेरणा और सांत्वना प्राप्त करता हूं

सुनक ने इसके बाद अपने धर्म से मिलने वाली प्रेरणा के बारे में बात की। उन्होंने कहा, "मैं हिंदू हूं और आप सभी की तरह, मैं भी अपने धर्म से प्रेरणा और सांत्वना प्राप्त करता हूं।" "मुझे 'भगवद गीता' पर संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने पर गर्व है। हमारा धर्म हमें अपना कर्तव्य करना सिखाता है और परिणाम के बारे में चिंता नहीं करना चाहिए, बशर्ते कि हम इसे ईमानदारी से करें।

मेरे माता-पिता ने मुझे यही सिखाया...

सुनक ने आगे अपने धर्म को लेकर कहा कि मेरे प्यारे माता-पिता ने मुझे यही सिखाया है और मैं इसी तरह अपना जीवन जीता हूं और यही मैं अपनी बेटियों को देना चाहता हूं जब वे बड़ी होंगी। यह धर्म ही है जो सार्वजनिक सेवा के प्रति मेरे दृष्टिकोण में मेरा मार्गदर्शन करता है।


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