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ब्रिटिश हाई कोर्ट ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित किया, अब दुनिया भर में जब्‍त की जा सकेंगी उसकी संपत्तियां

लंदन हाईकोर्ट ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया। इस फैसले से भारतीय बैंकों को बड़ा फायदा होने वाला है। इससे भारतीय बैंक विजय माल्या की संपत्तियों को आसानी से जब्‍त कर सकेंगे ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:33 AM (IST)
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लंदन हाईकोर्ट ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया।
लंदन, एजेंसियां। ब्रिटिश हाई कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया है। इसके साथ ही भारतीय बैंकों के लिए दुनिया भर में फैली उसकी संपत्तियों को जब्त करने का रास्ता आसान हो गया है। माल्या ने अब बंद हो चुकी अपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए भारतीय बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादे का कर्ज लिया था और जब कंपनी डूबी तो कर्ज चुकाए बिना ही वह लंदन भाग गया।

माल्या के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक संघ ने ब्रिटिश कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। भारत में माल्या की बैंकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में तलाश है। ब्रिटेन में अभी वह जमानत पर है और उसने वहां शरण लेने के लिए अपील भी कर रखी है।

हाई कोर्ट के चांसरी डिविजन की वर्चुअल सुनवाई के दौरान चीफ इंसाल्वेंसी एंड कंपनी कोर्ट (आइसीसी) के जज माइकल ब्रिग्स ने माल्या को दिवालिया घोषित किया है। जज ने कहा कि उन्हें यह तय करना है कि क्या निश्चित अवधि में याचिका को ऋण के पूर्ण भुगतान की वास्तविक संभावना है। जज ने यह भी कहा कि इसकी संभावना बहुत कम है कि माल्या द्वारा उचित समय में पूर्ण कर्ज का भुगतान किया जाएगा।

माल्या के वकील ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करने का संकेत दिया है। सुनवाई के दौरान जज ने माल्या के वकील से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल के आपराधिक मामलों का सामना करने के लिए भारत जाने की संभावना है। वकील ने बताया कि ऐसी कोई संभावना नहीं है।

हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बताया था कि मनी लांड्रिंग-रोधी कानून के तहत किंगफिशर एयरलाइंस के अटैच किए गए शेयरों के एक हिस्से की बिक्री के जरिये एसबीआइ के नेतृत्व वाले कर्जदाता कंसोर्टियम को 792.11 करोड़ रुपये मिल गए हैं। ईडी की ओर से जारी बयान के मुताबिक देश के दो सबसे बड़े बैंक लोन घोटालों में फंसी कुल रकम का करीब 58 फीसद हिस्सा बैंकों और सरकार को वापस मिल चुका है।