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Nizam of Hyderabad's Funds: 70 साल पुराने मामले में पाकिस्तान को झटका, 7वें निजाम के अरबों रुपये भारत को मिलेंगे

लंदन के बैंक में जमा हैदराबाद के निजाम की संपत्ति पर पाकिस्तान ने दावा किया था लेकिन कोर्ट ने उसकी दलीलों को नकार दिया।

By Manish PandeyEdited By: Updated: Thu, 03 Oct 2019 07:05 AM (IST)
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Nizam of Hyderabad's Funds: 70 साल पुराने मामले में पाकिस्तान को झटका, 7वें निजाम के अरबों रुपये भारत को मिलेंगे
लंदन, एएनआइ। हैदराबाद के निजाम की करोड़ों की संपत्ति को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे लंबे विवाद का बुधवार को अंत हो गया। ब्रिटेन की कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान को 70 साल से चले आ रहे केस में झटका दिया है। हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्‍मान अली खान ने 1948 में लंदन एक बैंक में 8 करोड़ रुपये जमा कराए थे, जो अब बढ़कर 300 करोड़ से अधिक हो गई है।

भारत सरकार के साथ निजाम के 8वें वंशज

महत्वपूर्ण बात यह है कि हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जेह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह ने लंदन के बैंक में जमा पैसे को लेकर पाक सरकार के विरुद्ध कानूनी लड़ाई में भारत सरकार का पूरा साथ दिया है। भारत विभाजन के दौरान 1948 में हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान ने नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे। यह राशि बढ़ते-बढ़ते अब 3.50 करोड़ पाउंड (तीन अरब आठ करोड़ 40 लाख रपए) हो गई है। इस भारी रकम पर पाकिस्तान अपना हक जतात रहा था।

पाक उच्चायुक्त के खाते में किया था ट्रांसफर

1948 में हैदराबाद के निजाम के वित्तमंत्री ने ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के बैंक खाते में रकम को ट्रांसफर कर दिया था, जिसे लंदन के एक बैंक खाते में जमा कराया गया था। फिलहाल ये फंड लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक में जमा है।

कोर्ट ने खारिज किया पाकिस्तान का दावा

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि फैसले में यूके की अदालत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया है कि इस फंड का उद्देश्य हथियारों की शिपमेंट के लिए पाकिस्तान को भुगतान के रूप में किया गया था। यहीं नहीं पाकिस्तान ने कई बार प्रयास किया कि किसी तरह यह मामला बंद हो जाए, लेकिन उसके हर प्रयास को लंदन की कोर्ट से खारिज कर दिया।

पैसे पर भारत सरकार और निजाम के वंशज का हक

लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ([हाई कोर्ट)] के जस्टिस मार्कस स्मिथ ने अपने फैसले में कहा कि हैदराबाद के सातवें निजाम उस्मान अली खान इस राशि के मालिक थे। उनके बाद उनके वंशज और भारत सरकार हकदार हैं। इस पर पाकिस्तान का दावा उचित नहीं है।

बच्चे से बूढ़े हो गए निजाम के वंशज

ब्रिटिश हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उनके वकील पॉल हैविट ने कहा कि यह पैसा 1948 से विवादित था। तब हमारे मुवक्किल (निजाम के वंशज मुकर्रम व मुफ्फखम जाह) बच्चे थे जो अब 80 साल के हो गए हैं। फैसला उनके व उनके परिवार के लिए बड़ी राहत है।