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Britain Protest: ब्रिटेन में अप्रवासियों और मुस्लिमों के खिलाफ क्यों भड़की हिंसा? जानिए इसके पीछे क्या है कारण

ब्रिटेन में पिछले सप्ताह की शुरूआत में दंगा भड़क उठा। यह दंगा तब भड़का जब उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड के साउथपोर्ट में चाकू से हमला कर तीन छोटी बच्चियों की हत्या कर दी गई। इसके बाद ऑनलाइन फेक न्यूज की बाढ़ आ गई और पुरे इलाके में फैल गई। फेक न्यूज इस खबर से अप्रवास विरोधी और मुस्लिम विरोधी लोगों ने प्रोटेस्ट शुरू किया।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 08 Aug 2024 03:24 PM (IST)
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ब्रिटेन में क्यों फैल रहे हैं अप्रवासी विरोधी प्रदर्शन और दंगे? (फोटो- जागरण)
ऑनलाइन डेस्क, लंदन। पिछले महीने जुलाई में हुए बच्चों के एक डांस इवेंट में हुए जानलेवा हमले के बाद ब्रिटेन के कई हिस्सों में दंगें भड़क उठे हैं। इन भड़के दंगों की लहर यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के कई इलाकों में फैल चुकी है और फेक न्यूज की बाढ़ ने इस देंगें को और भी भड़का दिया है। यह दंगा तीन छोटी लड़कियों की दुखद मौत से दुखी एक कम्यूनिटी ने शुरू की धीरे-धीरे यह दंगा अब पूरे देश में अराजकता का रूप ले चुका है।

वहीं इस अशांति के बीच, दूर-दराज़ के अलग-अलग समूह इस मौके का इस्तेमाल अप्रवास विरोधी (Anti-Immigration) और मुस्लिम विरोधी (Anti-Muslim) हिंसा भड़काने के लिए कर रहे हैं।

क्या है इस विरोध प्रदर्शन की वजह?

इस दंगे की शुरूआत 29 जुलाई को, उत्तरी इंग्लैंड के साउथपोर्ट में टेलर स्विफ्ट थीम वाले डांस इवेंट (Taylor Swift-themed dance event in Southport) के दौरान छह से नौ साल की तीन छोटी लड़कियों की हत्या कर दी गई। आठ अन्य बच्चों और दो वयस्कों पर भी चाकू से वार किया गया जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना के मुख्य हमलावर (17 वर्षीय एक्सल रुदाकुबाना) को गिरफ्तार किया गया और उस पर हत्या करने, हत्या के प्रयास सहित 10 अन्य मामला उसपर दर्ज किया गया।

कौन है हमलावर एक्सल रुदाकुबाना?

एक्सल रुदाकुबाना का जन्म और पालन-पोषण कार्डिफ, वेल्स में हुआ था। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह झूठी सूचना तेजी से फैल गई कि वह एक इस्लामवादी प्रवासी था। इस गलत सूचना ने अगले दिन साउथपोर्ट में हिंसक मुस्लिम विरोधी प्रदर्शनों को भड़का दिया, जिसमें स्थानीय मस्जिद पर हमले का प्रयास भी शामिल था।

पूरे ब्रिटेन में कैसे फैला दंगा?

बुधवार शाम को, गुस्साए प्रदर्शनकारियों के एक समूह प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के डाउनिंग स्ट्रीट कार्यालय पर एकत्रित हो गए। प्रदर्शनकारियों ने आव्रजन (Immigration) पर अपना आक्रोश व्यक्त किया और सरकार से कार्रवाई की मांग की। भीड़ के नारे 'हमारे बच्चों को बचाओ' और 'हमें अपना देश वापस चाहिए' हवा में गूंज रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प भी की। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास की ओर आग की लपटें फेंकना शुरू कर दिया।

पूरे ब्रिटेन में 20 से ज्यादा जगहों पर भड़के दंगे 

मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने हिंसक उपद्रव के बाद 111 गिरफ़्तारियों और पांच घायल अधिकारियों की रिपोर्ट की है। यह साउथपोर्ट में मंगलवार के शुरुआती विरोध प्रदर्शनों के बाद हुआ है, जहां 50 से ज़्यादा पुलिस अधिकारी घायल हुए थे और पुलिस वैन में आग लगा दी गई थी। तब से, पूरे ब्रिटेन में सुंदरलैंड, मैनचेस्टर, प्लायमाउथ और बेलफास्ट सहित 20 से ज्यादा जगहों पर दंगे भड़क चुके हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में सैकड़ों प्रतिभागियों ने प्रवासियों या मुसलमानों को निशाना बनाया, दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस के साथ झड़प की।

दंगों के पीछे कौन है?

पीएम कीर स्टारमर ने हाल ही में हुई हिंसा के लिए 'दूर-दराज के गुंडों' को दोषी ठहराया है। स्टीफन याक्सले-लेनन जैसे प्रमुख मुस्लिम विरोधी और आव्रजन विरोधी कार्यकर्ताओं पर तनाव को बढ़ाने के लिए झूठी जानकारी फैलाने का आरोप है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की इस बात के लिए आलोचना की गई है कि वे गलत सूचनाओं के प्रसार को नहीं रोक पाए, जिसने इन झूठी कहानियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

विरोध प्रदर्शन में दक्षिणपंथी आंदोलनकारी भी शामिल

पुलिस के अनुसार, झड़पों में शामिल ज्यादातर लोग स्थानीय इलाकों से बाहर के दक्षिणपंथी आंदोलनकारी थे।पुलिस ने कहा, हालांकि, स्थानीय शिकायतों वाले कुछ लोग और ईवेंट में शामिल होने आए युवा भी इस झड़प में शामिल हुए। इस बीच, विरोधी प्रदर्शनकारी और फासीवाद विरोधी समूह उनका विरोध करने के लिए एकत्र हुए हैं।

प्रदर्शनकारियों द्वारा किए जा रहे दंगों के पीछे क्या है प्रेरणा?

खुद को 'देशभक्त' बताने वाले कई दंगाइयों ने दावा किया कि उच्च आव्रजन स्तर ब्रिटिश समाज को कमजोर कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने दंगे को लेकर तर्क दिया कि आव्रजन हिंसा और अपराध को बढ़ावा देते हैं और राजनेता प्रवासियों का पक्ष लेते हैं। हालांकि, अधिकार समूहों और नस्लवाद विरोधी संगठनों ने इन दावों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया, यह बताते हुए कि असली मकसद देशभक्ति के रूप में छिपा हुआ उग्रवाद था।

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