हर्ष वी. पंत। भारतीय राजनीति पारंपरिक रूप से घरेलू मुद्दों पर केंद्रित रही है और विदेशी मामलों के स्तर पर बात अमूमन चीन एवं पाकिस्तान तक सीमित रहती आई है। हालांकि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह रवैया बदला है। मोदी ने विदेश नीति जैसे विषय को राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किया है। अब उनकी इस नीति की छाप भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र पर भी दिखाई दे रही है, जिसे सत्तारूढ़ दल ने ‘संकल्प पत्र’ का नाम दिया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से लेकर देश को विकसित राष्ट्र बनाने और शीघ्र ही भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनाने के संकल्प की पूर्ति में विदेश नीति की प्रभावी भूमिका रहने वाली है। इसकी महत्ता को समझते हुए भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में विदेश एवं सामरिक नीति को महत्व देते हुए वैश्विक पटल पर भारत के विस्तार को साकार रूप देने संबंधी कई पहलुओं को शामिल किया है। मोदी की नीति में ‘विश्वबंधु भारत’ और वसुधैव कुटुंबकम् जैसी संकल्पनाएं भारत को विश्वपटल पर एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित करने पर बल देती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी आर्थिक, सामरिक एवं सांस्कृतिक शक्ति के दम पर वैश्विक विस्तार के प्रयास में लगा है।

मोदी के नेतृत्व में भाजपा का दृष्टिकोण यही दर्शाता है कि भारत को वैश्विक समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने वाले देश के रूप में देखा जाए। इस समय पूरी दुनिया अस्थिरता एवं कोलाहल के दौर से गुजर रही है। वैश्विक ढांचा छिन्न-भिन्न है और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की आभा कमजोर हो रही है। ऐसे अस्थिर हालात में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर रही है। इसके पीछे मोदी की सक्रिय विदेश नीति और विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ उनके सहज एवं आत्मीय संबंधों की अहम भूमिका रही है।

अपने इसी प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए भारत कोविड संकट से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध और इन दिनों पश्चिम एशिया में चल रहे हिंसक टकराव से स्वयं को अलग रखने एवं अपने हितों की पूर्ति में सफल रहा है। ऐसी स्थिति में विपरीत ध्रुवों वाले देश भी भारत की ओर उम्मीद लगाकर देख रहे हैं। इस परिदृश्य में भारत ने एक जिम्मेदार देश की भूमिका निभाते हुए अपने स्तर पर समाधान का प्रयास किया है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय साख एवं कद बढ़ा है।

कोविड महामारी के समय से विश्व अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अक्षमता की समस्या से जूझ रहा है। हाल के विभिन्न हिंसक टकरावों के दौरान भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निष्प्रभावी भूमिका देखी गई है। यही कारण है कि मोदी ने विभिन्न मंचों से बार-बार संयुक्त राष्ट्र सुधारों की बात दोहराई है। भाजपा के संकल्प पत्र में भी इसे दोहराया गया है कि सुरक्षा परिषद में सदस्यता प्राप्त कर भारत वैश्विक मामलों में व्यापक भूमिका निभाएगा।

भारी उथल-पुथल के दौर से जूझ रही दुनिया में वैश्विक ढांचा बहुत तेजी से बदल रहा है। नेतृत्व के स्तर पर उत्पन्न हो रहे निर्वात को प्रभावी रूप से भरने के लिए मोदी के नेतृत्व में भारत सक्रिय भूमिका निभा रहा है। गत वर्ष नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को समूह का सदस्य बनाने में मिली सफलता से लेकर ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों के मुद्दों को मुखरता से उठाने तक भारत ने सक्षम नेतृत्वकर्ता का परिचय दिया है।

आइएमएफ एवं विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में अपेक्षित सुधारों और उसमें विकासशील देशों को उचित प्रतिनिधित्व देने की आवाज उठाने में भारत खासा मुखर रहा है। कोविड महामारी में टीके पहुंचाने से लेकर तुर्किये से लेकर नेपाल और सीरिया तक प्राकृतिक आपदा में भारत ने अपने संबंधों की परवाह किए बिना वहां राहत पहुंचाने में तत्परता दिखाई है। भाजपा के संकल्प पत्र में इसी दृष्टिकोण को दोहराया गया है कि भारत प्राकृतिक या किसी अन्य प्रकार की आपदाओं में मानवीय सहयोग एवं सहायता प्रदान करने में आगे रहेगा। इससे भारत के प्रति वैश्विक धारणा सकारात्मक होगी और वह एक स्वाभाविक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरेगा।

चूंकि भारत एक संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्र में अवस्थित है तो पड़ोसियों के साथ संबंध भी खासे अहम हो जाते हैं। भाजपा ने ‘पड़ोसी प्रथम’ की अपनी नीति में निरंतरता का वादा किया है। भाजपा के संकल्प पत्र में उल्लेख है कि पार्टी के शासन में देश भारतीय उपमहाद्वीप में जिम्मेदार एवं भरोसेमंद साझेदार के रूप में समूचे क्षेत्र को प्रोत्साहन की नीति पर चलेगा। इसके साथ ही परेशानी का सबब बनने वाले सीमा पार आतंकवाद और चीन के साथ संतुलन की दृष्टि से प्रभावी कदम उठाने की बात भी की है।

भाजपा ने चीन सीमा पर उन्नत बुनियादी ढांचा विकसित करते रहने पर जोर दिया है। साथ ही हिंद महासागर में मुक्त आवाजाही एवं सामुद्रिक सुरक्षा का भी आश्वासन दिया है। पार्टी ने पाकिस्तान सीमा पर भी बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाते रहने का संकल्प लिया है। इसके अलावा, आतंक पर अंकुश के लिए भाजपा ने कांप्रिहेंसिव कन्वेंशन अगेंस्ट इंटरनेशनल टेररिज्म पर संयुक्त राष्ट्र में सर्वानुमति बनाने के लिए प्रयासरत रहने का उल्लेख किया है।

दुनिया भर में फैले भारतवंशियों के प्रभाव को देश के हित में उपयोग करना भी भाजपा के एजेंडे में है। भाजपा के संकल्प पत्र में उल्लेख है कि वह भारत की प्रगति में भारतवंशियों को सक्रिय रूप से शामिल कर उनकी आवश्यकता के समय उन्हें अपेक्षित समर्थन भी उपलब्ध कराएगी। मोदी सरकार के दौरान भारतवंशियों को साधने के विशेष प्रयास भी किए गए हैं।

पार्टी का वादा है कि भारत के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को बढ़ाने के लिए राजनयिकों और भारत के मिशनों की संख्या में भारी बढ़ोतरी की जाएगी, क्योंकि जिस प्रकार से देश के हितों का विस्तार हो रहा है, उनकी पूर्ति के लिए मानवीय संसाधनों का अभाव दिखता है। इसी कड़ी में कुछ दिन पहले ही कई देशों में डिफेंस अटैचियों की नियुक्ति भी की गई है। ऐसे में पार्टी का संकल्प पत्र सरकार की नीति में निरंतरता और क्षमता विस्तार की आकांक्षाओं को ही दर्शाता है।

(लेखक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में उपाध्यक्ष हैं)