इंडियन मार्केट में लगातार बढ़ रहा Electric Vehicles का वर्चस्व, ICRA ने पेश की 'फ्यूचर रिपोर्ट'
ICRAने एक बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में ईवी की पहुंच 4.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है जिसमें से अधिकांश इलेक्ट्रिक दोपहिया सेगमेंट द्वारा संचालित है हालांकि ई-थ्री-व्हीलर और इलेक्ट्रिक बसों ने भी इसमें योगदान दिया है। उम्मीद है कि 2030 तक घरेलू दोपहिया वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत और यात्री वाहन की बिक्री में 15 प्रतिशत होगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने मंगलवार को कहा कि ऑटो कंपोनेंट उद्योग को इलेक्ट्रिक वाहन भागों के उत्पादन का विस्तार करने के लिए अगले 3-4 वर्षों में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने की उम्मीद है। आइए, पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
लगातार बढ़ रही ईवी की पहुंच
एक बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में ईवी की पहुंच 4.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जिसमें से अधिकांश इलेक्ट्रिक दोपहिया सेगमेंट द्वारा संचालित है, हालांकि ई-थ्री-व्हीलर और इलेक्ट्रिक बसों ने भी इसमें योगदान दिया है।
हालांकि, उन्नत रसायन बैटरी, जो सबसे महत्वपूर्ण और सबसे महंगा कंपोनेंट है, वाहन की कीमत का लगभग 35-40 प्रतिशत हिस्सा है, जो आयात किया जाता है। इसमें कहा गया है कि निम्न स्थानीयकरण स्तर घरेलू ऑटो घटक आपूर्तिकर्ताओं के लिए विनिर्माण अवसरों को जन्म देता है।
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ये है इक्रा का पूर्वानिमान
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने कहा, "इक्रा को क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी और उत्पाद संवर्द्धन के लिए अगले तीन-चार वर्षों में ईवी घटकों के लिए कम से कम 25,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की उम्मीद है।"
उन्होंने कहा कि इसका लगभग 45-50 प्रतिशत हिस्सा बैटरी सेल के लिए होगा। उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना, हालिया ई-वाहन नीति और राज्य प्रोत्साहन भी पूंजीगत व्यय में तेजी लाने में योगदान देंगे।
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि 2030 तक घरेलू दोपहिया वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत और यात्री वाहन की बिक्री में 15 प्रतिशत होगी।
प्रगति करेगा दोपहिया वाहन कंपोनेंट बाजार
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि घरेलू इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपोनेंट बाजार की क्षमता 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी, जबकि सहायक वाहनों के लिए राजस्व क्षमता के संदर्भ में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कंपोनेंट सेगमेंट कम से कम 50,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है।
बैटरी सेल वर्तमान में भारत में निर्मित नहीं होते हैं और इस प्रकार अधिकांश मूल उपकरण निर्माता (OEMs) आयात पर निर्भर हैं। दीवान ने कहा, "भारत में विनिर्माण परिचालन बैटरी पैक की असेंबली तक ही सीमित है। ईवी की बड़े पैमाने पर पहुंच और प्रतिस्पर्धी लागत संरचना हासिल करने के लिए, भारत को स्थानीय स्तर पर बैटरी सेल विकसित करने के लिए अपना स्वयं का पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता होगी।"
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