Real Driving Emission: अप्रैल से गाड़ियों में होने वाला है अहम बदलाव, जानिए RDE से संबंधित सभी सवालों के जवाब
अभी तक गाड़ी का प्रदूषण स्तर जांचने के लिए प्रयोगशाला का सहारा लेना पड़ता था लेकिन अब रियल ड्राइविंग एमिशन के लागू होने से वाहन की वास्तविक समय में उत्सर्जन स्तर की निगरानी रखी जा सकती है। इसके लिए अब इंजन को थोड़ा एडवांस डिजाइन किया जाएगा। (जागरण फोटो)
By Atul YadavEdited By: Atul YadavUpdated: Sun, 19 Feb 2023 06:53 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय ऑटो सेक्टर में रियल ड्राइविंग एमिशन यानी RDE सबसे हॉट टॉपिक है। सरकार ऑटो सेक्टर के लिए नए नॉर्म को लागू करने जा रही है, जिसका उद्देश्य गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने का है। इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं, रियल ड्राइविंग एमिशन क्या होता है? वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां अपनी गाड़ियों में क्या बदलाव करेंगी? साथ ही इसके फायदे और नुकसान के बारे में।
रियल ड्राइविंग एमिशन क्या है?
Real Driving Emission को BS6 के दूसरे चरण के तौर पर देखा जाता है। बीएस6 को पहली बार 2020 में पेश किया गया था। अभी तक गाड़ी का प्रदूषण स्तर जांचने के लिए प्रयोगशाला का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन अब रियल ड्राइविंग एमिशन के लागू होने से वाहन की वास्तविक समय में उत्सर्जन स्तर की निगरानी रखी जा सकती है। इसके लिए अब इंजन को थोड़ा एडवांस डिजाइन किया जाएगा।वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां करेंगी ये बदलाव
नए नियम के लागू हो जाने के बाद गाड़ी बनाने वाली कंपनियां अपने मौजूदा इंजन में यूज होने वाली तकनीक को अपडेट करेंगी। डीजल इंजन वैसे भी महंगा पड़ता है, ऐसे में नए नॉर्म के तहत आने वाली डीजल गाड़ियां अधिक महंगी हो जाएंगी। 1 अप्रैल 2023 से लागू होने वाले इस नियम के चलते बहुत सी कंपनियों ने पुरानी गाड़ियों को बंद करने का फैसला लिया है। अब वे नए इंजन के साथ अपनी गाड़ियों को वापस लाने के लिए तेजी से काम कर रही हैं।भारत में दिन-प्रतिदिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता चला जा रहा है। वहीं देश में गाड़ियों की संख्या में भी तेजी ग्रोथ देखने को मिली है। इसी वजह से सरकार इससे निपटने के लिए 2020 में भारत स्टेज 6 या बीएस6 नॉर्म्स को लागू किया था। अब इसी को और भी एडवांस बनाने के लिए सरकार दूसरे चरण को 1 अप्रैल 2023 से लागू करने जा रही है।