प्रकृति से मिले बहुमूल्य उपहार के लिए भक्त पूजा के जरिए माता को आभार व्यक्त करते हैं। इस सोच का उदाहरण नवरात्र में खासकर देखने को मिलता है। बंगाली समुदाय दुर्गा माता का प्रतिक कोलाबो का निर्माण भी प्रकृति से मिले औषधि से करते हैं। साथ ही स्वस्थ जीवन के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है उसका इस पूजा में उपयोग होता है।
By Edited By: Mukul KumarUpdated: Mon, 16 Oct 2023 09:05 AM (IST)
जागरण संवादाता, भागलपुर।
प्रकृति एवं जीवन के बीच आराधना का अपना विशेष महत्व है। पूजा के माध्यम से भक्त प्रकृति से मिले बहुमूल्य उपहार के लिए देवी को आभार व्यक्त करते है। इस सोच का उदाहरण नवरात्र के दौरान देखने को मिलता है।
खास कर बंगाली समुदाय दुर्गा माता का प्रतिक कोलाबो का निर्माण भी प्रकृति से मिले औषधि से करते है। साथ ही स्वस्थ जीवन के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उसका इस पूजा में उपयोग होता है।
औषधि को मानते हैं लोग देवी का आशीर्वाद
पूजा में सामग्री अर्पित कर जताते है आभार
देवाशीष बनर्जी कहते है प्रकृति ने हमें वो सारी चीज दिया है जो जीवन के लिए जरूरी है। पंच तत्व से बने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति ने हमें औषधि प्रदान किया है। इसे लोग देवी का आर्शीवाद मानते हैं।
नवरात्र के नौ दिन इन चीजों को हम लोग देवी को अर्पित कर उनका आभार व्यक्त करते है। देवी के रूप में जो कोलाबो का निर्माण होता है उसमें भी औषधि का उपयोग होता है। इसमें धान की बाली , हलदी का पौधा, अशोक का पत्ता, बेलपत्र , तुलसी, बेल, दुबडी, चंदन समेत अन्य चीजों का उपयोग होता है।
तिल का तेल, गोमूत्र समेत अन्य चीजों का उपयोग
इसके अलावा पूजा में तिल का तेल, गोमूत्र समेत अन्य चीजों का उपयोग होता है। ज्यादातर सामग्री हमें प्रकृति से मिलता है। पूजा के दौरान हम लोग देवी से कहते है आप की इन औषधी से शरीर स्वस्थ रहता है।
आयुर्वेद में इन सामग्री का यह है महत्व
नवरात्र में जिन चीजों का प्रयोग होता है। वह मानव शरीर के लिए कितना अहम है।
आयुर्वेद कालेज नाथनगर के प्राचार्य डा. सीबी सिंह कहते हैं कि प्रकृति ने बेहतरीन औषधि मानव को दिया है। हल्दी से खून साफ होता है, दर्द को दूर करने में यह कारगर है। अशोक का पत्ता स्त्री जनित रोग के लिए बेहतरीन कार्य करता है। तुलसी का पत्ता से वायरल रोग को ठीक करता है।
उन्होंने कहा कि केला से शरीर में ताकत आता है। दुबडी किसी भी जख्म को रोकने में असरदार है। बेल पेट के रामबाण है। तिल का उपयोग स्त्री रोग को दूर करने में होता है। चंदन का उपयोग जलन और सौदर्य के लिए होता है। मधु से शरीर का वजन कम होता है। आयुर्वेंद की ज्यादातर दवा सेवन मधु के साथ ही किया जाता है।
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