Bihar News: कहां गये जमुई के 3777 कुपोषित बच्चे, 2400 मासूम जीत चुके हैं अपनी लड़ाई
मुंगेर सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र 2017 में खोला गया। केंद्र को खोले जाने का मकसद कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर निकालना है। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने बेहतर काम भी किया है लेकिन लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका है। जिले में 2423 कुपोषण को हरा चुके हैं। 3777 कुपोषित बच्चे अब भी इलाज से दूर हैं।
By Rajnish KumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 10 Aug 2023 05:20 PM (IST)
संवाद सहयोगी, मुंगेर: बिहार में मुंगेर सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) 2017 में खोला गया। केंद्र को खोले जाने का मकसद कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराकर उन्हें कुपोषण के दायरे से बाहर निकालना है।
इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बेहतर काम भी किया है, लेकिन लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका है। जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 6200 है। इनमें से 2423 बच्चे कुपोषण को हरा चुके हैं। 3777 कुपोषित बच्चे अब भी इलाज से दूर हैं।
इन कुपोषित बच्चों का उपचार भी नहीं हुआ या कहें स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल को लेकर सजग नहीं है। कुपोषित बच्चों के लिए एनआरसी में 20 बेड उपलब्ध हैं।
बच्चों को भर्ती कर होता है इलाज
एनआरसी में कुपोषित बच्चे को कम से कम 15 दिन रखा जाता है। इनके साथ इनकी मां भी होती है। बच्चे जब स्वस्थ होकर घर जाने लगते है, मां के खाते में बच्चों की देखभाल के लिए प्रतिदिन 257 रुपये की दर से 15 दिन का 3855 रुपये का भुगतान होता है।
एनआरसी तक कुपोषित बच्चों को पहुंचाने वाली आशा, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका को भी सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दिए जाते हैं। सरकार की ओर से इस तरह की सुविधाएं देने के बाद भी केंद्र तक कुपोषण के शिकार बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं।
केस स्टडी: 1मुंगेर जिले के बरियारपुर के खड़िया पिपरा निवासी उर्मिला कुमारी तीन वर्षीय बेटा अक्षय और मासूम सोनाली को लेकर एनआरसी में भर्ती है। दोनों जन्म से कमजोर हैं। बच्चे का वजन सवा दो किलोग्राम है। बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराया गया है। उचित देखभाल होने के बाद बच्चे का वजन बढ़ने लगा है। दोनों को एक से दो दिनों में यहां से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
केस स्टडी: 2नगर निगम क्षेत्र के इंदिरा गांधी चौक निवासी निशा कुमार छह अगस्त को आठ माह के मासूम रंजीत को लेकर एनआरसी पहुंची है। जब बच्चे को भर्ती कराया गया तो स्थिति काफी कमजोर थी। कुपोषण का लक्षण था। अभी महिला को बच्चे के साथ 10 दिनों तक एनआरसी में रहना होगा। स्वास्थ्य और वजन पहले से बेहतर होने के बाद डिस्चार्ज किया जाएगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चों का उचित देखभाल किया जाता है। बच्चे के मां और स्वजन को भी कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए जानकारी भी दी जाती है। तीन वर्षों के दौरान केंद्र पहुंचने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या काफी कम है। यहां कुपोषित बच्चों को बेहतर देखभाल किया जाता है।
सुजीत कुमार, नोडल पदाधिकारी, एनआरसी