Bihar Weather: राज्य में अगले चौबीस घंटे तक गर्मी करेगी परेशान, 27 प्रतिशत कम हुई वर्षा; अब सितंबर पर उम्मीद
Bihar Weather Update बिहार का मौसम आने वाले चौबीस घंटे तक गर्म रहेगा। राज्य में हल्की वर्षा हो सकती है लेकिन तीन दिनों तक भारी वर्षा की कोई उम्मीद नहीं है। अगले चौबीस घंटे तक प्रदेश में मानसून कमजोर रहने का अनुमान है। मौसम विज्ञानिकों के अनुसार सितंबर में भी अगर बिहार में अच्छी वर्षा नहीं हुई तो इसका प्रभाव खरीफ के साथ रबी फसलों पर भी पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, पटना : प्रदेश का मौसम अगले चौबीस घंटे तक शुष्क रहेगा। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि वर्तमान में मानसून की ट्रफ लाइन हिमालय के तराई वाले इलाके से गुजर रही है।
ऐसे में प्रदेश में स्थानीय कारकों से हल्की वर्षा हो सकती है। हालांकि, तीन दिनों तक राज्य में भारी वर्षा की कोई उम्मीद नहीं है।
प्रदेश में मानसून कमजोर रहने का अनुमान
गुरुवार को राज्य में दरभंगा में सबसे ज्यादा 26.2 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। खगड़िया में 19.2 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
राज्य में सबसे ज्यादा तापमान 37 डिग्री सेल्सियस भागलपुर एवं सबसे कम 23.1 मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड किया गया। अगले चौबीस घंटे तक प्रदेश में मानसून कमजोर रहने का अनुमान है।
प्रदेश में बारिश की स्थिति
मानसून ने इस वर्ष किसानों को निराश किया है। प्रदेश में सामान्य से 27 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि सामान्यत: जून, जुलाई एवं अगस्त में अच्छी वर्षा होती है।
मानसून के दौरान प्रदेश में अब तक 775.7 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन 569.6 मिलीमीटर वर्षा ही रिकॉर्ड की गई। प्रदेश में सामान्यत: 30 सितंबर तक मानसून की वर्षा होती रही है। इस कारण अब उम्मीद इसी माह पर टिकी है।
राज्य में सबसे कम वर्षा सहरसा में रिकॉर्ड की गई। वहां सामान्य से 51 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। सामान्यत: मानसून के दौरान सहरसा में 846.9 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 416.7 मिलीमीटर ही हुई।
वहीं, सीतामढ़ी में सामान्य से 50 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। सीतामढ़ी में अब तक 871.7 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन 437.9 मिलीमीटर हुई।
बारिश का फसलों पर प्रभाव
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि सितंबर में भी अगर प्रदेश में अच्छी वर्षा नहीं हुई तो इसका प्रभाव खरीफ के साथ रबी फसलों पर भी पड़ेगा।
भूजल की स्थिति भी प्रभावित होगी। मानसून सीजन में अच्छी वर्षा होने से ताल-तलैया भर जाते हैं, जिससे किसान बाद में भी फसलों की सिंचाई करते हैं।