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राजगीर में भी हो चुका है झारखंड के देवघर जैसा हादसा, टूटकर 75 फीट नीचे गिर गया था रोपवे

राजगीर में भी रोपवे की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रोजाना रोपवे के परिचालन के दो घंटे पूर्व मेंटनेंस और सुरक्षा की जांच की जाती है। अपर व लोअर स्टेशन इंचार्ज की लिखित सूचना के बाद रोपवे का परिचालन शुरू किया जाता है।

By Akshay PandeyEdited By: Updated: Wed, 13 Apr 2022 08:08 AM (IST)
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राजगीर रोपवे की सुरक्षा इंतजाम पांच गुना अधिक हैं। सांकेतिक तस्वीर।

संवाद सहयोगी, राजगीर (नालंदा) : झारखंड के देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे के बाद पर्यटन नगरी राजगीर में भी रोपवे की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां भी 2014 में देवघर जैसा हादसा हो चुका है। तब 75 फीट से रोपवे टूटकर नीचे गिर गया था। हालांकि हादसे में किसी की जान नहीं गई थी, लेकिन आधा दर्जन पर्यटन जख्मी हुए थे। घटना के बाद रोपवे प्रशासन पर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। देवघर हादसे के बाद सोमावर को रोपवे मैनेजर तथा इसके निर्माण सह मेंटनेंस एजेंसी सीआरएसपीएल यानी कन्विनियर एंड रोप वे सर्विसेज प्रा लि ने दावा किया कि यह हर सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने वाली है। रोपवे मैनेजर गौरव कुमार ने बताया कि रोजाना रोपवे के परिचालन के दो घंटे पूर्व मेंटनेंस और सुरक्षा की जांच की जाती है। इसके बाद अपर व लोअर स्टेशन इंचार्ज की लिखित सूचना के बाद रोपवे का परिचालन शुरू किया जाता है। 

मेंटनेंस कंपनी के डीजीएम सुप्रियो मंडल ने बताया कि मोनोकेबल केंडूला डिटैचेबल ग्रिप तकनीक से एट सीटर केबिन रोपवे परिपूर्ण है। उन्होंने देवघर जैसी घटना की पुनरावृत्ति की नहीं होने का दावा किया। कहा कि निर्माण के दौरान रत्नागिरी पर्वत के पत्थरों और मिट्टी की गहन जांच कर टावर का फाउंडेशन किया गया है। फिर टावर के उपर लोड, विंड प्रेशर आदि को देखकर डिजाइन किया गया है। डिजाइन में सभी ए टू जेड सेफ्टी का ख्याल पांच गुना अधिक रखा गया है।

सीढ़ियों के साथ विशेष प्रशिक्षित टीम करेगी रेस्क्यू

अगर केबिन बीच रास्ते में रुक जाती है तो वर्टिकल रेस्क्यू के तहत केबिन में फंसे पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकालने की भी व्यवस्था की गई है। सिंगल चेयर रोपवे से फोल्डेबल सीढ़ियों के सहारे निकालने की व्यवस्था है। एट सीटर केबिन रोपवे से रेस्क्यू के लिए प्रशिक्षित टीम मौजूद है। रोपवे को चेन के सहारे इधर-उधर करने की भी सुविधा है। इससे रेस्क्यू आसान हो जाता है।

तेज हवा से बंद हो जाता है रोप वे

तेज हवा तथा आंधी तूफान के पूर्व सूचना के लिए एनिमोमीटर की व्यवस्था है। परिचालन के दौरान अचानक तेज गति से चली हवा से रोप वे आटोमेटिक बंद हो जाएगा। वहीं रेस्क्यू इंजन की मदद से रोप वे केबिन में फंसे लोगों को निकालने की व्यवस्था है। इस दौरान अगर बिजली नहीं हो तो भी, मैन्युअली सिस्टम से रेस्क्यू करने का इंतजाम है। 

25 मीटर तक है ऊंचाई

एट सीटर रोपवे में आवागमन में 10 मिनट व सिंगल चेयर लिफ्ट में 15 मिनट लगाता है। इसमें 11 टावर हैं। आठ सीटर रोपवे में छह टावर हैं। इस रोपवे की मिनिमम हाइट साढ़े चार तथा मैक्सिमम हाइट 25 मीटर है। 

नेचर सफारी के जिप लाइन रोप पर गिरने से बची थी महिला

नेचर सफारी जिप लाइन रोप पर बीते मार्च में रेसिंग कर रही एक युवती बाल-बाल बच गई थी। वह जिप लाइन रोप से इंड प्वाइंट प्लेटफार्म पर काफी तेजी से सरकते हुए आ रही थी। इंड प्वाइंट प्लेटफार्म टावर पर तैनात स्टापर से वनकर्मी महिला को रेस्क्यू नहीं कर पाए। तेज गति में आ रही महिला पर्यटक सी इड प्वाइंट पर तेज झटके के साथ जिप लाइन रोप पर हवा में रिटर्न सात मीटर दूरी तक चली गई। युवती को चोट भी पहुंची थी। उस दौरान भी जिप लाईन रोप की सुरक्षा पर अनेक सवाल खड़े हुए थे। घटना का वीडियो वायरल हुआ था।