वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों से की मुलाकात, कर्ज वसूली के तंत्र से हुई नाखुश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बैंक फंसे कर्जे यानी एनपीए (नान-परफार्मिंग एसेट्स ) के घटते स्तर को लेकर प्रभावित नहीं कर सके। संसद में भी कई बार सरकार से पुराने एनपीए या बट्टे खाते में डाले गये एनपीए की वसूली को लेकर सवालों का जवाब देना पड़ता है। वित्त मंत्रालय की मंशा है कि एनपीए को घटाने को लेकर जो सफलता मिली है वह इसकी वसूली में भी प्रदर्शित हो।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। शनिवार को सरकारी बैकों के प्रमुखों के साथ बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बैंक फंसे कर्जे यानी एनपीए (नान-परफार्मिंग एसेट्स) के घटते स्तर को लेकर प्रभावित नहीं कर सके।
वजह यह रही कि वित्त मंत्री पुराने फंसे कर्जे (खास तौर पर वैसे एनपीए जिन्हें बट्टे खाते में डाल दिया गया हो) की वसूली की मौजूदा रिकार्ड को 'संतोषप्रद से काफी दूर' करार दिया है। बैंकों से कहा गया है कि एनपीए का स्तर पिछले एक दशक के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है यह काफी सतोष की बात है लेकिन पुराने कर्जे की वसूली को लेकर स्थिति बहुत नहीं सुधरी है।
कर्ज वसूली की नई व्यवस्था
दरअसल, हाल के दिनों में संसद में भी कई बार सरकार से पुराने एनपीए या बट्टे खाते में डाले गये एनपीए की वसूली को लेकर सवालों का जवाब देना पड़ता है। वित्त मंत्रालय की मंशा है कि एनपीए को घटाने को लेकर जो सफलता मिली है वह इसकी वसूली में भी प्रदर्शित हो।बैंकिंग उद्योग के सूत्रों के मुताबिक एनपीए व्यवस्था में सिर्फ एक वसूली प्रक्रिया ऐसी है जिसको लेकर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। यह देखा जा रहा है कि जब कर्ज वसूली की नई व्यवस्था दिवालिया कानूुन (आइबीसी) ने सही तरीके से काम करना शुरू किया है तो ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) का प्रदर्शन एकदम से नीचे आ गया है। जबकि डीआरटी में बैंकों का सबसे ज्यादा एनपीए फंसा हुआ है।
इतनी राशि फंसी हुई
आरबीआइ का डाटा बताता है कि वर्ष 2022-23 में कर्ज वसूली की चारों प्रमुख व्यवस्थाओं (लोक अदालत, डीआरटी, प्रतिभूति कानून और आइबीसी) में कुल 8,36,898 करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है जिसमें से डीआरटी के पास ही 4,02,636 करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है। दूसरी तरफ यह साल दर साल डीआरटी व्यवस्था कमजोर ही होती जा रही है। वर्ष 2021-22 में इसके जरिए लंबित एनपीए मामलों में बैंकों ने अपने दावे के मुकाबले 17.5 फीसद राशि वसूलने में सफलता हासिल की थी जो वर्ष 2022-23 में घट कर सिर्फ 9.2 फीसद रह गया है।कर्ज वसूली का स्तर 40.3 फीसद बढ़ा
इस दौरान आइबीसी के जरिए कर्ज वसूली का स्तर 23.9 फीसद से बढ़ कर 40.3 फीसद हो गया है लेकिन बैंकों को जितनी राशि एनपीए में फंसी हुई है उसका सिर्फ 18 फीसद हिस्सा ही आइबीसी के हवाले किया गया है। यानी आइबीसी का प्रदर्शन बहुत बेहतर हो जाए तब भी बकाये पुराने कर्जे की वसूली की प्रक्रिया पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है।आरबीआइ के आंकड़े बता रहे हैं कि बैंकों के कुल फंसे कर्जे के देश में 1.44,94 करोड़ मामले हैं जिनमें डीआरटी और लोक अदालतों के पास ही 1.43,07 करोड़ मामले हैं। दूसरी तरफ आइबीसी के पास सिर्फ 1261 मामले दर्ज हैं। ऐसे में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2021-22 में उक्त चारों व्यवस्थाओं से फंसे कर्जे की 17.6 फीसद राशि वसूलने में सफलता मिली थी लेकिन वर्ष 2022-23 में यह घट कर सिर्फ 15 फीसद रह गया है। वित्त मंत्री के असंतुष्ट होने का कारण भी यहीं है।
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