5 अक्टूबर के बाद घटेंगे पेट्रोल और डीजल के भाव? CLSA की रिपोर्ट से बड़ी राहत का संकेत
पिछले महीने पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने कहा था कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहती हैं तो सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करने पर विचार कर सकती हैं। सीएलएसए के मुताबिक महाराष्ट्र काफी महत्वपूर्ण राज्य है। वहां के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की अगुआई वाला गठबंधन फ्यूल प्राइस को कम कर सकता है।
आईएएनएस, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। इससे उम्मीद की जाने लगी कि सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती करके आम जनता को राहत दे सकती है। मार्च 2024 से पेट्रोल और डीजल कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
अभी तक सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं मिली है। लेकिन, प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी CLSA सीएलएसए की मानें तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 5 अक्टूबर के बाद कमी हो सकती है। सीएलएसए ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है, जो पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन की टिप्पणियों पर आधारित है। इसमें पिछले महीने कीमतों में कटौती का सुझाव दिया गया था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जैन ने कहा था कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहती हैं, तो सरकारी तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करने पर विचार कर सकती हैं।
सीएलएसए ने अपने नोट में कहा, "महाराष्ट्र काफी महत्वपूर्ण राज्य है। वहां के विधानसभा चुनाव,से पहले बीजेपी की अगुआई वाला गठबंधन लोकलुभावन कदम के रूप में ईंधन की कीमतों को कम करने पर विचार कर सकता है।"
विधानसभा चुनाव की-फैक्टर
कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, महाराष्ट्र में नवंबर की शुरुआत में राज्य चुनाव होने की उम्मीद है। राज्य चुनाव की अंतिम तारीखों की घोषणा अक्टूबर के मध्य तक होने की संभावना है। सीएलएसए की रिपोर्ट बताती है कि खुदरा ईंधन की कीमतों में किसी भी कटौती के साथ, सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क भी बढ़ा सकती है।
अभी केंद्र पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर 19.8 रुपये और 15.8 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क लगाता है। यह उत्पाद शुल्क 2021 के शिखर की तुलना में 40 प्रतिशत और 50 प्रतिशत कम है। सीएलएसए के अनुसार, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में हर एक रुपये की बढ़ोतरी से सरकारी खातों में सालाना अतिरिक्त 16,500 रुपये और 5,600 करोड़ रुपये का संग्रह होगा।उत्पाद शुल्क देश के भीतर वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन पर लगाया जाने वाला कर है। पेट्रोल और डीजल के मामले में उत्पाद शुल्क केंद्र सरकार द्वारा भारत के भीतर इन ईंधनों के उत्पादन या बिक्री पर लगाया जाने वाला टैक्स है।