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क्या अब महिलाओं को अधिक नौकरी देंगे बैंक? RBI गवर्नर ने बैंकों से की ये खास अपील

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर देकर और महिला-संचालित उद्यमों के लिए खास योजनाएं लाकर महिला-पुरुष असमानता को कम करने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से परे वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हो और उसे जरूरी वित्तीय साक्षरता भी हासिल हो।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 05 Sep 2024 07:05 PM (IST)
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भारत में महिलाओं की श्रमबल में भागीदारी वैश्विक औसत की तुलना में काफी कम है।

पीटीआई, नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि खपत और निवेश की मांग में लगातार वृद्धि हो रही और देश सतत वृद्धि के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी और 'इन्साल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड' (आईबीसी) जैसे सुधारों से दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने भूमि, श्रम तथा कृषि बाजारों में और अधिक सुधारों की आवश्यकता पर भी जोर दिया। फिक्की और आईबीए द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक एफआईबीएसी, 2024 सम्मेलन के अपने उद्घाटन भाषण में दास ने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने और उनसे अपेक्षाओं से संबंधित मुद्दे पर बात की।

भारत के विकास की गाथा बरकरार

दास ने कहा कि विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों तथा बाजारों में व्यापक बदलाव हो रहे हैं और देश इन बदलाव के लिए तैयार है। दास ने कहा, 'उन्नत अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में हमारे देश की यात्रा को कई कारकों के अनूठे मिश्रण से बल मिल रहा है। इन कारकों में युवा आबादी, जुझारू व विविध अर्थव्यवस्था, मजबूत लोकतंत्र और उद्यमशीलता और नवाचार की समृद्ध परंपरा शामिल है।' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के विकास की गाथा बरकरार है और बैंकों का बहीखाता मजबूत है। दास ने निजी क्षेत्र से व्यापक स्तर पर निवेश बढ़ाने का आग्रह किया। गवर्नर ने कहा कि आंकडों से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी वृद्धि कारक वास्तव में गति पकड़ रहे हैं और वे धीमे नहीं पड़ रहे हैं।

दास ने कहा, 'इससे हमें यह कहने का साहस मिलता है कि भारतीय वृद्धि की गाथा बरकरार है।' गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति तथा वृद्धि के बीच सही संतुलन कायम है। बेहतर मानसून तथा खरीफ की अच्छी बोआई से खाद्य मुद्रास्फीति का परिदृश्य अधिक अनुकूल हो सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सरकारी व्यय में वर्ष की शेष तिमाहियों में बजट अनुमानों के अनुरूप गति आने की संभावना है, ऐसे में आरबीआई का 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि का 7.2 प्रतिशत का अनुमान बेतुका नहीं लगता है।

डिजिटल प्लेटफार्म की पहुंच बढ़ाएं

दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म तक पहुंच बढ़ानी चाहिए और उनका इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने जोखिम निर्धारण मानकों को कमजोर किए बिना महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) के अनुरूप उत्पाद तथा सेवाएं पेश करने की भी वकालत की। दास ने कहा कि विवेकपूर्ण ऋण सुनिश्चित करने के लिए 'यूनिफाइड लेडिंग इंटरफेस' (यूएलआइ) मंच पर केवल विनियमित संस्थाओं को ही अनुमति दी जाएगी। दास उन्होंने कहा, 'यूएलआइ कुछ चु¨नदा कंपनियों का 'क्लब' नहीं होगा।'

महिलाओं को अधिक रोजगार दें बैंक

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर देकर और महिला-संचालित उद्यमों के लिए खास योजनाएं लाकर महिला-पुरुष असमानता को कम करने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से परे वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हो और उसे जरूरी वित्तीय साक्षरता भी हासिल हो।

उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं की श्रमबल में भागीदारी वैश्विक औसत की तुलना में काफी कम है। इस फासले को कम करने के लिए लड़कियों की शिक्षा, कौशल विकास, कार्यस्थल पर सुरक्षा और सामाजिक बाधाएं दूर करने की दिशा में प्रयास करने होंगे।

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