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आपकी थाली पर भी प्रचंड गर्मी का प्रकोप; सूख रही हैं सब्जियां, बढ़ रहे हैं दाम

देश के लगभग आधे हिस्से में तापमान सामान्य के मुकाबले पांच से नौ डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा जिसके चलते खेतों में खड़े प्याज टमाटर बैंगन और पालक जैसी साक-सब्जियों के पौधे सूखने लगे और उपजी हुई सब्जियां खराब होने लगीं। अप्रैल-मई में प्री-मानसून बारिश से सब्जियों की खेती को सहारा मिलता है। किंतु इस बार मानसून ने भी छला। हीट वेव के चलते सब्जियों का रकबा भी घटा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 22 Jun 2024 07:52 PM (IST)
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इस वर्ष मई में खाद्य पदार्थों की महंगाई 8.69 प्रतिशत थी और अप्रैल में 8.70 प्रतिशत।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। लंबे समय से देश के बड़े हिस्से में बारिश की कमी और तापमान की अधिकता ने सिर्फ सेहत ही नहीं, बल्कि मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। महंगाई का सीधा संबंध खेती से है। यह तब रफ्तार पकड़ती है जब खाने-पीने की चीजें महंगी होने लगती हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतें कई महीनों से लगातार आठ प्रतिशत से ज्यादा बढ़ रही है। आरबीआई के मुताबिक इस वर्ष मई में खाद्य पदार्थों की महंगाई 8.69 प्रतिशत थी और अप्रैल में 8.70 प्रतिशत। मार्च में 8.52 और फरवरी में 8.66 प्रतिशत थी।

गर्मी से भड़की खाद्य पदार्थों की महंगाई

उपभोक्ता मंत्रालय की रिपोर्ट है कि प्रचंड गर्मी ने खाद्य पदार्थों की महंगाई को और भड़काया। अप्रैल से देश का एक बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी की चपेट में है। इसने दो तरह से बाजार पर असर डाला और आवश्यक वस्तुओं का मूल्य बढ़ाया। पहला पानी के अभाव में हरी सब्जियां खेतों में सूख गईं और उत्पादन कम हो गया। दूसरा थोड़ा-बहुत उत्पादन भी हुआ तो वह प्रचंड गर्मी के चलते बाजार की पहुंच से बाहर रह गया। जैसे-जैसे हरी सब्जियों की कीमतें बढ़ने लगीं, वैसे-वैसे उपभोक्ताओं का रुख आलू और दालों की ओर होने लगा।

परिणाम हुआ कि बाजार से दाल और आलू भी गायब होने लगे। लगातार तीन महीने तक प्रचंड गर्मी के चलते आलू-दाल की मांग और जरूरत बढ़ने लगी। कोल्ड स्टोरेज में जमा आलू भी बाजार में आ गए। हरी सब्जियों की आपूर्ति गर्मियों में वैसे भी कम हो जाती है, लेकिन इस बार असामान्य रूप से कमी हो गई। देश के लगभग आधे हिस्से में तापमान सामान्य के मुकाबले पांच से नौ डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा, जिसके चलते खेतों में खड़े प्याज, टमाटर, बैंगन और पालक जैसी साक-सब्जियों के पौधे सूखने लगे और उपजी हुई सब्जियां खराब होने लगीं।

हीट वेव से घटा सब्जियों का रकबा

अप्रैल-मई में प्री-मानसून बारिश से सब्जियों की खेती को सहारा मिलता है। किंतु इस बार मानसून ने भी छला। आईएमडी की रिपोर्ट है कि उत्तर भारत में मानसून की बारिश इस बार अभी तक करीब 70 प्रतिशत तक कम हुई है। हीट वेव के चलते गर्मियों में होने वाली सब्जियों के रकबे में भी कमी आई है।

इसी दौरान प्याज का संकट गहराने लगा। प्याज के दाम पिछले वर्ष दिसंबर से ही भाव खाने लगे थे, क्योंकि बेमौसम बारिश के चलते महाराष्ट्र में उत्पादन कम हो गया था। बाजार में प्याज की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे लोकसभा चुनाव के दौरान किसान आंदोलन के चलते हटा लिया गया। लिहाजा बाजार से प्याज फिर गायब होने लगा। जिन राज्यों में प्याज का उत्पादन नहीं होता है, वहां शुरू में दाम बढ़ने लगा और उसके बाद दायरा व्यापक हो गया।

अब मानसून से राहत उम्मीद

उपभोक्ता मंत्रालय को मानसून से उम्मीद है। आईएमडी ने इस बार मानसून के अच्छा रहने की घोषणा की है। इसलिए सब्जियों की खेती भी अच्छी होगी। अरहर, उड़द और मूंग जैसी खरीफ दालों की अधिक बुआई और उत्पादन के लिए भी स्थिति अनुकूल है। उपभोक्ता सचिव निधि खरे आश्वस्त हैं कि अगले महीने से दालों और सब्जियों की कीमतों में नरमी आएगी, क्योंकि खरीफ की बुआई की गति और कवरेज में तेजी आएगी।

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