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Insurance Rule: IRDAI ने बताया पॉलिसीहोल्डर को उनके अधिकार, अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी मनमानी

Insurance Holder Rights कई बार पॉलिसी होल्डर पॉलिसी तो ले लेते हैं लेकिन वह अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ने हाल ही में इसको लेकर मास्टर सर्कुलर जारी किया। इस सर्कुलर में इरडा ने पॉलिसीधारकों को उनके अधिकारों के बारे में बताया। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Sat, 07 Sep 2024 04:00 PM (IST)
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Policyholder के पास भी होता है कई अधिकार

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। इंश्योरेंस धारकों को आसानी देने के लिए बीमा नियामक इरडा (IRDAI) द्वारा कई नियम जारी किये जाते हैं। अब इरडा ने पॉलिसी धारकों के लिए एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में नियामक ने पॉलिसीधारकों को उनके अधिकारों के बारे में बताया है।

अगर आपके पास भी लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) या हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) है तो आपको अपने अधिकारों के बारे में जान लेना चाहिए ताकि कोई इंश्योरेंस कंपनी (Insuance Company) अपनी मनमानी न कर पाएं। हम आपको इस आर्टिकल में पॉलिसीधारकों के अधिकारों के बारे में बताएंगे।

फिजिकल कॉपी

अगर आप ऑनलाइन इंश्योरेंस करवाते हैं तो आपको ऑनलाइन सभी जानकारी मिल जाती है। लेकिन, अगर आप इंश्योरेंस की फिजिकल कॉपी लेना चाहते हैं तो वो भी आप आसानी से ले सकते हैं। इसके लिए कंपनी द्वारा मनाही नहीं की जाएगी। जी हां, कई बार पॉलिसीहोल्डर को लगता है कि उसनें ऑनलाइन पॉलिसी लिया है तो वह फिजिकल फॉर्मेंट में कॉपी नहीं ले सकता है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर पॉलिसीहोल्डर फिजिकल फॉर्मेट में कॉपी मांगता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसे यह उपलब्ध करवाएगी। हालांकि, पॉलिसीधारक को इसके बारे में प्रपोजन फॉर्म में इसकी जानकारी देनी होगी कि वह फिजिकल फॉर्मेंट में भी इंश्योरेंस की कॉपी चाहता है।

7 दिन के भीतर आंशिक निकासी

कई बार बीमा कंपनी यह कहती है कि आंशिक निकासी में काफी समय लगता है। जबकि ऐसा नहीं है। इरडा के नियमों के अनुसार अगर कस्टमर आंशिक निकासी करना चाहता है तो इंश्योरेंस कंपनी को इस काम के लिए केवल 7 कारोबारी दिन मिलते हैं। अगर 7 दिन से ज्यादा समय लगता है तो कंपनी को कस्टमर को बताना होगा कि आंशिक निकासी में देरी क्यों हो रही है।

इसके अलावा कंपनी जैसे ही प्रपोजल फॉर्म एक्सेप्ट करता है तो उसे उसके बाद पॉलिसी जारी करने में केवल 15 दिन का समय होता है। कंपनी कभी-भी प्रपोजल फॉर्म के साथ शुरुआती प्रीमियम नहीं ले सकती है। जब पॉलिसी जारी हो जाएगी उसके बाद ही कंपनी पॉलिसीहोल्डर से प्रीमियम ले सकती है।

कंपनी को पॉलिसी जारी होने के बाद कस्टमर को कुछ डॉक्यूमेंट देने होंगे। इंश्योरेंस कंपनी की जिम्मेदारी है कि पॉलिसी जारी होने के बाद वह पॉलिसीहोल्डर को कवरिंग लेटर, प्रपोजल फॉर्म की कॉपी, बेनिफिट इलस्ट्रेशन की कॉपी और सीआईएस यानी कस्टमर इन्फॉर्मेशन शीट उपलब्ध करवाएं।

वापस कर सकते हैं पॉलिसी

इरडा ने बताया कि पॉलिसीहोल्डर के पास 30 दिन का फ्री लुक पीरियड होता है। इसका मतलब है कि अगर किसी पॉलिसीधारक ने कोई पॉलिसी ली लेकिन बाद में उसे वह पॉलिसी पसंद नहीं आई तो वह इसे 30 दिन के भीतर वापस कर सकता है।

1 घंटे में होगा कैशलेस क्लेम

हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस क्लेम की सुविधा मिलती है। पहले कैशलेस क्लेम के लिए पॉलिसीधारक को इंतजार करना होता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। अगर पॉलिसीधारक ने कैशलेस क्लेम किया है तो उसका फैसला क्लेम के 1 घंटे के भीतर हो जाना चाहिए। अगर अस्पताल डिस्चार्ज कर रहा है तब 3 घंटे के भीतर फाइनल ऑथराइजेशन हो जाना चाहिए। अगर फाइनल ऑथराइजेशन में देरी होती है तो अस्पताल का अतिरिक्त खर्च बीमा कंपनी द्वारा भरा जाएगा।

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ऑटोमैटिक अपडेट होगी पॉलिसी

अगर पॉलिसीधारक के पास कई पॉलिसी है और वह किसी एक पॉलिसी के तहत क्लेम करता है। लेकिन उस पॉलिसी का कवरेज कम पड़ जाता है तो दूसरी पॉलिसी ऑटोमैटिकली एक्टिव हो जाएगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर आपके पास 1 लाख और 2 लाख रुपये की पॉलिसी है। आपने 1 लाख रुपये की पॉलिसी से 1.5 लाख रुपये का क्लेम किया है तो पहली पॉलिसी का कवरेज क्योंकि कम है तो दूसरी पॉलिसी ऑटोमैटिक अपडेट हो जाएगा। यानी 1 लाख रुपये की पॉलिसी से 1 लाख और दूसरी पॉलिसी से 50,000 रुपये का लाभ होगा।

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